नौकरी के लिए सड़क पर उतरे हज़ारों बेरोज़गार, इंदौर में ऐतिहासिक प्रदर्शन


इंदौर में हुआ यह प्रदर्शन अपना आप में ऐतिहासिक रहा, यह मार्च बिना किसी राजनीतिक सहयोग के छात्रों के द्वारा ही छात्रों के मुद्दों के लिए किया गया आयोजन था, जिसमें करीब 15 हजार युवा शामिल थे।  


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उनकी बात Updated On :

इंदौर। बेरोज़गार युवाओं का भर्ती सत्याग्रह रविवार को अपने सबसे बड़े रुप में दिखाई दिया जब हजारों युवा सड़कों पर आ गए और पैदल मार्च किया। इस दौरान करीब तीन किलोमीटर के इलाके में जाम की स्थिति बन गई थी जो काफी देर तक कायम रही। इंदौर में हुआ यह प्रदर्शन अपना आप में ऐतिहासिक रहा  क्योंकि यह बिना किसी राजनीतिक सहयोग के छात्रों के द्वारा ही छात्रों के मुद्दों के लिए किया गया आयोजन था।

इन बेरोजगार युवाओं ने भंवरकुआं के अपने प्रदर्शन स्थल से पैदल निकले और रीगल चौराहे से होकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। ऐसे में सरकारी नौकरियों की बहाली के लिए इनका मार्च लगभग पूरे शहर ने देखा। इस मार्च में करीब पंद्रह हजार के आसपास युवा शामिल हुए थे। इनमें बड़ी संख्या में लड़कियां भी शामिल रहीं।

शहर के कई इलाकों में घूमते हुए युवाओं ने ‘शिवराज सरकार होश में आओ के नारे लगाए’। यह रैली बाद में कलेक्टर कार्यालय पहुंची। जहां इन्होंने एडीएम पवन जैन को ज्ञापन सौंपा। इन छात्रों ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि दो दिनों के अंदर उनकी मांगों पर कोई समाधान नहीं दिया गया तो वे अब 28 सितंबर से जेल भरो आंदोलन करेंगे।

बेरोज़गारों की इस भीड़ ने सभी का ध्यान खींचा। इनमें भाजपाई भी थे तो कांग्रेसी भी। नए-नए भाजपा नेता और मंत्री तुलसी सिलावट मार्च शुरु होने के दौरान प्रदर्शन स्थल से गुजरे लेकिन उन्होंने यहां रुककर छात्रों से कोई बात करना भी ज़रूरी नहीं समझा और उनकी गाड़ी तेज़ी से बाहर हो गई। इंदौर की एक अन्य मंत्री उषा ठाकुर की भी इन युवाओं से मिलकर बात करने की उम्मीद थी लेकिन उन्होंने भी इनका सामना करना ठीक नहीं समझा।

वहीं कांग्रेस नेताओं ने इस विरोध को भुनाने की कोशिश की। उन्होंने इस प्रदर्शन को सरकार की हकीकत बताया। जीतू पटवारी, नकुल नाथ आदि नेताओं ने इस विरोध पर ट्वीट किये।

प्रदेश में बेरोज़गारी का औपचारिक आंकड़ा तीस लाख पार कर चुका है और अनौपचारिक तौर पर यह संख्या इससे दो या तीन गुना तक हो सकती है। अकेले इंदौर, भोपाल और ग्वालियर में ही करीब 5-6 लाख से अधिक युवा बेरोजगार हैं। भर्ती सत्याग्रह कर रहे युवाओं को सरकारी वादों पर भरोसा नहीं है और परीक्षा लेने वाली संस्थाओं की विश्वसनीयता पर भी उनके कई सवाल हैं जिन्हें लेकर वे सरकार की खिलाफ़त कर रहे हैं।

 

 


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