सितंबर 2024 में केंद्र सरकार द्वारा सोयाबीन और अन्य खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने के बावजूद, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में सोयाबीन किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। घरेलू बाजार में सोयाबीन की कीमतें अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे बनी हुई हैं। सरकार ने खरीफ सीजन 2024-25 के लिए सोयाबीन का MSP ₹4892 प्रति क्विंटल तय किया था, जबकि मंडियों में नई फसल ₹4200 से ₹4600 प्रति क्विंटल में बिक रही है।
आयात शुल्क बढ़ोतरी का असर
सरकार ने सितंबर में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 0% से 20% तक बढ़ा दिया, जिससे सोयाबीन तेल की कीमतों में करीब 5.75% की वृद्धि दर्ज की गई है। 13 सितंबर तक पैक्ड रिफाइंड सोयाबीन तेल का औसत खुदरा दाम ₹118.81 प्रति लीटर था, जो 22 सितंबर तक बढ़कर ₹125.65 प्रति लीटर हो गया। हालांकि, इस वृद्धि का फायदा केवल तेल कंपनियों और व्यापारियों को हो रहा है, जबकि किसानों को इसका सीधा लाभ नहीं मिल रहा है।
किसानों का विरोध और आंदोलन
किसानों के मुताबिक, मौजूदा कीमतें उनकी लागत को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य संगठनों ने सोयाबीन की कम कीमतों को लेकर कई विरोध प्रदर्शन किए हैं। उनका कहना है कि जब तक सरकार सोयाबीन की MSP को ₹6000 प्रति क्विंटल तक नहीं बढ़ाती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
केंद्र सरकार ने सोयाबीन की खरीदी और खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन किसानों को अभी भी पर्याप्त राहत नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार भी इस समस्या के समाधान के लिए कदम उठा रही है, जिसमें अतिरिक्त सोयाबीन की खरीदी पर विचार किया जा रहा है।
खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी के बावजूद सोयाबीन किसानों की समस्याएं बनी हुई हैं। जहां एक ओर तेल की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज हो रही है, वहीं दूसरी ओर किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। किसान संगठनों की मांग है कि सोयाबीन का MSP बढ़ाकर ₹6000 प्रति क्विंटल किया जाए ताकि उनकी लागत पूरी हो सके और उन्हें आर्थिक सुरक्षा मिल सके।
इस मामले में कांग्रेस से जुड़े किसान नेता केदार सिरोही कहते हैं कि सरकार जब सर्मथन मूल्य पर खरीदी करेगी भी तो वह अधिकतम30-40 प्रतिशत होगा क्योंकि सरकार यह पहले ही स्पष्ट कर चुकी है और केंद्र सरकार ने इतने की ही अनुमति दी है। सिरोही ने कहा कि तेल महंगा हो रहा है, सरकार महंगाई को बढ़ाने के लिए नीतियां बना रही है जनता महंगाई से परेशान है लेकिन किसानों को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है। ऐसे में किसान क्या करे, वह केवल अपनी आवाज उठा सकता है। लगातार किसानों को कमजोर समझा जा रहा है। सरकार ने अपने विरोधियों से बात करना तो दूर भारतीय किसान संघ के उन लोगों से बात तक नहीं की है जो उनके अपने हैं। ऐसे में सरकार का दंभ समझा जा सकता है।