निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर बिजली कर्मी


बिजली कंपनियों के निजिकरण की तैयारी की जा रही है। जिसके चलते प्रदेश के 60 हज़ार कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।


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उनकी बात Updated On :

इंदौर। निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारी अब हड़ताल पर हैं। कर्मचारियों की संस्था नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज इंजीनियर्स के आह्वान पर प्रदेश के कर्मचारी बुधवार को हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान यदि आम लोगों की बिजली खराब होती है तो उसे सुधारा नहीं जाएगा। हालांकि बिजलीकर्मी अस्पताल, वाटर सप्लाई और कोर्ट जैसी जरूरी सेवाओं के भवनों में बिजली खराब होने पर उसे ज़रूर ठीक करेंगे।

बिजली कंपनियों के निजिकरण की तैयारी की जा रही है। जिसके चलते प्रदेश के 60 हज़ार कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। इनमें  तीस हजार से अधिक नियमित और करीब 24 आउटसोर्स और छह हज़ार संविदाकर्मी शामिल हैं। इसी निजिकरण के विरोध में कर्मचारियों ने बुधवार को एक दिन काम बंद रख अपना  विरोध जताने का फैसला लिया है।  इन कर्मचारियों की छह सूत्री मांगें हैं। जो कि निजीकरण के इर्द-गिर्द ही घूमती हैं।
ये हैं मांगें…
  • प्रस्तावित विद्युत सुधार बिल 2021 वापस लिया जाए।
  • वितरण कंपनी के निजीकरण को वापस लेकर, प्राइवेट लाइसेंसी एवं फ्रेंचाइजी को समाप्त किया जाए।
  • पूरे देश मे बिजली के उत्पादन, वितरण कंपनियों का केरल व हिमाचल राज्य विद्युत बोर्ड की तरह एकीकरण किया जाए।
  • नई पेंशन योजना को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए।
  • संविदा कर्मियों का नियमितीकरण व आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का तेलंगाना शासन की तरह संविलियन किया जाए।
  • नई भर्तियां निकालकर नियमित नियुक्तियां की जाए।

बिजली कर्मचारियों का कहना है कि अगर सरकार उनकी यह मांगें नहीं मानती है तो अब उन्हें मजबूर होकर आंदोलन का रास्ता अपनाना होगा। हालांकि बिजली कर्मचारियों के एक दिन ही काम न करने के कारण असर नज़र आ सकता है। इंदौर इलाके में बिजली कर्मचारी अपने कार्यालय तो पहुंचे हैं लेकिन काम नहीं कर रहे हैं।


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