भोपाल। प्रदेश के पूर्व विधायक अपनी पेंशन 20 हजार से बढ़ाकर 40 हजार रुपये करने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम से मांग की है। इससे पहले भी पू्र्व विधायक इस तरह की मांगें करते रहे हैं। इन विधायकों ने इसके अलावा कई और सुविधाएं बढ़ाने की मांग की है। इस बीच इंदौर में बेरोज़गार युवाओं का प्रदर्शन को 9 दिन हो रहे हैं और अब तक न तो सरकार की ओर से उन्हें कोई संदेश मिला है और न ही प्रशासन की ओर से उनसे कोई अधिकारी मिलने आया है।
इसी साल मौजूदा विधायकों ने भी अपने को मिलने वाली राशि 1.10 लाख रुपये (वेतन और भत्ते) को कम बताकर करीब पचास हजार रुपये बढ़ाने की मांग की थी। इसी दौरान विधायकों का वेतन भत्ता पिछले नौ साल में चार बार बढ़ाया गया है।
इसी तरह सरकार ने केबिनेट मंत्रियों का वेतन 1.50 लाख से बढ़ाकर 1.70 लाख कर दिया था और राज्य मंत्रियों का वेतन 1.20 लाख से बढ़ाकर 1.50 लाख कर दिया।
वहीं मप्र में 1100 पूर्व विधायक हैं। जो अलग-अलग कार्यकाल के आधार पर पेंशनें लेते हैं। इन विधायकों ने दोगुनी पेंशन के अलावा वे तीस हजार रुपये महंगाई भत्ता, वर्तमान में पूर्व विधायकों की परिवारिक पेंशन न्यूनतम 18 हजार रुपए है, जिसे बढ़ाकर 35 हजार रुपए करने की मांग है। इसके अलावा उन्होंने पूर्व विधायकों को प्रोटोकाल की सुविधा और हवाई यात्रा सुविधा देने और दिल्ली के मप्र भवन में पूर्व विधायकों को साल में 13 दिन की बजाए 30 दिन रुकने की अनुमति मिलने की मांग की है।
प्रदेश में मंत्रियों की सुविधा का जितना ख्याल रखा जाता है उतना शायद आम आदमी का नहीं। इसी साल कैबिनेट ने मुख्यमंत्री के लिए 80 करोड़ रुपये के नए हवाई जहाज़ लेने का निर्णय लिया और मुख्यमंत्री के काफ़िले के लिए ढ़ाई करोड़ की चार कारें तथा राज्यमंत्रियों के लिए 25 लाख रुपये की इनोवा कारें खरीदी थी।
ये हाल तब हैं जब प्रदेश में करीब तीस लाख से अधिक बेरोज़गार नौजवान हैं और कई सालों से इन्हें सरकारी नौकरी नहीं दी गई है। इंदौर में चल रहे नौजवानों के इस आंदोलन को करीब नौ दिन हो रहे हैं और अब तक इनसे मिलने सरकार या प्रशासन तक से कोई नेता-अधिकारी तक नहीं आया उल्टे इन्हें स्थानीय पुलिस ने कार्रवाई का नोटिस दे दिया।
ऐसे में अब ये नौजवान 2 अक्टूबर से अपने भर्ती सत्याग्रह का दूसरा चरण शुरु करेंगे। इसके तहत ये युवा भोपाल तक की यात्रा करेंगे। इस विरोध प्रदर्शन में विपक्षी दल भी रुचि ले रहे हैं। देश की मीडिया युवाओं के इस प्रदर्शन को कवर कर रही है लेकिन सरकार की ओर से इस बारे में कोई ठोस बयान नहीं आए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस बारे में लगातार चुप्पी ही साधे हुए हैं। ऐसे में प्रदर्शन कर रहे युवाओं का अंसतोष बढ़ रहा है।
आज सत्याग्रह के आठवें दिन, शहीद भगत सिंह जी की जयंती पर सत्याग्रह स्थल को जेल बनाया गया है..
जुर्म= भर्तियों की तैयारी
सजा=आर्थिक, मानसिक, सामाजिक शोषण
@NEYU4INDIA @ndtvindia @BBCHindi @aajtak @ArvindKejriwal @msisodia @AamAadmiParty @RahulGandhu pic.twitter.com/VlsX2LN06D— M Manraaj Singh Hanana (@MANRAAJHANANA) September 28, 2022
बुधवार को इन युवाओं ने प्रदर्शन स्थल पर संकेतात्मक जेल बनाकर प्रदर्शन किया और खुद भी कैदियों की पोशाक पहनी। दरअसल ये युवा अपने को बेरोजगारी और व्यवस्था का कैदी बता रहे थे। इन छात्रों ने पिछले दिनों एक बड़ा प्रदर्शन किया था जिसमें हजारों की संख्या में युवा एकजुट हुए थे। इस दौरान अधिकारियों को दिये गए अपने ज्ञापन में इन्होंने जिला कलेक्टर से मिलने की बात कही थी लेकिन कलेक्टर से मिलने के लिए इन्हें अब तक समय नहीं दिया गया है।