झगड़ा प्रथा: पंचायती कानून के खिलाफ संवैधानिक लड़ाई की तैयारी


महिलाओं से जुड़े अपराधों पर कड़े कानून लाएगी सरकार, सामूहिक बैठक में बताए उपाय


DeshGaon
उनकी बात Updated On :

खाप पंचायत की तरह झगड़ा प्रथा को बल दे रहे सामाजिक पंचायती कानून से संवैधानिक तरीके से लड़ने के लिए जिले में कवायद शुरू हो गई है। हालांकि अभी यह कह पाना जल्दबाजी होगी कि यह झगड़ा जैसी कुप्रथा शीघ्र खत्म हो जाएगी, क्योंकि इस कुप्रथा को खत्म करने में समय लगेगा। लेकिन इतना जरूर है कि इसे खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयास शुरू हो चुके हैं। इसमें पुलिस, महिला बाल विकास, और सामाजिक संस्थाएं आगे आ रही हैं। निश्चित रूप से इसे खत्म करने में सफलता मिलेगी।

 

बुधवार को राजगढ़ में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें झगड़ा प्रथा पर अंकुश लगाने के उपायों पर चर्चा हुई। इस कार्यशाला में न केवल इस प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे समाजसेवियों से उनके विचार सुने गए, बल्कि आमजन से भी सुझाव मांगे गए।

 

सख्त कानून लाने की तैयारी

प्रदेश सरकार अलग-अलग जिलों में महिलाओं के खिलाफ चलने वाली प्रथाओं को खत्म करने के लिए सामूहिक कार्यशालाओं का आयोजन कर रही है। राजगढ़ में झगड़ा प्रथा को लेकर आयोजित संगोष्ठी में प्राप्त सुझावों को सरकार द्वारा बनाई जा रही नई नीति में शामिल किया जाएगा, जो महिलाओं के हित में बनाई जा रही है।

हर व्यक्ति की जिम्मेदारी तय हो, शिक्षा और मानसिकता में बदलाव

कार्यक्रम की शुरुआत में झगड़ा प्रथा और महिलाओं के अधिकारों पर काम करने वाली मोना सुस्तानी ने अपने अनुभव साझा किए। अहिंसा वेलफेयर सोसाइटी के मनीष दांगी ने बताया कि वे क्षेत्र में बाल विवाह और झगड़ा प्रथा को लेकर काम कर रहे हैं। विधायक अमर सिंह यादव ने बताया कि उनके समाज में बाल विवाह और झगड़ा प्रथा प्रचलित नहीं है और उन्होंने प्रशासन और पुलिस को इस प्रथा को खत्म करने में सहयोग का आश्वासन दिया।

 

एसपी आदित्य मिश्रा ने कहा कि इस प्रथा को खत्म करने के लिए लोगों को अपनी मानसिकता में बदलाव लाना होगा। बच्चों को पढ़ाया जाए ताकि वे खुद बाल विवाह या झगड़ा प्रथा के खिलाफ खड़े हों और माता-पिता भी यह समझें कि उनकी बच्ची कोई वस्तु नहीं है जिसे बचपन में ही सगाई के नाम पर किसी को दे दिया जाए।

 

सवाल-जवाब सत्र

कार्यशाला के अंत में डीआईजी हिमानी खन्ना और डीआईजी विनीत कपूर ने झगड़ा प्रथा से पीड़ित महिलाओं से बातचीत की और पुलिस से मिले सहयोग के बारे में चर्चा की। हिमानी खन्ना ने क्षेत्र में शिक्षा पर जोर दिया, जबकि विनीत कपूर ने विधायक अमर सिंह यादव से झगड़ा प्रथा को खत्म करने में सहयोग की अपील की।

 

कहां है परेशानी!

झगड़ा प्रथा एक पुरुष प्रधान प्रथा है जिसमें अधिकांश अधिकार पुरुषों के पास होते हैं। महिलाओं की स्वतंत्रता, गरिमा और न्याय पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। सामाजिक पंचायतें लड़कों के पक्ष में फैसले सुनाती हैं। आंकड़ों के अनुसार, 2021 से 2023 तक झगड़ा प्रथा से जुड़े 500 से अधिक मामले दर्ज किए गए। 2024 में अब तक लगभग 50 मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें फसल काटना, टपरी जलाना, और पेड़ों को काटना शामिल है। बीते सालों में इस प्रथा के तहत हत्या के मामले भी सामने आए हैं। इन बढ़ते मामलों को रोकने के लिए झगड़ा प्रथा को खत्म करने के लिए लोग आगे आने लगे हैं, लेकिन यह प्रथा अब किसी एक जाति या समूह में नहीं बल्कि राजगढ़, झालावाड़, गुना, बड़वानी, रतलाम, और शाजापुर जैसे जिलों में भी फैल चुकी है।

 

झगड़ा प्रथा को और गहराई से समझिए…

झगड़ा प्रथा, जिसे नातरा प्रथा भी कहा जाता है, एक गंभीर सामाजिक कुप्रथा है जिसकी जड़ें बाल विवाह से जुड़ी हुई हैं। जब बचपन में लड़का-लड़की की शादी कर दी जाती थी, तब यह प्रथा प्रचलन में थी। इस प्रथा के तहत, यदि लड़का लड़की को अपनाने से इनकार कर देता या लड़की लड़के के साथ रहने से मना कर देती या कहीं चली जाती, तो सारा दोष लड़की के परिवार पर मढ़ा जाता था। झगड़ा प्रथा के अंतर्गत लड़की के बदले उसके मायके वालों से पैसे मांगे जाते थे। कई मामलों में तो पूरा गांव मिलकर लड़की के परिवार को प्रताड़ित करता था। यह कुप्रथा आज भी कुछ क्षेत्रों में प्रचलित है और महिलाओं के अधिकारों का हनन करती है।

 

इस प्रथा के अंतर्गत, किसी महिला या पुरुष के जीवनसाथी के गुजर जाने या जीवनसाथी पसंद न आने की स्थिति में पार्टनर को यह अधिकार होता है कि वह किसी और के साथ घर बसा सके। यह अधिकार महिला और पुरुष दोनों के लिए समान होता है, लेकिन इसके रीति-रिवाज शादी जैसे नहीं होते। आमतौर पर मंदिर में ईश्वर को साक्षी मानकर यह रस्म पूरी की जाती है। इस प्रकार, झगड़ा प्रथा के तहत बनी पत्नी को समाज की पंचायत से अधिकार तो मिलते हैं, लेकिन कानूनी तौर पर वे पत्नी के अधिकार की पात्रता नहीं रखतीं। इसके अंतर्गत बिना वैधानिक तलाक प्रक्रिया के ही दूसरी, तीसरी, चौथी शादी भी की जा सकती है।

 

साभार: यह खबर पत्रिका समाचार पत्र के राजगढ़ संस्करण में प्रकाशित हुई है जिसे पत्रकार भानु प्रताप सिंह ने लिखा है। 

 


Related





Exit mobile version