खरगोन में हुए दंगों के मामले में ट्रिब्यूनल ने दंगा पीड़ितों की शिकायत पर सात लोगों को नोटिस जारी किए गए। इनमें 8 वीं क्लास में पढ़ने वाले 12 साल की उम्र के एक नाबालिग बच्चा भी शामिल है। इस बच्चे पर तोड़फोड़ और आगजनी का आरोप है। नोटिस के मुताबिक उसकी दंगों में भूमिका थी और इसके चलते एक महिला की लाखों की संपत्ति का नुकसान हुआ। इस बच्चे के परिवार से 2.9 लाख के भुगतान के लिए कहा गया है। नोटिस मिलने के बाद वकीलों ने इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया था।
दस अप्रैल को राम नवमी के दिन हुए दंगों के मामले के बाद नुकसान की भरपाई के लिए एक ट्रिब्यूनल का गठन किया गया था। ट्रिब्यूनल ने आनंद नगर क्षेत्र की दंगा पीड़ित महिला की शिकायत पर एक 12 वर्ष के नाबालिग को नोटिस जारी किया है। हालाकि दंगों के समय बालक की उम्र 11 साल ही थी। यह नोटिस करीब दो महीने पहले जारी हुए थे।
शिकायतकर्ता महिला आनंद नगर क्षेत्र की सुनीता गांगले ने अगस्त 2022 ने शिकायत करते हुए आरोप लगाया है कि दंगे के दौरान उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था। इसके बाद महिला की शिकायत पर नाबालिग सहित सात अन्य को नोटिस जारी किया था।
पीड़ित महिला ने मीडिया को बताया कि उस घटना में उक्त बालक भी शामिक था। महिला ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि घटना को अंजाम देने वाले सभी आरोपी उनके पड़ोसी और मोहल्ले में ही रहते है। यदि इन्होंने घटना को अंजाम नहीं दिया तो फिर दंगों के दौरान घर में किन लोगों ने आगजनी की। पीड़ित महिला ने ट्रिब्यूनल को दिए आवेदन में संबंधितों के नाम सहित शिकायत दर्ज करवाई थी।
वहीं नोटिस मिलने के बाद से ही बच्चे का परिवार परेशान है। उसकी मां के मुताबिक उनका बेटा बेकसूर है। उनके मुताबिक दंगों के बाद उनके पति और बेटे के नाम के नोटिस मिले है। जिसमें करीब तीन लाख रुपये की भरपाई करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि लगातार मिल रहे नोटिसों से पूरा परिवार परेशान है और उनका बच्चा अब रिश्तेदारों के घर जाकर रहने लगा है। महिला ने कहा कि मजदूरी कर घर का गुजर बसर होता है और उनके पति मजदूरी करते हैं। ऐसे में 3 तीन लाख रुपये वे कहां से लाएंगे!
रामनवमी पर हुए थे दंगे
मध्यप्रदेश के खरगोन में इस वर्ष रामनवमी के अवसर पर दो समुदाय के बीच विवाद हुआ। इसके बाद दंगे भड़क गए। वहीं इस दंगे में लोगों की संपत्ति को भी निशाना बनाया गया था। जिसकी भरपाई के लिए मध्यप्रदेश प्रिवेंशन एंड रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट के तहत एक ट्रिब्यूनल का गठन किया गया था।
नाबालिग बच्चे के नाम पर जारी हुए इस नोटिस को लेकर ट्रिब्यूनल के सदस्य कानून का हवाला दे रहे हैं। सदस्यों के अनुसार यह कार्रवाई नियम कानून के अनुसार ही की गई है। उन्होंने कहा कि अगर यह आपराधिक मामला होता तो बच्चे को किशोर न्याय अधिनियम का संरक्षण मिलता। ऐेसे में हम दीवानी प्रकृति के मामलों पर फैसला सुना रहे हैं। यह सिर्फ जुर्माना लगाने के बारे में है, न कि सजा देने के। उन्होंने कहा कि रुपये बच्चे के माता-पिता को देने होंगे क्योंकि वे ही उसके लिए जिम्मेदार हैं। वहीं लड़के के वकील ने नोटिस मिलने के बाद हाईकोर्ट की इंदौर पीठ में याचिका दायर की थी। जिसमें इसे रद्द करने का निर्देश दिया गया था।