दो सालों से लहसुन के भाव नहीं मिलने से किसान परेशान रहे तो अब लहसुन के भाव आसमान छूने से जैसे उनके दिन फिर गए हैं। पिछले साल एक वक्त था जहां किसान लहसुन को नदी नालों में बहाते हुए नजर आ रहे थे और आज यह स्थिति है कि लहसुन खेरची भाव 150 से 200 रु किलो तक बाजार में बिक रहा है। लोगो के किचन से लहुसन का तड़का भी गयाब ह्यो गया है। इन दिनों लहसुन के दाम आसमान छू रहे हैं। जिससे उत्पादक किसान काफी खुश हैं। लहसुन मंहगा हुआ तो किसानों को इसके चोरी होने का डर भी सताने लगा हैं।
कई किसानों ने तो अपने खेतों में लहसुन की खेती की निगरानी का जिम्मा खुद अपने हाथों में ले रखा है। किसान लकड़ी, डंडे , बंदूक लेकर रात भर खेत की रखवाली करने में जुट गए हैं।। वही किसानों की मुश्किल कभी भी कम होने का नाम ही नहीं लेती हैं। कभी मौसम की मार तो कभी फसलों में बीमारी से फसल बर्बाद होना किसानों के लिए सभक बन गया है। कहीं सालों बाद कभी-कभार कोई फसल का भाव अच्छा रहता है तो उसका उत्पादन कम होता हैं तो आवक बढ़ने से बाजार में उसके दाम कम हो जाते हैं, प्रदेश सहित देश में लहसुन की कीमतों में बेतहाशा उछाल हुआ है। इस बीच धार जिले में लहसुन की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर किसान काफी चौकस दिख रहे हैं।
खुशी और परेशानी दोनों: इस बार जिन किसानों ने लहसुन तो लगया है वे खुशी के साथ परेशान भी हैं क्योंकि की किसान अपनी फसल की कीमत बढ़ने से बेहद ही खुश हैं तो वहीं दूसरी तरफ इसके चोरी होने का भी डर है। किसानों ने अपनी अधिक लागत वाली फसलों को चोरी होने से बचाने के लिए खेतों में चौकीदार की तरह अपनी फसल की रखवाली कर रहा है तो कुछ किसान बारी बारी से खेतों में सो रहे है। कुछ किसानों ने खेतो से लहसुन घर लाकर सीसीटीवी की नजर में रख रखी है। जिससे कुछ किसान सुकून महसूस कर रहे हैं। कुछ किसान खेतों में दिन रात अपनी उपज की रखवाली कर रहे तो कहि किसानों ने तो खाना पिना नहाना भी खेतो में शुरू कर दिया है।ताकि अपनी फसल को चोरों से बचा सकें।
अभी खेतों में लहसुन निकालने का काम चल रहा है। तो हम खेत में अपनी फसलों के पास सो रहे हैं क्योंकि इस बार लहसुन के भाव ज्यादा होने के कारण क्षेत्र में आया दिन खेतों से लहसुन ले जाने का काम चोरों द्वारा किया जा रहा इसलिए हम अपने माल की सुरक्षा के लिए हथियारों से साथ खेत पर सोते कर रहे है।
धनश्याम यादव किसान सकतली
सफेद सोने की मांग बढ़ने से किसान निहाल: किसानों के लिए सफेद सोना कही जाने वाली लहसुन के दामों ने वर्तमान में किसानों को निहाल कर दिया है। सीजन से मंडी में आई नई लहसुन और बाजार में मांग अधिक होने के कारण दामों में आए उछाल के कारण लहसुन के दामों ने किसानों को राहत नहीं बल्कि संबल दिया हैं। दाम अच्छे मिलने के कारण वर्तमान मे किसान खेतो से ही सीधे मण्डी में लहुसन ले जा रहे है व जिले में लहसुन का उत्पादन भी बंपर होता है और उत्पादन के साथ दाम अच्छे हुए तो किसान भी निहाल हो रहे हैं
शुरुआत से ही दामों में उछाल: इसबार पुरानी लहसुन की आवक नही होने से लहसुन के भाव थे मगर किसानों के पास माल नही होने से भाव ऊंचे स्तर पर रहा मगर नई लहुसन जैसे ही जनवरी फरवरी माह में नई लहसुन आना शुरु हुई। वैसे ही भाव मे भी उछाल आया। क्योंकि की इसबार लहसुन की मांग राज्य व अंतराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी तो मंडी में दामों में उछाल आया। किसानों को भी उम्मीद नही थी कि उनकी लहसुन के बेहतर दाम मिलेंगे।
वर्ष रकबा (हेक्टेयर)
- 21-22 16 हजार 382 हेक्टेयर
- 22-23 12 हजार 465 हेक्टेयर
- 23-24 12 हजार 470 हेक्टेयर
माल ज़्यादा आने से भाव भी कम हुई: जैसे जैसे किसानों को लहसुन निकल रही है वैसे भाव मे भी गिरावट देखने को मिल रही है वही कुछ किसान खेतो से कच्चा माल ले जा रहे जिसे मंडी में भाव कम मिलता है। और अब किसान मंडी में लहसुन लेकर अधिक आ रहे है। उसके बाद भी अच्छी लहसुन 15 हजार क्विटल मिल रहे है लेकिन वर्तमान में तो लहसुन की मांग अधिक होने से दामों में तेजी है और मांग व दाम बढने के साथ किसानों को उनकी लहसुन के अच्छे दाम इस वक्त मंडी में मिल रहे है।
30 से 35 हजार से अधिक आता है प्रति बीघा खर्च: लहुसन की खेती करने वाले किसानों के लिए खेती करना आसान नही हैं क्योंकि दिन रात महनेत करने के बाद उत्पादन कितना होता है उसपर निर्भर करता है किसानों को लहुसन में 30 से 35 हजार से अधिक ख़र्च आता है । वही लहसुन की खेती में सबसे ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में फसल खराब होने से बचाने के लिए दवाई खाद और बीज सहित फसल की समय समय पर निंदाई करनी पड़ती है, जिसका प्रति बीघा खर्च करीब 35 हजार रुपए से ज्यादा आता है।