किसान आंदोलनः रुक नहीं रहा मौतों का सिलसिला, अब उन्नीस साल के नौजवान की गई जान


शनिवार रात तक कुल चौबीस घंटों में किसान आंदोलन के प्रदर्शन क्षेत्र में करीब तीन मौतें हो चुकी हैं। इससे पहले सुबह उप्र के रामपुर के रहने वाले किसान कश्मीर सिंह ने फांसी लगा ली थी। वहीं एक दिन पहले ही गलटन सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।  


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नई दिल्ली। किसान आंदोलन में भाग ले रहे एक ओर किसान की मौत की खबर शनिवार रात को आई। इस बार मौत किसी उम्रदराज़ किसान की नहीं हुई थी बल्कि एक नौजवान की हुई थी। भटिंडा से आए उन्नीस साल के जश्नप्रीत पिता गुरनैल सिंह की मौत हो गई। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था।

 

शनिवार रात तक कुल चौबीस घंटों में किसान आंदोलन के प्रदर्शन क्षेत्र में करीब तीन मौतें हो चुकी हैं। इससे पहले सुबह उप्र के रामपुर के रहने वाले किसान कश्मीर सिंह ने फांसी लगा ली थी। वहीं एक दिन पहले ही गलटन सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।

किसानों के इस आंदोलन का यह 39वां दिन हैं। उत्तर भारत की कड़ाके की ठंड में ये किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार से भी कोई ठोस आश्वासन अब तक नहीं मिला है। ऐसे में प्रदर्शनकारी किसान सरकार पर अविश्वास जता रहे हैं। चार जनवरी को एक बार फिर बातचीत होनी है। हालांकि किसान अब तय कर चुके हैं कि वे सरकार के आगे नहीं झुकेंगे और अगर बातचीत में उनकी मांगों के अनुरूप फैसले नहीं लिये जाते हैं तो वे ट्रैक्टर मार्च भी करेंगे।

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अब तक करीब पचास से अधिक किसानों की मौत इस आंदोलन में हो चुकी है। किसान इस मुसीबत में अपने साथियों को देखकर आत्महत्या कर रहे हैं। शनिवार सुबह कश्मीर सिंह ने फांसी लगा ली थी। उन्होंने अपने सुईसाइड नोट में लिखा था कि किसान कब तक इस ठंड में बैठेंगे ये सरकार सुन नहीं रही।

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किसान आदोंलन में भी भले ही केंद्र और भाजपा की दूसरी सरकारें खुद को ज्यादा परेशान न दिखा रहीं हों लेकिन उनके उपर इसका असर नजर आ रहा है। अब तक किसान आंदोलन के कारण करीब सत्तर हजार करोड़ के कारोबारी नुकसान की जानकारी आ रही है।   वहीं सरकार की सबसे बड़ी आलोचना इसी आंदोलन पर ही हो रही है। मध्यप्रदेश में निकाय चुनावों को आगे बढ़ा दिया गया है। बताया जाता है कि सर्वे रिपोर्ट में माहौल भाजपा के खिलाफ में भी जा रहा था। वहीं कई दूसरे राज्यों में हुए चुनावों में यह चुनावी नुकसान नजर आ चुका है।


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