Delhi: Union Minister Narendra Singh Tomar holds meeting with farmers' leaders from Haryana at Krishi Bhawan. pic.twitter.com/Wzmd1zesW0
— ANI (@ANI) December 12, 2020
वहीं, संयुक्त किसान आंदोलन के नेता कमल प्रीत सिंह पन्नू ने कहा है कि, कल रविवार को 11 बजे शाहजहांपुर (राजस्थान) से जयपुर-दिल्ली रोड को रोकने के लिए हज़ारों की संख्या में किसान ट्रैक्टर मार्च करेंगे।
किसान नेता कमलप्रीत पन्नू ने कहा कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। संशोधन मंजूर नहीं है। हम सरकार से बातचीत से इनकार नहीं करते हैं।हम आंदोलन को और तेज करेंगे। सरकार चाहती है कि इसे लटका दिया जाए, लेकिन हमारे गांव से लोग चल पड़े हैं। लोग आ न सके इसके लिए बैरिकेड लगाए गए, वो भी तोड़ दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अभी हमारा धरना दिल्ली के 4 प्वाइंट पर चल रहा है।कल राजस्थान बॉर्डर से हजारों किसान ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और दिल्ली-जयपुर हाइवे बंद करेंगे। 14 दिसंबर को सारे देश के डीसी ऑफिस में प्रोटेस्ट करेंगे। हमारे प्रतिनिधि 14 दिसंबर को सुबह 8 से 5 बजे तक अनशन पर बैठेंगे।
We'll foil any attempt by the Centre to fail our movement. Govt had made a few small attempts to divide us and instigate people of our movement. But, we will peacefully take this movement towards victory: Kamal Preet Singh Pannu, Leader, Sanyukta Kisan Andolan https://t.co/eOaPl8cQD8 pic.twitter.com/rGkzMwrmuh
— ANI (@ANI) December 12, 2020
किसान नेता गुरनाम सिंह चारुणी ने कहा कि पंजाब से आने वाले किसानों को रोका जा रहा है। हम सरकार से किसानों को दिल्ली पहुंचने की अनुमति देने की अपील करते हैं। अगर सरकार 19 दिसंबर से पहले हमारी मांगों को नहीं मानती है, तो हम उसी दिन गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस से उपवास शुरू करेंगे।
Farmers' trolleys coming from Punjab are being stopped. We appeal govt to allow farmers to reach Delhi…If govt doesn't accept our demands before 19th Dec, then we'll start a fast from the martyrdom day of Guru Tegh Bahadur on the same date: Farmer leader Gurnam Singh Charuni https://t.co/cqLpWFAaCU pic.twitter.com/G1wkNOeqFs
— ANI (@ANI) December 12, 2020
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के लगातार कदमों की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि असल में सरकार किसानों की मुक्त समस्या तीन खेती के कानून और बिजली बिल 2020 की वापसी को हल नहीं करना चाहती। अपने जिद्दी रवैये को छिपाने के लिए वह इस तरह के कदम उठा रही है। पहले केन्द्र सरकार ने दावा किया कि किसानों का यह आंदोलन राजनीतिक दलों द्वारा प्रोत्साहित है। फिर उसने कहा कि यह विदेशी ताकतों द्वारा प्रोत्साहित है, इसके बाद उसने कहा कि यह पंजाब का आंदोलन है, जिसमें खालिस्तान पक्षधर ताकतें भाग ले रही हैं।
उन्होंने कहा कि किसान संगठन वार्ता से बच रहे हैं जबकि हमने सभी वार्ताओं में भाग लिया, किसी वार्ता में जाने से मना नहीं किया और विस्तार से सरकार को अपना पक्ष समझाया और कहा कि वह साफ करे कि वह कानून वापस लेगी या नहीं। सच यह है कि सरकार के पास किसानों से बात करने के लिए कुछ है ही नहीं।
आरएलपी नेता हनुमान बेनीवाल ने आज कोटपुतली में कहा कि, किसानों के लिए यदि जरुरत पड़ी तो वह संसद की सदस्यता से इस्तीफा भी दे देंगे. बेनीवाल ने कहा कि, किसान विरोधी तीन बिल जिस दिन लोकसभा में आए अगर मैं उस दिन लोकसभा में होता तो निश्चित रूप से जिस तरह से अकाली दल ने विरोध किया हनुमान बेनीवाल NDA का पार्ट होते हुए भी इन बिलों का विरोध करता और लोकसभा के अंदर बिलों को फाड़कर फेंक देता।
I wasn't present in the Lok Sabha when farm bills were passed. If I were there, I would have opposed it like Shiromani Akali Dal despite being a part of NDA and would have torn it into pieces: Hanuman Beniwal, Rashtriya Loktantrik Party #Rajasthan pic.twitter.com/TNfgMVmaNe
— ANI (@ANI) December 12, 2020