तीन दर्जन सरकारी दफ़्तरों को बंद करने जा रही मध्यप्रदेश सरकार


— प्रदेश में हर महीने करीब 1.23 लाख युवा बेरोजगार करवाते हैं पंजीयन
— परीक्षा पास करने के बाद भी सैकड़ों युवाओं को सरकार ने नहीं दी नौकरी
— 2014 में 2208 संविदा लेखापालों की नियुक्ति होनी थी लेकिन हुई केवल 595 की


DeshGaon
उनकी बात Updated On :
चयनित शिक्षकों द्वारा भोपाल में किया गया प्रदर्शन (फाइल फोटो)


इंदौर। मध्यप्रदेश में पच्चीस लाख बेरोज़गार हैं। जिनके लिये प्रदेश सरकार ने अपने बजट में 24200 शिक्षकों की नौकरियां निकाली हैं। बेरोज़गारों की संख्या पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एक दूसरा तरीका निकाला है। सरकार प्रदेश में रोजगार कार्यालयों की ही संख्या कम करने जा रही है। विधानसभा में सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वे प्रदेश के 51 में 36 रोजगार कार्यालय बंद करने जा रही है।

पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह के द्वारा विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया है कि मार्च 2020 से 10 फरवरी 2021 तक 1357493 उम्मीदवारों ने इन दफ्तरों में अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है। इसे फरवरी 2021 तक का आंकड़ा माना जाए तो हर महीने करीब 1.23 लाख युवा बेरोजगार इन रोजगार कार्यालयों में अपना पंजीयन करवा रहे हैं।

ऐसी स्थिति में भी सरकार अपने 36 रोजगार कार्यालय बंद करने जा रही है। बेरोजगारों का एक आंकड़ा इन्हीं रोजगार कार्यालयों में होने वाले रजिस्ट्रेशन से साफ होता है लेकन प्रदेश में जब कुल 15 ही रोजगार कार्यालय होंगे तब बेरोजगारों का रजिस्ट्रेशन कहां होगा यह समझना इन बेरोजगारों के लिए मुश्किल काम है।

विधानसभा में सरकार के द्वारा दिये गए जवाब से रोजगार नीतियों को लेकर प्रदेश सरकार पर कई सवाल उठ रहे हैं। इसके अलावा सरकार ने बजट में कई नौकरियों का वादा किया है लेकिन यह नौकरियां कब मिल पाएंगी यह फिलहाल साफ नहीं किया है। प्रदेश सरकार पहले भी कई बार नौकरियां निकाल चुकी है इसके लिए बेरोजगारों ने परिक्षाएं भी दी लेकिन इन परिक्षाओं में पास होकर भी उनके पास नौकरियां नहीं हैं।

शिक्षक भर्ती परीक्षा पास कर चुके करीब इक्कीस हजार अभ्यार्थी अब भी नौकरी का इंतजार कर रहे हैं। इनके संगठन अक्सर सरकार को मनाने के लिये प्रदर्शन करते रहते हैं लेकिन इन प्रदर्शनों का भी सरकार पर कोई खास असर नहीं पड़ा है।

इससे पहले भी साल 2014 में राज्य सरकार ने राज्य शिक्षा केंद्र के लिये 2208 संविदा लेखापालों की भर्ती  का विज्ञापन निकाला था। इसके बाद अप्रैल 2015 में इसकी परीक्षा ली गई और परिणाम इसी साल अगस्त में आ गया था। इसके बाद भी सफल अभ्यार्थियों को नियुक्ति के लिए कोर्ट जाना पड़ा।

इस दौरान सरकार ने भी केवल 2208 में से 595 लोगों को ही नौकरी दी थी। इन अभ्यार्थियों को दो साल तक इंतजार करना पड़ा था। शेष अभ्यार्थियों को नौकरी आज तक नहीं मिली। इस दौरान मामला कोर्ट में भी गया लेकिन फैसला बेरोजगारों के पक्ष में नहीं आया। आज करीब सात साल बाद भी ये अभ्यार्थी समझ नहीं पा रहे हैं कि सरकार ने उन्हें  नौकरी क्यों नहीं दी जबकि सरकार ने  2208 नौकरियों का ऐलान किया था।

 


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