किसान आंदोलन: AIKSCC ने वी एम सिंह के बयान से किया किनारा, तीनों कृषि कानून रद्द की मांग पर अडिग, कल उपवास


किसान नेताओं ने जारी बयान में कहा कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का राष्ट्रीय कार्य समूह वीएम सिंह के मीडिया में दिए गए एक बयान से खुद को अलग करता है। बयान न तो एआईकेएससीसी द्वारा अधिकृत था और न ही इसने वर्किंग ग्रुप के निर्णय लेने के प्रोटोकॉल का पालन किया था। एआइकेएससीसी  के वर्किंग ग्रुप ने अपनी बात दोहराई कि वह किसानों की मांग के साथ है और वह न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी चाहता है।


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नई दिल्ली। किसान आंदोलन का आज 18 वां दिन है सर्द मौसम और तमाम अन्य दिक्कतों के बाद भी सिंघु और टीकरी समेत अन्य जगहों पर प्रदर्शन अब भी जारी है। अपने आंदोलन को तेज करते हुए संयुक्त किसान आंदोलन के नेता कमल प्रीत सिंह पन्नू ने सिंघु बॉर्डर पर 14 दिसंबर को भूख हड़ताल पर बैठने की घोषणा की है। किसान नेता गुरनाम सिंह चिडोनी ने कहा कि किसान कल सुबह 8 से शाम 5 बजे तक एक दिवसीय अनशन पर रहेंगे। धरना सभी जिला मुख्यालयों पर भी आयोजित किए जाएंगे। किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि हमारा रुख साफ है। हम तीनों को कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग करते हैं। सभी किसान नेता साथ हैं।

किसान नेता शिवकुमार कक्का ने कहा कि , मत साफ़ है , तीनों कृषि कानून वापस लेने होंगे। इस आंदोलन में हिस्सा ले रहे सभी किसान यूनियन एकजुट हैं।

वहीं, सिंधु बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमें नजर रखने की जरूरत है ताकि कोई गलत तत्व हमारे बीच न हों। हमारे सभी युवाओं को सतर्क रहने की जरूरत है। अगर सरकार बात करना चाहती है तो हम एक समिति गठित करेंगे और आगे का निर्णय लेंगे।

वहीं जामिया मिलिया के कुछ छात्रों के गाजीपुर बॉर्डर पहुँचने के सवाल पर टिकैत ने कहा कि, कुछ छात्र यहां आये थे जिन्हें कहा गया कि यह सिर्फ किसानों का आंदोलन है, जिसके बाद वे वहां से चले गये।

 

वीएम सिंह के बयान से एआइकेएससीसी ने किया किनारा

किसान नेताओं ने जारी बयान में कहा कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का राष्ट्रीय कार्य समूह वीएम सिंह के मीडिया में दिए गए एक बयान से खुद को अलग करता है। बयान न तो एआईकेएससीसी द्वारा अधिकृत था और न ही इसने वर्किंग ग्रुप के निर्णय लेने के प्रोटोकॉल का पालन किया था। एआइकेएससीसी  के वर्किंग ग्रुप ने अपनी बात दोहराई कि वह किसानों की मांग के साथ है और वह न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी चाहता है।

 

 

 



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