भोपाल। मध्यप्रदेश में इस समय आरक्षण के खिलाफ एक बड़ा प्रदर्शन हो रहा है। इस प्रदर्शन में लाखों लोग शामिल हैं। करणी सेना मांग कर रही है कि जातिगत आरक्षण हटाया जाए और देश में आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाए।
करणी सेना की 21 सूत्रीय मांगों में यह सबसे अहम है। करणी सेना अपने प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के खिलाफ नजर आई लेकिन भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी से कोई शिकायत नहीं की गई।
इसके बाद से आरक्षण चाहने और इसके विरोध करने वालों के बीच एक बहस शुरू हो गई है। यह बहस ट्टिटर और दूसरे सोशल मीडिया पर तेज़ है।
हालांकि इस आंदोलन के बीच एक दूसरे तथ्य पर भी गौर करना ज़रूरी है जो बताता है कि दलितों पर अत्याचार के मामले में मप्र देश में चौथे नंबर है और आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार के मामले में इसका नंबर पहला है।
निशाने पर शिवराज ही क्यों, पीएम मोदी क्यों नहीं –
ऐसे में सवाल उठता है कि आरक्षण हटाने की मांग केवल मप्र में ही क्यों हो रही है और इसके निशाने पर सीएम शिवराज ही क्यों हैं भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्यों नहीं।
आरक्षण के खिलाफ करणी सेना का प्रदर्शन पिछले कुछ समय में इस विषय पर हुआ सबसे बड़ा प्रदर्शन है। करणी सेना की मांगों की फेहरिस्त में जातिगत आरक्षण को हटाने की मांग सबसे उपर है और देखा जाए तो यही सबसे अहम मांग है।
अपनी मांगों को पूरा करने के लिए क्षत्रीय समाज के पांच लोगों ने आमरण अनशन शुरू किया है। इनमें करणी सेना के पदाधिकारी जीवन सिंह शेरपुर भी हैं।
करणी सेना ने रविवार दोपहर चार बजे तक सरकार को अपनी मांगें मानने का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन उन्हें जवाब नहीं मिला। जिसके बाद करणी सेना के पदाधिकारियों ने यह अनशन शुरू किया।
इस दौरान आंदोलन में आए लोगों को जाने के लिए कहा गया, लेकिन वे नहीं गए और आरक्षण हटाने की मांग को लेकर रात भर हजारों लोग जंबूरी मैदान पर डटे रहे।
ट्विटर पर आरक्षण को लेकर बहस तेज है और एससीएसटी आरक्षण हटाओ और आरक्षण जिंदाबाद ये दोनों ही हैशटैग ट्रैंड कर रहे हैं।
ज्यादातर लोग आरक्षण हटाने की मांग कर रहे हैं और इसके लिए तरह तरह के तर्क दिये जा रहे हैं वहीं भाजपा से पूछा भी जा रहा है कि वे इसके लिए क्या करने जा रहे हैं।
इस आंदोलन के साथ मध्यप्रदेश में अब तक दलितों पर होते रहे अपराधों की खबरों पर भी गौर करना चाहिए। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में आदिवासी दलितों के खिलाफ होने वाले अपराधों की दर 63.6 प्रतिशत है। प्रदेश में कई जिलों से दलित दूल्हों को घोड़ी पर न बैठने देने की खबरें आती रहीं हैं।
निशाने पर सीएम शिवराज –
भारतीय राजनीति में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा पर लगभग हमेशा से ही वंचितों और शोषितों को मिलने वाले आरक्षण के खिलाफ होने के आरोप लगते रहे हैं लेकिन भाजपा ने सत्ता में आकर आरक्षण को लेकर कोई बहुत बड़ा कदम नहीं उठाया है।
रविवार को हुए प्रदर्शन में करणी सेना का विरोध भी भाजपा के खिलाफ़ न होकर केवल मध्यप्रदेश में सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ रहा है। चौहान ने सात साल पहले कहा था कि कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता।
उन्होंने तब कहा था कि बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान और आरक्षण की बदौलत ही वे मुख्यमंत्री और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं। उसी दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी आरक्षण की समीक्षा के लिए एक समिति बनाने की बात कही थी जिस पर खूब हंगामा हुआ था।
माई का लाल बयान के बाद सीएम शिवराज की आरक्षण की खिलाफत करने वालों ने खूब आलोचना की और वे जब तक इस पर ट्रोल किये जाते रहे और आरएसएस प्रमुख का बयान हाथों हाथ लिया गया।
भोपाल में जुटे करणी सेना के लोग केवल सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ नजर आए। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और आरएसएस के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया यानी एक तरह से वे भाजपा के प्रशंसक हैं।
- Bharatiya Janata Party
- CM Shivraj singh chouhan
- crime on Dalits in MP
- crime on tribals in MP
- Karni Sena's performance
- PM Narendra Modi
- RSS Chief Mohan Bhagwat
- आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
- एमपी में आदिवासियों पर अपराध
- एमपी में दलितों पर अपराध
- करणी सेना का प्रदर्शन
- दलितों पर अत्याचार
- पीएम नरेंद्र मोदी
- भारतीय जनता पार्टी
- सीएम शिवराज सिंह चौहान