सरकार का कोई भी प्रस्ताव नया नहीं है, पहले ही सभी किसान संगठन इन्हें कर चुके हैं नामंजूर: सुनीलम


किसान संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने कहा-प्रधानमंत्री तत्काल कानून रद्द करने की घोषणा के लिए आगे आएं


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उनकी बात Published On :

मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह के साथ वार्ता विफल होने के बाद  आज  केन्द्र सरकार  की ओर से छह बिन्दुयों  का एक प्रस्ताव भेजा गया है. इस प्रस्ताव के बाद दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर इस वक्त 40 किसान संगठनों की बैठक जारी है, इनमें से 13 कल अमित शाह के साथ मीटिंग में मौजूद थे। राकेश टिकैत, मंजीत राय किसानों को बैठक की जानकारी देंगे, सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे। यहां योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर भी मौजूद हैं। इस  प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए किसान संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने एक बयान जारी कर कहा है कि, केंद्र सरकार का प्रस्ताव कोई नया नहीं है और इस प्रस्ताव को पहले ही किसान संगठनों ने नामंजूर कर दिया था।

सरकारी  प्रस्ताव पर  किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष  डॉ. सुनीलम की प्रतिक्रिया 

किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष  डॉ. सुनीलम ने एक बयान जारी कर कहा कि, केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए पांच प्रस्ताव किसान संगठनों को प्राप्त हुए हैं। पांचों प्रस्ताव पुराने हैं जिन पर छह राउंड की चर्चा हो चुकी है तथा किसान संगठनों ने इन प्रस्तावों को एक सिरे से खारिज कर दिया है। सरकार ने कहा है कि-

1.एमएसपी जारी रहेगी (सर्वविदित है कि एमएसपी सभी कृषि उत्पादों की तो दूर की बात है, 23 घोषित कृषि उत्पादों की भी नहीं मिल पा रही है।)
2. मंडी समितियों में सुधार की बात कही गई है लेकिन, कौन से सुधार होंगे? ( जो सुधार किसान चाहते हैं उनका क्या होगा, इसका कोई जिक्र नहीं है ।)
3. सभी प्राइवेट कंपनियों को रजिस्टर्ड कराया जाएगा। (इसमें कुछ भी नया नहीं है।)
4. सरकार किसानों को न्यायालय जाने का अधिकार देगी। (भारत के संविधान में किसी भी नागरिक को न्यायालय जाने से नहीं रोका जा सकता।)
5. सरकार फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाएगी।(अभी तक सरकार के पास इसका कोई ढांचा तैयार नहीं है। तमाम गंभीर अपराधों को लेकर फास्ट ट्रैक कोर्ट बने लेकिन कागजों तक ही सीमित रहें।)
6. सरकार प्राइवेट कंपनियों पर भी टैक्स लगाएगी।( यह पुराना प्रस्ताव है जिससे किसानों को कोई लाभ नहीं होगा।)

सरकार के प्रस्ताव से मालूम होता है कि सरकार अपने अढ़ियल रुख पर कायम है तथा किसानों की एक सूत्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने की तथा बिजली बिल वापस लेने की मांग ना मानने पर अडिग है।

किसान संघर्ष समिति सरकार के अढ़ियल रवैए की निंदा करती है तथा आंदोलन तेज करने की घोषणा करती है। डॉ सुनीलम ने कहा कि सभी किसान संगठनों, जन संगठनों, नागरिक संगठनों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों, ट्रांसपोर्टरों, युवाओं, महिला संगठनों, दलित संगठनों का आभार व्यक्त किया है जिन्होंने भारत बंद में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी की। आप की हिस्सेदारी से गोदी मीडिया एवं सरकार जो भ्रम फैला रही थी कि यह केवल पंजाब का आंदोलन है, वह भ्रम टूट गया है। देश का किसान तीनों कानूनों को रद्द कराने तथा बिजली संशोधन बिल 2020 वापसी के लिए एकजुट है।

उन्होंने कहा है कि, कल, 8 दिसंबर को  गृह मंत्री अमित शाह से किसान संगठनों की रात के 12:00 बजे तक बातचीत चली। उन्होंने वही सब कुछ दोहराया जो नरेंद्र सिंह तोमर पिछली पांच वार्ताओं में किसानों से कह रहे हैं । सरकार यह कह रही है कि हम कानून रद्द करने के अलावा बातचीत करने को तैयार है लेकिन देश भर के किसानों के विरोध के बावजूद कानून रद्द न करने के पीछे कौन सी तकनीकी, राजनीतिक और आर्थिक मजबूरियां है यह सरकार बताने को तैयार नहीं है। यह सवाल किसान संगठनों द्वारा पिछली पांच वार्ताओं द्वारा पूछा जा रहा है लेकिन सरकार मौन है। इससे स्पष्ट है कि सरकार अडानी, अंबानी और अन्य कारपोरेट घरानों से जो समझौते कर चुकी है उनसे पीछे हटने को तैयार नहीं है।

उन्होंने कहा कि सरकार धीरे-धीरे किसान आंदोलन को कानून व्यवस्था का सवाल बना कर आगे बढ़ रही है। जबकि किसानों के लिए तीन कानूनों को रद्द कराना, खेती के कार्पोरेटिकरण को रोकने एवं किसान किसानी और गांव को बचाने के लिए अस्तित्व का सवाल है जिसे सरकार समझने को तैयार नहीं है। सरकार किसानों को एमएसपी और सुधार के प्रस्ताव देकर बांटने की जुगत में है। अभी तक कोई भी संगठन सरकार के दबाव में नहीं आया है लेकिन भाजपा और अधिकारी दिन-रात किसान आंदोलन को तोड़ने में जुटे हैं।ऐसे समय में किसानों के सामने एक मात्र विकल्प भारत बंद से पैदा हुई ऊर्जा और एकजुटता के इस्तेमाल से आंदोलन को तेज करना है।

आंदोलन को तेज करने का एक तरीका यह है कि गोदी मीडिया और सरकारी प्रोपेगेंडा भाजपा नेताओं के बयानों का बिंदुवार जवाब दें। इसके लिए सभी संगठनों ने तमाम साहित्य प्रकाशित किए है उसे अधिक से अधिक ग्रुपों में शेयर करें। गांव के चौपालों, चौराहों पर बैठकर किसानों को मंडी व्यवस्था, एमएसपी व्यवस्था, खाद्य सुरक्षा व्यवस्था, कृषि समाप्त होने से रोजगार का संकट आदि मुद्दों की जानकारी दें।

किसान संघर्ष समिति ने कहा है कि हम उम्मीद करते हैं कि सरकार हठधर्मिता छोड़ेगी तथा प्रधानमंत्री देश के नाम विशेष संदेश जारी कर तीनों कानूनों को रद्द करने और बिजली बिल वापस लेंगे। देश के तमाम वरिष्ठ राजनेताओं द्वारा, मुख्यमंत्रियों द्वारा विशेष सत्र बुलाकर कानून रद्द करने की मांग की जा रही है। किसान लगातार बातचीत जारी रखते हुए शांतिपूर्ण तरीके से कृषि कानूनों को रद्द कराना चाहते हैं। हमें इस बात की खुशी है कि तमाम सरकारी दबाव के बावजूद अध्यादेश लाने, बिल लाने, जबरदस्ती कानून थोपने के खिलाफ देशभर के सभी किसान आंदोलन शांतिपूर्ण रहे हैं।

 

 

 



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