जलाशयों में घटता उत्पादन और कमजोर हालात: मछुआरों की आवाज विधानसभा में गूंजी


मध्य प्रदेश विधानसभा शीतकालीन सत्र में निवास विधायक चेन सिंह बरकड़े ने मछुआरों की समस्याओं को उठाया। उन्होंने जलाशयों में मछली उत्पादन घटने, महासंघ चुनाव न होने और मजदूरी दर कम होने पर सवाल किया। मंत्री ने बताया कि मजदूरी दर ₹34 और ₹20 प्रति किलो है, लेकिन महासंघ चुनाव की समय सीमा तय नहीं है। मछुआरा समुदाय ने चुनाव कराने और मछली उत्पादन बढ़ाने की मांग की।


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उनकी बात Updated On :

मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में निवास विधायक चेन सिंह बरकड़े ने प्रदेश के बड़े जलाशयों में कार्यरत मछुआरा परिवारों की गंभीर समस्याओं को लेकर मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास मंत्री से सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि प्रशासकों के माध्यम से मछली पकड़वाने के कारण मछुआरा परिवारों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति क्यों कमजोर हो रही है और मध्य प्रदेश राज्य मत्स्य महासंघ का चुनाव कब तक कराया जाएगा।

 

विधायक के सवाल और मंत्री का जवाब

बरकड़े ने सदन में कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में मछुआरों को मछली पकड़ने की कम दरों पर मजदूरी दी जा रही है, जो उनके जीवन-यापन के लिए पर्याप्त नहीं है। मंत्री ने जवाब में कहा कि मेजर कार्प मछलियों के लिए ₹34 प्रति किलो और माइनर कार्प मछलियों के लिए ₹20 प्रति किलो की दर निर्धारित है। लेकिन राज्य मत्स्य महासंघ के चुनाव कराने की कोई निश्चित समय सीमा नहीं बताई जा सकती।

दो दशकों से नहीं हुए महासंघ के चुनाव

ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश राज्य मत्स्य महासंघ 7 बड़े और 19 मध्यम जलाशयों का प्रबंधन करता है, जिनका कुल क्षेत्रफल 2.29 लाख हेक्टेयर है। महासंघ के जरिए मछुआरा विकास और जलाशयों के समुचित प्रबंधन के लिए सहकारी समितियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई थी। लेकिन महासंघ का चुनाव पिछले 20 वर्षों से अधिक समय से नहीं हुआ है, और प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से ही सारा कार्य संचालित किया जा रहा है।

मछुआरों की समस्याएं और पलायन की चुनौती

बरगी जलाशय, जो मछली उत्पादन का प्रमुख केंद्र है, में उत्पादन में भारी गिरावट आई है। इसके कारण स्थानीय मछुआरों को मजबूरी में अन्य क्षेत्रों में पलायन करना पड़ रहा है। मछुआरों का कहना है कि वर्तमान मजदूरी दर महंगाई के समय में बेहद कम है और इससे उनका जीवनयापन मुश्किल हो गया है।

बरगी बांध विस्थापित मछुआ संघ के अध्यक्ष मुन्ना बर्मन और राज राजेश्वरी मछुआरा सहकारी समिति के अध्यक्ष रमेश नंदा ने सरकार से मांग की है कि जलाशयों में घटते मछली उत्पादन का अध्ययन विशेषज्ञों द्वारा कराया जाए। साथ ही, महासंघ के निष्पक्ष चुनाव कराए जाएं, ताकि स्थानीय सहकारी समितियों की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

 

मछुआरा समाज की मांगें

1. मजदूरी दरों में वृद्धि: मछुआरा परिवार चाहते हैं कि मछली पकड़ने की दरों में वृद्धि की जाए ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके।

2. जलाशयों के उत्पादन में सुधार: विशेषज्ञों द्वारा जलाशयों की स्थिति का अध्ययन कर उत्पादन बढ़ाने के उपाय किए जाएं।

3. महासंघ के चुनाव: राज्य मत्स्य महासंघ का जल्द से जल्द चुनाव कर स्थानीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए।

 

सरकार की ओर से ठोस कदमों की जरूरत

मध्य प्रदेश के मछुआरा समुदाय की समस्याएं गहराती जा रही हैं। यह आवश्यक है कि सरकार इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करे। महासंघ के चुनाव से लेकर मजदूरी दर में बढ़ोतरी तक, सभी मांगों पर त्वरित कार्यवाही होनी चाहिए। जलाशयों के विकास और मछुआरों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए ठोस योजनाएं बनाना समय की मांग है।

 

 

 



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