सोयाबीन के गिरते भाव पर किसानों का आंदोलन, तिरंगा यात्रा के साथ सौंपा ज्ञापन


मध्यप्रदेश के देवास जिले में भारतीय किसान यूनियन और संयुक्त किसान मोर्चा ने सोयाबीन की गिरती कीमतों के विरोध में तिरंगा यात्रा निकालकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। किसानों की मांग है कि सोयाबीन की न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹6000 प्रति क्विंटल की जाए। वे चेतावनी दे रहे हैं कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे भोपाल की ओर ट्रैक्टर रैली करेंगे।


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उनकी बात Published On :

देवास जिले के खातेगांव में भारतीय किसान यूनियन और संयुक्त किसान मोर्चा, मध्यप्रदेश के नेतृत्व में किसानों ने सोयाबीन के गिरते भावों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। किसानों ने ट्रैक्टरों के साथ तिरंगा यात्रा निकालते हुए एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मुख्य मांग सोयाबीन की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को ₹6000 प्रति क्विंटल किए जाने की थी।

 

किसानों की प्रमुख मांगें और आंदोलन की पृष्ठभूमि

संयुक्त किसान मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रमुख रंजीत किसानवंशी ने बताया कि सोयाबीन की कीमतें पिछले 10 वर्षों में अपने न्यूनतम स्तर पर आ गई हैं। वर्तमान में जो कीमत मिल रही है, वह 10 साल पहले की तुलना में समान है। बढ़ती महंगाई और उत्पादन लागत में वृद्धि के बावजूद सोयाबीन की कीमतें नहीं बढ़ी हैं, जिससे किसानों में असंतोष फैल गया है।

 

किसान लंबे समय से सोयाबीन की उचित कीमतों की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अब किसानों ने आंदोलन की रूपरेखा तैयार की है, जिसके तहत पहले चरण में राज्य के लगभग 5000 गांवों में पंचायत सचिवों को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में सोयाबीन के न्यूनतम समर्थन मूल्य को ₹6000 प्रति क्विंटल करने की मांग की गई है। इसके बाद, तहसील स्तर पर ज्ञापन सौंपे गए हैं, और यदि सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी, तो आंदोलन को राजधानी भोपाल तक ले जाने की चेतावनी दी गई है।

आयात-निर्यात नीति पर सवाल

किसानों का कहना है कि देश में खाद्यान्न तेल की आयात-निर्यात नीति किसानों के हित में नहीं है। जब किसानों की फसल पककर बाजार में पहुंचती है, तब निर्यात पर रोक लगाकर आयात को खोल दिया जाता है, जिससे कीमतें गिर जाती हैं। इस नीति को कॉर्पोरेट हितैषी बताते हुए किसान नेताओं ने कहा कि सरकार को इस नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए।

 

वर्तमान में सोयाबीन का समर्थन मूल्य ₹4892 प्रति क्विंटल है, जो बढ़ती महंगाई और कृषि संसाधनों की बढ़ती लागत को देखते हुए नाकाफी है। खाद, बीज, कीटनाशक और अन्य कृषि संसाधनों की कीमतें बढ़ने के बावजूद किसानों को उचित मुनाफा नहीं मिल पा रहा है। किसानों ने राज्य सरकार से मांग की है कि समर्थन मूल्य पर ₹1108 का अतिरिक्त बोनस जोड़कर सोयाबीन की कीमत ₹6000 प्रति क्विंटल की जाए।

 

आंदोलन की अगली कड़ी

संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों ने बताया कि यदि उनकी मांगों को नहीं माना गया, तो किसान प्रदेशव्यापी आंदोलन करेंगे और राजधानी भोपाल की ओर ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। किसानों की यह मांग गांव-गांव तक पहुंच रही है और तेजी से समर्थन जुटा रही है। किसान नेताओं ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि समय रहते उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

 

किसानों की स्थिति पर चिंता

मध्यप्रदेश के सोयाबीन किसान लगातार घाटे में खेती कर रहे हैं। खरीफ की फसलें मौसम पर निर्भर होती हैं, और मौसम की अनिश्चितताओं के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इसके बावजूद फसल के उचित दाम न मिलने से किसान आर्थिक संकट में हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि अगर सरकार किसानों को घाटे से बचाना चाहती है, तो सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹6000 प्रति क्विंटल करना अनिवार्य है।

 

आगे की रणनीति

सोयाबीन के भावों पर छिड़े इस आंदोलन को लेकर प्रदेश के अन्य इलाकों के किसानों का कहना है कि आगामी दिनों में भी पंचायत स्तर पर ज्ञापन सौंपने की प्रक्रिया जारी रहेगी। किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो वे अपने ट्रैक्टरों के साथ राजधानी भोपाल की ओर कूच करेंगे और आंदोलन को और बड़ा रूप देंगे।

इस बीच, किसानों के समर्थन में विभिन्न किसान संगठनों और सामाजिक संगठनों का समर्थन भी बढ़ता जा रहा है। सोयाबीन की कीमतों को लेकर यह मुद्दा अब प्रदेश के हर गांव और शहर तक पहुंच गया है।



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