भोपाल। मप्र के संविदा कर्मचारी आज काला दिवस मना रहे हैं। पर्यावरण दिवस के दिन ही यह काला दिन मनाने की वजह ये है कि इन कर्मचारियों के लिए प्रदेश सरकार अब तक एक सकारात्मक वातावरण नहीं बना सकी है।
ठीक पांच वर्ष पहले आज ही के दिन शिवराज सरकार ने संविदा कर्मचारियों के लिए एक नीति का ऐलान किया था। इस नीति के तहत संविदा कर्मचारियों के लिए नियमित कर्मचारियों के वेतन का 90 प्रतिशत दिया जाना था लेकिन आज पांच साल बाद भी यह घोषणा अधूरी है।
मप्र में एक लाख से अधिक संविदा कर्मचारी हैं। ये कर्मचारी पिछले पांच साल से आस लगाए हुए हैं कि सरकार इन्हें नियमित करेगी। इनकी इस उम्मीद की वजह खुद मुख्यमंत्री शिवराज का एक वादा था जब उन्होंने संविदा व्यवस्था को अन्यायपूर्ण कहा था। हालांकि यह पांच साल पहले की बात है जब वे मुख्यमंत्री थे और विधानसभा चुनावों की तैयारियां कर रहे थे। शिवराज चुनाव हार गए और हालांकि फिर सत्ता में लौटने के बाद उन्होंने कभी संविदा कर्मचारियों के लिए बात नहीं की। इस दौरान कर्मचारी संगठन लगातार उनसे बात करने की कोशिश करते रहे लेकिन शिवराज चुप रहे।
मप्र में संविदा कर्मचारियों से नियमित कर्मचारियों की ही तरह काम लिया जाता है लेकिन उन्हें वेतन और अन्य सुविधाएं बेहद कम दी जाती हैं। फिलहाल संविदा कर्मचारियों का वेतन नियमित कर्मचारियों के सामने करीब आधा है।
महिला कर्मचारी इसे लेकर कई बार मुख्यमंत्री से अपील कर चुकी हैं लेकिन उन्हें नियमित कर्मचारियों की तरह मातृत्व अवकाश देने पर भी विचार नहीं किया गया है। कई संविदा कर्मचारी बताते हैं कि उन्हें अपने समकक्ष नियमित कर्मचारियों की तरह पूरा या कई बार उससे भी ज्यादा काम लिया जाता है और संविदा पर होने के कारण उनके साथ कार्यालय में भेदभाव तक किया जाता है।
संविदा कर्मचारी इस भेदभाव पूर्ण रवैये के खिलाफ हैं। कर्मचारियों के मुताबिक उन्हें उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री अपनी घोषणा पूरी करेंगे लेकिन वे अपने उन शब्दों को याद भी नहीं करना चाहते। इन कर्मचारियों ने बताया अब तक कई बार उनका वेतन नियमित कर्मचारियों के 90 प्रतिशत करने की बात उनके नेता करते रहे लेकिन यह सब केवल आश्वासन ही रहा। पिछले दिनों तो राज्य शिक्षा केंद्र के कर्मचारियों को इसे लेकर सीएम शिवराज की घोषणा की तारीख तक दे दी गई थी लेकिन ऐसा नहीं हआ। मुख्यमंत्री ने कोई घोषणा नहीं की और कर्मचारी निराश रहे। यही वजह है कि अब संविदा कर्मचारी सरकार से नाराज़ दिखाई देरहे हैं।