प्रधानमंत्री ने देश के किसानों के खिलाफ खुला हमला करते हुए यह दावा किया है कि उनका संघर्ष विपक्षी पार्टियों से जुड़ा हुआ है। खेती के तीन नये कानून जो किसानों की जमीन व खेती पर पकड़ समाप्त कर देंगे और विदेशी कम्पनियों व बड़े व्यवसायियों को बढ़ावा देंगे, की समस्या को सम्बोधित करने की जगह प्रधानमंत्री ने अपनी हैसियत एक पार्टी नेता की बना दी है और देश के जिम्मेदार कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका का अपमान किया है।
खेती की अधिरचना में कॉरपोरेट के निवेश को बढ़ावा देने के लिए उनकी सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये आवंटित किया है, जबकि सरकार को खुद या सहकारी क्षेत्र द्वारा ये सुविधाएं देनी चाहिए। प्रधानमंत्री को जानकारी होनी चाहिए कि जहां धान का एमएसपी 1870 रुपये है वहां किसान उसे 900 रुपये पर बेचने के लिए मजबूर हैं।
कृषि मंत्री द्वारा लिखे गये खुले पत्र की आलोचना करते हुए एआईकेएससीसी ने कहा है कि यह पत्र कांग्रेस, आप, अकाली और इतिहास पर उनकी समझ का हवाला देता है, जो किसान आन्दोलन के मसले ही नहीं हैं।
उन्होंने यह झूठा दावा किया है कि किसान की जमीन नहीं छिनेगी, जबकि ठेका कानून 2020 कहता है कि पैसा प्राप्त करने के लिए किसान को धारा 9 के तहत अलग से जमीन गिरवी रखनी पड़ेगी और अगर उसने धारा 14.2 के तहत कम्पनी से कोई उधार लिया है तो उसकी वसूली 14.7 के तहत भू-राजस्व के बकाये के तौर पर होगी।
सभी किसान भाइयों और बहनों से मेरा आग्रह !
"सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास" के मंत्र पर चलते हुए प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने बिना भेदभाव सभी का हित करने का प्रयास किया है। विगत 6 वर्षों का इतिहास इसका साक्षी है।#ModiWithFarmers pic.twitter.com/Ty6GchESUG
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) December 17, 2020
मंत्री का एमएसपी पर आश्वासन इस बात से गलत साबित हो जाता है कि नीति आयोग के विशेषज्ञ कह रहे हैं कि सरकार के पास खाने का अत्यधिक भंडार है, न रखने की जगह है न खरीदने का पैसा और मंत्री सरकारी खरीद का कानून बनाने से मना कर रहे हैं।
समय पर भुगतान जैसे अन्य दावों पर कानून कहता है कि रसीद देकर फसल ली जाएगी और 3 दिन बाद भुगतान होगा और यह भी कि भुगतान फसल को आगे बेचने के बाद किया जा सकता है।
कल एआईकेएससीसी मंत्री के पत्र का खुला जवाब जारी करेगी।
- एआईकेएससीसी ने कहा कि प्रधानमंत्री भाजपा बनाम विपक्ष का राजनीतिक खेल न खेलें, किसानों की मांगे सुलझाएं।
- कॉरपोरेट के लिए समर्पित, ठंड के बावजूद किसानों के प्रति बेपरवाह।
- धान 900 रुपये क्विंटल बिक रहा है, एमएसपी 1800 रुपये क्विंटल है। प्रधानमंत्री चिन्तामुक्त।
- तकनीक देना सरकार की जिम्मेदारी, कम्पनियों द्वारा नहीं बेची जानी चाहिए।
- सरकार ने खेती में कम्पनियों के निवेश के लिए एक लाख करोड का आवंटन किया है, प्रधानमंत्री बताएं नए कानून के बाद किसानों की जमीन व फसल कैसे बचेगी।
- नरेन्द्र तोमर का किसानों के नाम पत्र झूठे दावे करता है, कानून कुछ और लिखता है; किसान की जमीन बचेगी, पेमेन्ट और रेट मिलेगा, ठेका कानून उल्टी बात कहता है।
- एमएसपी के मंत्री के दावे नीति आयोग के विशेषज्ञ नकारते हैं।
- खुला पत्र संकेत करता है कि सरकार वार्ता नहीं चाहती। तीन कानून व बिजली बिल वापसी तक आन्दोलन जारी रहेगा।
- एआइकेएससीसी ने यूपी में बढ़ते दमन की निन्दा की।
- फासीवादी मुहिम के खिलाफ देशव्यापी अभियान, कॉरपोरेट के लिए समर्पित मोदी ‘किसानों के मन की बात’ नहीं सुन रहे।
- योगी मन की बात कहने पर 50 लाख का बांड भरवा रहे हैं।
- संघर्ष तेजी पकड़ रहा है, सब केन्द्रों पर संख्या बढ़ी। राज्यों में धरने व विरोध की संख्या व भागीदारी बढ़ी।
- मुम्बई मे 22 को अम्बानी, अडानी कार्यालय पर प्रदर्शन।
एआईकेएससीसी ने सरकार से अपील की है कि वे इन तीन खेती के कानून व बिजली बिल 2020 वापस ले और इसके खिलाफ गलत प्रचार न फैलाए। किसान आन्दोलन जारी रखने के लिए भी संकल्पबद्ध हैं और आरएसएस-भाजपा के इन सवालों पर गलत प्रचार का मुकाबला करने के लिए भी। इस बीच सिंघु टिकरी व गाजीपुर व भीड़ बढ़ती जा रही है और अन्य स्थानों पर भी भागीदारी बढ़ रही है।
A farmer leader in west UP’s Sambhal reacts to a govt ‘breach of peace’ notice for 50 lakh rupees given on december 12 . The local administration calls it a ‘clerical error’ and says fresh notices being issued for 50 thousand rupees … pic.twitter.com/iI2hc2Eq4y
— Alok Pandey (@alok_pandey) December 18, 2020
एआईकेएससीसी ने उ.प्र. सरकार द्वारा सच बोलने और किसान आन्दोलन को आगे बढ़ाने के लिए 6 किसान नेताओं से बंधपत्र मांगने की कड़ी निन्दा की है। इस फासीवादी मुहिम के खिलाफ व देशव्यापी अभियान चलाएगी। एक ओर प्रधानमंत्री किसानों की बात सुनने को राजी नहीं और दूसरी ओर योगी 50 लाख का बंधपत्र थोप रहे हैं।
एआईकएससीसी की इकाईयां 20 दिसम्बर को श्रद्धांजलि दिवस की तैयारी कर रही हैं जो एक लाख से ज्यादा गांवों में मनाया जाएगा। धरने, भूख हड़ताल, मशाल जुलूस, पंचायत सभा की संख्या व भागीदारी बढ़ रही है। मुम्बई में 22 को कुर्ला बान्द्रा कॉम्प्लेक्स के अंबानी, अडानी के कार्यालय पर एक बड़ी रैली आयोजित की जाएगी।
इस बीच मध्यप्रदेश के मंत्रियों व मुख्यमंत्री ने यह सुनिश्चित किया कि कुछ किसानों का धान और गोभी अच्छे दाम पर खरीदा जाए। यह सभी किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने की समस्या को और उजागर करता है।