इंदौर में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के खिलाफ प्रदर्शन शुक्रवार सुबह तक जारी है। गुरुवार रात कड़ाके की ठंड के बावजूद सैकड़ों अभ्यर्थी सड़क पर डटे रहे। प्रदर्शन बुधवार सुबह 10 बजे से शुरू हुआ था, और अब यह 48 घंटे से अधिक समय तक जारी है। छात्रों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक वे डटे रहेंगे। प्रदर्शन का नेतृत्व नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (NEYU) कर रही है।
गुरुवार शाम को पीसीसी चीफ जीतू पटवारी प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे और छात्रों का समर्थन किया। उन्होंने इस आंदोलन को युवाओं के भविष्य के लिए जरूरी बताते हुए सरकार पर जमकर हमला बोला।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें
अभ्यर्थी MPPSC भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुधार की मांग कर रहे हैं। उनकी मुख्य मांगें हैं:
1. 2019 की मुख्य परीक्षा की कॉपियां सार्वजनिक की जाएं और मार्कशीट जारी की जाए।
2. 2025 में राज्य सेवा और वन सेवा के लिए कुल 800 पदों का नोटिफिकेशन जारी हो।
3. 2023 की राज्य सेवा मुख्य परीक्षा का परिणाम शीघ्र घोषित किया जाए।
4. 87/13 फार्मूला समाप्त कर परिणाम 100% अंकों के आधार पर जारी किए जाएं।
5. भर्ती प्रक्रिया में UPSC की तर्ज पर एक भी प्रश्न गलत न बनाए जाएं, नेगेटिव मार्किंग लागू हो, और मुख्य परीक्षा की कॉपियां CGPSC की तरह जांची जाएं।
कड़ाके की ठंड में अभ्यर्थियों का संघर्ष
गुरुवार रात ठंड बढ़ने के बावजूद प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों का हौसला कमजोर नहीं हुआ। वे सड़क पर ही रजाई और कंबल लेकर डटे रहे। कुछ छात्रों ने हनुमान चालीसा का पाठ और मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाकर विरोध जताया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे अपने भविष्य की लड़ाई में पीछे नहीं हटेंगे।
समर्थन में जीतू पटवारी भी पहुंचे
गुरुवार शाम प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “यह बेहद शर्मनाक है कि MPPSC जैसी प्रतिष्ठित संस्था में धांधलियां हो रही हैं। 100 नंबर के पेपर में 101 नंबर दिए जा रहे हैं। पिछले चार साल से 2019 की कॉपियां सार्वजनिक नहीं की गई हैं। हर साल लाखों छात्र ओवरएज हो रहे हैं। यह सरकार की असंवेदनशीलता का प्रमाण है।”
पटवारी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से छात्रों के भविष्य को लेकर गंभीरता दिखाने की अपील की। उन्होंने कोचिंग संस्थानों से भी प्रदर्शन का समर्थन करने और कक्षाएं बंद करने की अपील की।
आयोग और छात्रों के बीच बातचीत बेनतीजा
गुरुवार शाम छात्रों के प्रतिनिधिमंडल ने MPPSC के अधिकारियों से मुलाकात की। हालांकि, बातचीत बेनतीजा रही। अधिकारियों ने कहा कि कई मुद्दे कोर्ट और सरकार के विचाराधीन हैं, जिसके चलते तुरंत कोई निर्णय संभव नहीं है। इस पर छात्रों ने नाराजगी जताई और आमरण अनशन की चेतावनी दी।
आमरण अनशन की तैयारी
नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के राष्ट्रीय कोर कमेटी सदस्य राधे जाट और अंशुल ने गुरुवार शाम से ही अनशन शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो यह आंदोलन अनिश्चितकालीन आमरण अनशन का रूप ले लेगा।
यह आंदोलन अब राजनीतिक रूप से भी अहम दिखाई दे रहा है। सरकार के खिलाफ तमाम मुद्दों को लेकर भी कांग्रेस पार्टी जनता को सड़कों पर लाने में बहुत कामयाब नहीं रही लेकिन इस एक आंदोलन ने फिर प्रदेश के मुद्दों को फिर एक बार हवा दे दी है।
ऐसे में रोजगार की बात करने वाले तमाम विपक्षी दल इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। जीतू पटवारी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर छात्रों के समर्थन में पोस्ट की और मुख्यमंत्री को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि सरकार युवाओं से रोजगार के झूठे वादे कर रही है।
आगे की रणनीति
यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो प्रदर्शन और तेज हो सकता है। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि वे जब तक आयोग और सरकार से लिखित आश्वासन नहीं पाते, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
यह आंदोलन सरकार और MPPSC के कामकाज पर सवाल खड़े कर रहा है। लाखों युवाओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है। अब देखना होगा कि सरकार इस गंभीर स्थिति को कैसे संभालती है और छात्रों की मांगों पर क्या कदम उठाती है।