खत्म होने वाली है इंदौर के आलू उत्पादक किसानों की मुश्किल


आलू बीज कंपनियां जिला स्तर पर मार्केटिंग कर रही हैं। उनके सर्विस सेंटर भी यहां बने हुए हैं। ऐसे में उनको प्रशासन और विभाग से मान्यता लेना चाहिए।


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उनकी बात Updated On :

इंदौर। क्षेत्र के आलू किसान परेशान हैं। आलू के दाम लगातार कम बने हुए हैं। ऐसे में लागत भी नहीं निकल रही है। मालवा का आलू चिप्स कंपनियों को भी काफी भाता है और अब चिप्स कंपनियों की भी मनमानी दिखाई देती है। किसानों के मुताबिक बाहरी राज्यों की चिप्स कंपनियां यहां आकर आलू खरदती हैं और फिर आलू के बीज का कृत्रिम संकट पैदा करती हैं और फिर बीज मनमाने दामों पर बेचती हैं। यही इस साल भी हुआ है। जब किसानों को आलू की फसल का उतना भी पैसा नहीं मिला है जितने की उन्होंने बुआई की थी।

दूसरे राज्यों की आलू बीज कंपनियाें की मनमानी को रोकने के लिए प्रशासन और उद्यानिकी विभाग इन कंपनियों के लिए कुछ नए नियम बनाने की तैयारी कर रहा है। इसमें बीज कंपनियों और उनके स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं की जवाबदेही तय की जाएगी और उन्हें लाईसेंस के दायरे में लाया जाएगा।

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इसके तहत बीज कंपनियां इंदौर जिले में अपनी मार्केटिंग कर रही हैं और बीज का कारोबार कर रही हैं, उनको स्थानीय प्रशासन से लाइसेंस लेना जरूरी होगा। पिछले दिनों इंदौर की रेसिडेंसी कोठी में आलू उत्पादक किसानों और उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के बीच चर्चा हुई और फिर किसानों ने कलेक्टर मनीष सिंह को अपनी यह समस्या बताई थी जिसके बाद उन्होंने समस्या का हल निकालने के लिए यह तैयारी की है।

मोहन लाल पांडे, किसान नेता

इस विषय पर इंदौर के किसान नेता मोहन लाल पांडे कहते हैं कि इस बार पंजाब की कंपनियाें ने किसानों को इस साल आलू का बहुत महंगा बीज कर दिया। किसान ने 25 से 35 रुपये प्रति किलो तक यह बीज खरीदा था। इस बीज में न तो कोई क्वालिटी थी और न ही आसान उपलब्धता। इसके अलावा  किसानों को वायरसजनित बीज भी दे दिया गया। जिससे नुकसान और भी बढ़ गया।

पांडे बताते हैं कि बीज व्यापारी पहले से रेट घोषित नहीं करते और बाद में  मनमाने दामों पर किसानों को आलू का बीज देते हैं। शासन को इस बारे में कोई ठोस गाइडलाइन बनाना चाहिए क्योंकि मालवा क्षेत्र में करीब दस लाख किसान आलू उगाते हैं।

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उद्यानिकी विभाग के उप संचालक टीसी वास्केल बताते हैं कि आलू बीज कंपनियां जिला स्तर पर मार्केटिंग कर रही हैं। उनके सर्विस सेंटर भी यहां बने हुए हैं। ऐसे में उनको प्रशासन और विभाग से मान्यता लेना चाहिए। किसानों की शिकायत और समस्या को देखते हुए इन कंपनियों को लाइसेंस के दायरे में लाना जरुरी है और इसके लिए प्रयास शुरु कर दिये गए हैं।


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