अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठीं मेधा पाटकर, सरदार सरोवर के डूब प्रभावितों के लिए मांग रहीं इंसाफ

- अब तक सरकार की ओर से कोई प्रतिनिधि नहीं पहुंचा। - अनशन में बैठने वाले प्रभावितों को अपनी खेती की जमीन का मुआवजा भी नहीं मिल रहा। - पाटकर काफी समय से लगाती रहीं हैं डूब क्षेत्र में गड़बड़ी का आरोप।

आज मध्य प्रदेश के धार जिले के गाँव चिखल्दा के खेड़ा मोहल्ले में बीते सात दिनों से नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर का अनिश्चितकालीन अनशन जारी है।  यह अनशन सरदार सरोवर बांध परियोजना के डूब क्षेत्र के प्रभावितों को उनके अधिकार दिलाने के लिए हो रहा है। यहां चार प्रभावित भी उनके साथ क्रमिक अनशन कर रहे हैं। अनशन के छठवें दिन मेधा पाटकर की तबियत बिगड़ने लगी था हालांकि सांतवें दिन भी उनकी स्थिति कुछ बेहतर रही।

मेधा पाटकर के साथ अनशन पर बैठीं सीता बाई पति जगदीश की खेती की जमीन सरदार सरोवर परियोजना में बीते करीब सात वर्षों से लगातार डूब रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार सीता बाई को इसके बदले करीब साठ लाख रुपए मिलने थे लेकिन यह अब तक नहीं दिए गए। सीता बाई की तरह ही ही यहां के सैकड़ों परिवार अपनी डूब रही जमीन का मुआवजा मांग रहे हैं लेकिन फिलहाल किसी को भी उनका अधिकार नहीं मिला है।

डूब प्रभावितों के अनशन स्थल पर जुटीं महिलाएं

क्रमिक अनशन पर बड़वानी जिले के पछोड़ी गांव की  गौरी पति जगन भी बैठी हैं| वे बताती हैं कि उनका गांव हर साल पानी से घिर जाता है और गांव एक टापू बन जाता है, वे कहती हैं कि यह हाल पिछले पांच-छह साल से है। कहती हैं कि कई बार पानी ज्यादा आ जाता है तो पूरा का पूरा गांव ही डूब जाता है, बीते साल भी ऐसा ही हुआ था।

इनकी ही तरह धार जिले के ही सेमल्दा गांव की सरस्वती भी परेशान हैं कहती हैं कि उनकां गांव तो डूब क्षेत्र से बाहर था लेकिन फिर भी पानी में डूब जाता है। बीते साल भी यह हुआ था।

सरदार सरोवर परियोजना में मप्र के चार जिले प्रभावित हो रहे हैं। इनमें खरगोन, बड़वानी, धार और अलीराजपुर शामिल हैं। इन इलाकों में लाखों की संख्या में लोग डूब क्षेत्र में आ रहे हैं। बीते साल कई गांव डूब में आ गए थे और लोगों के घरों में भी पानी भर गया था।

अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठीं मेधा पाटकर अब ज्यादा बात नहीं कर रही हैं। अनशन के शुरूआती दिनों में उनसे मिलने पहुंचे स्थानीय शासकीय अधिकारियों को उन्होंने लोगों की समस्या के बारे में बात की। हालांकि इन अधिकारियों ने कहा कि यह मामला उनके स्तर का नहीं है ऐसे में वे उनकी (पाटकर) की बात आगे जरूर कहेंगे। पाटकर ने अधिकारियों से कहा कि कई हजार परिवारों का आज तक सम्पूर्ण पुनर्वास नहीं हुआ है| सैकड़ों प्रभावितों को वर्ष 2019 में जल भराव के बाद उनके घर न होने की आवाज से अपने डूबे हुए घरों से निकाल कर अस्थाई टीनशेडस में रखा गया था, किन्तु आज तक उन परिवारों का निराकरण कर उन्हें पुनर्वास के लाभ नहीं दिए गए।

मेधा पाटकर से मिलने कांग्रेस के नेता और पूर्व मंत्री बाला बच्चन भी पहुंचे थे।

मेधा पाटकर काफी समय से सरदार सरोवर बांध परियोजना में  बैक वॉटर लेवल में अधिकारियों के द्वारा गड़बड़ी की शिकायत करती रहीं हैं। उन्होंने कहाँ कि BWL में अवैध रूप से बदलाव किये जाने की वजह से ही पिछले साल सितम्बर 2023 में हजारों मकान और हजारों एकड़ जमीन जिन्हें डूब से अप्रभावित बताया गया था। कई गांव जलमग्न हो गए और लोगों को बहुत नुकसान का सामना करना पड़ा| उन लोगों आज लगभग एक साल पूर्ण होने के बावजूद भी नुकसान की भरपाई नहीं मिली है| इन लोगों को पूर्व में सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित मानकर भूअर्जन किया गया किन्तु इन्हें पुनर्वास के लाभ से वंचित रखते हुए इनका पुनर्वास नहीं किया गया। इसलिए इन लोगों को डूब में मानते हुए इन्हें पुनर्वास के सभी लाभ दिए जाए| एवं जब तक यह सभी पुनर्वास के कार्य पूर्ण नहीं होते तब तक सरदार सरोवर बांध का जलस्तर 122 मी. पर रखा जाए|

 

 

First Published on: June 21, 2024 7:23 PM