इंदौर। बीते साल की आख़िरी रात इंदौर में कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी के शो में हिन्दूवादी नेताओं ने हंगामा किया और उनके साथ मारपीट की। इसके बाद पुलिस ने मुनव्वर और उनके पांच साथियों को पकड़ा। उन पर हिन्दू देवी-देवताओं और गृह मंत्री अमित शाह का मज़ाक उड़ाने का वही आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज की जो मुनव्वर पर हिन्दूवादी नेताओं ने लगाया था ।
हालांकि पुलिस ने दो दिन बाद इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उसके पास फारुकी के खिलाफ कोई सुबूत नहीं है। इसके बाद भी फारुकी और अन्य लोग महीने भर से ज्यादा तक जेल में रहे।
वे किसी के बारे में बिना एक शब्द बोले जेल में रहे। इस बात की तस्दीक उस शो में रहे कई और लोग भी करते हैं। हाईकोर्ट ने मुनव्वर की जमानत कई बार रद्द की और आख़िरकार उन्हें छह फरवरी को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई।
मुनव्वर फारुकी का यह मामला देश के बदलते माहौल का सबसे बड़ा उदाहरण है। इसे लेकर अब सौ से ज्यादा कलाकार और लेखक मुनव्वर फारूकी के सर्मथन में आए हैं।
इनमें अरुंधति रॉय, कुणाल कामरा, पूजा भट्ट और कल्कि कोचिन जैसे कई मशहूर नाम शामिल हैं। जिन्होंने फारूकी और उनके साथ गिरफ्तार किये गए नलिन यादव, प्रखर व्यास, एडविन एंथनी और सदाकत खान के खिलाफ लगे सभी आरोपों को खारिज करने की मांग की है।
इन कलाकारों और लेखकों ने संयुक्त बयान जारी किया है और कहा कि यह मामला देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों के प्रति गहरी चिंता व्यक्त करता है। इस बयान में कहा गया है कि
फारूकी की गिरफ्तारी या उन्हें हिरासत में लिया जाना मौजूदा समय में देश में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की खस्ताहाल सुरक्षा का संकेत देती है। देश के हर नागरिक को उचित सीमाओं के साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संवैधानिक अधिकार है। हालांकि, इस तरह के उदाहरणों के जरिये यह स्पष्ट है कि कलाकारों की अधिकतर गिरफ्तारियां और उन पर लगाए गई सेंसरशिप मनमाने तरीके से की गई, जो देश में कलात्मक और रचनात्मक स्वतंत्रता को हानि पहुंचा रहे हैं।
इस बयान को भारतीय प्रवासी समूह ‘प्रोग्रेसिव इंडिया कलेक्टिव’ की अगुवाई में पैन अमेरिकाज आर्टिस्ट ऐट रिस्क कनेक्शन, फ्रीम्यूज और रीक्लेमिंग इंडिया के साथ मिलकर जारी किया गया।
इनपुटः द वायर