MPPSC Protest: इंदौर में एमपीपीएससी अभ्यर्थियों का धरना प्रदर्शन पिछले बुधवार से लगातार जारी है। चौथे दिन भी करीब 2,000 अभ्यर्थी धरना स्थल पर पहुंचे। इंदौर के साथ-साथ आसपास के शहरों से भी बड़ी संख्या में छात्र इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं।
शनिवार को भोपाल से बड़ी संख्या में युवक पहुंचे। हालांकि धरना स्थल पर अब प्रशासन कुछ सख्त दिखाई देने लगा है। शनिवार सुबह पीने के पानी की खेप भी यहां पहुंचने नहीं पाई क्योंकि पुलिस ने लोडिंग ऑटो को रोक दिया है। इसके अलावा छात्रों को टॉयलेट के लिए भी खासी दिक्कत हो रही है।
प्रदर्शन स्थल पर कई अभ्यर्थी अपनी पढ़ाई करते हुए देखे गए, वहीं अनशन पर बैठे अभ्यर्थियों में से एक की तबीयत बिगड़ने से माहौल गंभीर हो गया।
गुरुवार रात से आमरण अनशन पर बैठे अभ्यर्थी अरविंद सिंह भदौरिया शुक्रवार को बेहोश हो गए। साथी अभ्यर्थी और यूनियन के पदाधिकारियों ने तुरंत उनकी देखभाल की। अनशन पर उनके साथ बैठे छात्र नेता राधे जाट ने बताया कि अरविंद की हालत खराब होने के बाद भी हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखेंगे।
आंदोलन में अलग-अलग तरीकों से विरोध
धरने पर मौजूद छात्रों ने तख्तियों के जरिए अपना आक्रोश जाहिर किया। इनमें कुछ तख्तियां बेहद रोचक थीं, जिनमें आयोग के अध्यक्ष राजेश लाल मेहरा पर छात्रों की खासी नाराजगी रही। यहां जो तख्तियां थी उनमें से ज्यादातर मेहरा का ही मजाक बना रहीं थी। वहीं “पुष्पा मूवी” के लोकप्रिय डायलॉग को छात्रों के मुद्दों से जोड़कर लिखा गया। इससे प्रदर्शन में जोश और क्रिएटिविटी का माहौल नजर आया। वहीं कुछ युवा यहां कविताएं सुनाकर जोश भरते नजर आए।
राजनीतिक समर्थन भी जारी
अभ्यर्थियों के इस आंदोलन को राजनीतिक समर्थन भी मिल रहा है। बाप पार्टी के विधायक कमलेश्वर डोडियर और युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मितेंद्र सिंह और आनंद राय भी यहां पहुंचे। हालांकि, छात्रों का कहना है कि उन्हें केवल समर्थन की जरूरत नहीं, बल्कि समाधान चाहिए। उन्होंने कहा कि जो भी राजनीतिक दल उनकी मदद करना चाहते हैं, वे सरकार के सामने इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से उठाएं।
छात्रों की मांग पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं
अभ्यर्थियों की मुख्य मांगें एमपीपीएससी परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और समय पर परिणाम देने से जुड़ी हैं। छात्रों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, प्रदर्शन जारी रहेगा। धरने पर बैठे neyu के नेता रंजीत किसानवंशी ने कहा कि चार दिनों में एक बार भी आयोग की ओर से कोई उनसे मिलने आया है जबकि भी आयोग के दरवाजे पर बैठे हुए हैं।