मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राज्य के करीब 2 लाख कर्मचारियों और 1.50 लाख पेंशनरों को 5वें वेतनमान में एक वेतनवृद्धि का लाभ देने का आदेश दिया है। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार और जस्टिस विवेक जैन की डबल बेंच ने पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि 4 हफ्तों के भीतर कर्मचारियों और पेंशनरों का वेतनवृद्धि कर, 6वें वेतनमान में वेतन का निर्धारण करें।
कर्मचारियों-पेंशनरों के लिए राहतभरा फैसला
यह फैसला तब आया जब एसोसिएशन ने 5 अक्टूबर 2023 को एक रिट याचिका दायर की थी, जिसमें पेंशनर्स और कर्मचारियों के वेतन निर्धारण में हुई देरी पर सवाल उठाए गए थे। याचिका में बताया गया था कि राज्य सरकार ने पूर्व में फिक्सेशन कर दिया था, लेकिन कर्मचारियों और पेंशनरों को उसका लाभ नहीं दिया गया। कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए 4 हफ्ते में इस समस्या का समाधान करने के आदेश दिए हैं।
पेंशनर्स को मिलेगा 1500 से 3200 रुपये का लाभ
मध्य प्रदेश पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष आमोद सक्सेना ने मीडिया को बताया कि अगर सरकार हाईकोर्ट के इस आदेश का पालन करती है, तो पेंशनरों को कम से कम 1500 रुपये और कर्मचारियों को 3200 रुपये तक का वेतनवृद्धि का लाभ मिलेगा। इससे प्रदेश के करीब 3.5 लाख पेंशनरों को सीधा फायदा पहुंचेगा।
केंद्र सरकार ने किया था संशोधन, मध्य प्रदेश सरकार ने नहीं मानी सिफारिशें
यह मुद्दा तब और जोर पकड़ा जब 2005 में केंद्र सरकार ने 6वें वेतनमान में वेतनवृद्धि का लाभ देने के नियमों में संशोधन किया था। केंद्र ने 19 मार्च 2012 को सभी राज्यों को निर्देशित किया था कि जिनकी वेतनवृद्धि 1 जनवरी से 1 जुलाई के बीच होती है, उन्हें 5वें वेतनमान में एक वेतनवृद्धि का लाभ देकर 6वें वेतनमान में वेतन निर्धारण किया जाए। लेकिन, मध्य प्रदेश सरकार ने इन निर्देशों का पालन नहीं किया, जिसके चलते यह मामला कोर्ट में पहुंचा।
सरकार से मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि आखिर केंद्र के निर्देशों के बावजूद कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतनवृद्धि का लाभ क्यों नहीं दिया गया। कोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने और आदेश के अनुपालन की जिम्मेदारी एडवोकेट जनरल को सौंपी है।
छठे वेतनमान के अनुसार पेंशन की मांग
पेंशनर्स एसोसिएशन ने छठे वेतनमान के तहत पेंशन के निर्धारण की मांग करते हुए कहा कि अन्य राज्यों ने केंद्र के निर्देशों का पालन किया है, लेकिन मध्य प्रदेश में यह नियम लागू नहीं किया गया। कोर्ट ने इस पर सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा है और जल्द ही निर्णय लागू करने के निर्देश दिए हैं।