किसान संगठनों के प्रतिनिधि और अध्यक्ष 14 को अनशन पर बैठेंगे:कमल प्रीत सिंह पन्नू


युक्त किसान आंदोलन के नेता कमल प्रीत सिंह पन्नू ने कहा है कि, कल रविवार को 11 बजे शाहजहांपुर (राजस्थान) से जयपुर-दिल्ली  रोड को  रोकने के लिए हज़ारों की संख्या में किसान ट्रैक्टर मार्च करेंगे।


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उनकी बात Published On :

किसान नेता कमल प्रीत सिंह पन्नू ने कहा कि, सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधि और अध्यक्ष स्टेज पर 14 तारीख को अनशन पर बैठेंगे। उन्होंने कहा –  “हम अपनी माताओं और बहनों से इस आंदोलन में शामिल होने का आह्वान करते हैं। उनके रहने, ठहरने और टॉयलेट का प्रबंध करने के बाद हम उन्हें इस आंदोलन में शामिल करेंगे।”
इस बीच खबर है कि आज शाम हरियाणा के किसानों के एक समूह ने कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मुलाकात की।

वहीं,  संयुक्त किसान आंदोलन के नेता कमल प्रीत सिंह पन्नू ने कहा है कि, कल रविवार को 11 बजे शाहजहांपुर (राजस्थान) से जयपुर-दिल्ली  रोड को  रोकने के लिए हज़ारों की संख्या में किसान ट्रैक्टर मार्च करेंगे।

किसान नेता कमलप्रीत पन्नू ने कहा कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। संशोधन मंजूर नहीं है। हम सरकार से बातचीत से इनकार नहीं करते हैं।हम आंदोलन को और तेज करेंगे। सरकार चाहती है कि इसे लटका दिया जाए, लेकिन हमारे गांव से लोग चल पड़े हैं। लोग आ न सके इसके लिए बैरिकेड लगाए गए, वो भी तोड़ दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अभी हमारा धरना दिल्ली के 4 प्वाइंट पर चल रहा है।कल राजस्थान बॉर्डर से हजारों किसान ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और दिल्ली-जयपुर हाइवे बंद करेंगे। 14 दिसंबर को सारे देश के डीसी ऑफिस में प्रोटेस्ट करेंगे। हमारे प्रतिनिधि 14 दिसंबर को सुबह 8 से 5 बजे तक अनशन पर बैठेंगे।

 

किसान नेता गुरनाम सिंह चारुणी ने कहा कि पंजाब से आने वाले किसानों को रोका जा रहा है। हम सरकार से किसानों को दिल्ली पहुंचने की अनुमति देने की अपील करते हैं। अगर सरकार 19 दिसंबर से पहले हमारी मांगों को नहीं मानती है, तो हम उसी दिन गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस से उपवास शुरू करेंगे।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के लगातार कदमों की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि असल में सरकार किसानों की मुक्त समस्या तीन खेती के कानून और बिजली बिल 2020 की वापसी को हल नहीं करना चाहती। अपने जिद्दी रवैये को छिपाने के लिए वह इस तरह के कदम उठा रही है। पहले केन्द्र सरकार ने दावा किया कि किसानों का यह आंदोलन राजनीतिक दलों द्वारा प्रोत्साहित है। फिर उसने कहा कि यह विदेशी ताकतों द्वारा प्रोत्साहित है, इसके बाद उसने कहा कि यह पंजाब का आंदोलन है, जिसमें खालिस्तान पक्षधर ताकतें भाग ले रही हैं।

उन्होंने कहा कि किसान संगठन वार्ता से बच रहे हैं जबकि हमने सभी वार्ताओं में भाग लिया, किसी वार्ता में जाने से मना नहीं किया और विस्तार से सरकार को अपना पक्ष समझाया और कहा कि वह साफ करे कि वह कानून वापस लेगी या नहीं। सच यह है कि सरकार के पास किसानों से बात करने के लिए कुछ है ही नहीं।

आरएलपी नेता हनुमान बेनीवाल ने आज कोटपुतली में  कहा कि, किसानों के लिए यदि जरुरत पड़ी तो वह संसद की सदस्यता से इस्तीफा भी दे देंगे. बेनीवाल ने कहा कि, किसान विरोधी तीन बिल जिस दिन लोकसभा में आए अगर मैं उस दिन लोकसभा में होता तो निश्चित रूप से जिस तरह से अकाली दल ने विरोध किया हनुमान बेनीवाल NDA का पार्ट होते हुए भी इन बिलों का विरोध करता और लोकसभा के अंदर बिलों को फाड़कर फेंक देता।

 



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