मध्य प्रदेश में नवनियुक्त कर्मचारियों को लेकर सरकार की उदासीनता एक बार फिर से चर्चा में है। 2018 के बाद से नियुक्त किए गए कर्मचारियों को अब तक पूरा वेतन नहीं मिला है। इन कर्मचारियों को पहले साल 70%, दूसरे साल 80%, और तीसरे साल 90% वेतन देने का प्रावधान किया गया था। चौथे साल ही जाकर इन्हें पूरा वेतन मिल पाता है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हाल ही में 12 अगस्त को नगरीय निकायों के जन-प्रतिनिधियों के मानदेय में 20 प्रतिशत की वृद्धि कर उन्हें रक्षाबंधन का तोहफा दिया। इसके बावजूद, वही सरकार हजारों नवनियुक्त कर्मचारियों को उनके मूल वेतन से वंचित रख रही है।
इन कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपनी समस्याएं उठाई हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई है। नवनियुक्त कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर “#मध्यप्रदेश_सौ_फीसदी_वेतन_दो” अभियान शुरू किया है, जिसमें हजारों पोस्ट्स के माध्यम से अपनी मांगों को ज़ोर दिया है।
2019 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने नवनियुक्त कर्मचारियों के वेतन में कटौती करने का निर्णय लिया था, जिसके तहत प्रथम वर्ष में 70%, दूसरे वर्ष में 80%, और तीसरे वर्ष में 90% वेतन देने का प्रावधान किया गया था। इस नियम का प्रभाव अब भी बना हुआ है, जिससे नवनियुक्त कर्मचारियों को हर महीने हजारों रुपये का नुकसान हो रहा है।
12 अप्रैल 2023 को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नवनियुक्त शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में घोषणा की थी कि यह नियम बदलकर दूसरे वर्ष से ही 100% वेतन दिया जाएगा। लेकिन आज तक इस घोषणा पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
इस बीच, नए शिक्षक, संविदा कर्मी और अतिथि शिक्षक गंभीर आर्थिक असमानता का सामना कर रहे हैं। दूसरी तरफ, सरकार अपने वोटबैंक की चिंता में लाडली बहना योजना के लिए लगातार कर्ज लेकर भी महिलाओं को पैसा दे रही है, और स्थाई कर्मचारियों को भी लगातार लाभ दे रही है। लेकिन इन नए नियुक्त कर्मचारियों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
नवनियुक्त शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रंजीत गौर सहित अन्य कर्मचारियों का कहना है कि जब सरकार जनप्रतिनिधियों के वेतन में वृद्धि कर सकती है, तो नवनियुक्त कर्मचारियों को उनका पूरा वेतन क्यों नहीं दिया जा रहा है?
सरकार की इस अनदेखी ने कर्मचारियों के बीच असंतोष बढ़ा दिया है और उनकी मांगें दिन-ब-दिन तेज होती जा रही हैं। अब यह देखने की बात होगी कि सरकार कब तक इन कर्मचारियों की जायज़ मांगों को अनसुना करती रहती है।
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