विभिन्न मांगों को लेकर NHM Office का घेराव करने पहुंचे स्वास्थ्यकर्मी, डॉक्टरों ने बांधी काली पट्टी

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उनकी बात Published On :
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भोपाल। बीते कई सालों से अपनी मांगों को लेकर कई दफा मोर्चा खोल चुके स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों ने एक बार फिर से सरकार से टकराने की ठान ली है।

प्रदेश की राजधानी भोपाल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र इकाई के प्रदेश कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में सोमवार सुबह से संविदा स्वास्थ्यकर्मी जुट रहे हैं जो कार्यालय का घेराव करने की तैयारी कर रहे हैं।

बता दें कि पूर्व से आंदोलनरत इन कर्मचारियों की मांग है कि उनका संविलियन एनएचएम में खाली पदों पर किया जाए जो अभी तक नहीं किया जा रहा है। इन कर्मचारियों की इतनी बड़ी संख्या में वहां पहुंचने के कारण मुख्य सड़क पर जाम की स्थिति है।

सड़क पर जाम लगने से आने-जाने वाले राहगीरों को परेशान होना पड़ रहा है। दूसरी तरफ, हमीदिया व जेपी अस्पताल समेत अन्य शासकीय अस्पतालों में डॉक्टर सुबह से काली पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं।

ये डॉक्टर उनके कामकाज में बाहरी दखल को खत्म करने और केंद्र के समान पदोन्नति की मांग कर रहे हैं। मप्र शासकीय चिकित्सक महासंघ के बैनर तले डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि पदोन्नति और बाहरी दखल को खत्म करने जैसी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे मंगलवार से काम बंद कर देंगे।

महासंघ के डॉ. राकेश मालवीय ने बताया कि उक्त निर्णय लेने के पूर्व महासंघ के पदाधिकारी सभी स्तरों पर अपनी मांग रख चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है।

भोपाल संभागायुक्त माल सिंह भयडिया ने रविवार को ही डीन व चिकित्सकों की बैठक ली जिसमें चिकित्सक महासंघ की चेतावनियों को लेकर बातचीत की गई थी। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज हो या अस्पताल, कही भी व्यवस्थाएं नहीं बिगड़नी चाहिए।

संभागायुक्त ने अधिकारियों को मरीजों की सुविधाओं को देखते हुए सभी व्यवस्थाएं ठीक रखने, अलग से चिकित्सकों को बुलाकर उपचार दिलाने, अस्पताल परिसरों में उचित सुरक्षा व्यवस्था बनाने के लिए पुलिस आयुक्त को पत्र भेजने संबंधी दिशा निर्देश दिए थे।

आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रवक्ता कोमल सिंह ने बताया कि संविदाकर्मियों को आउटसोर्स कर दिया गया है, जिन्हें वापस संविदा पर नहीं लिया जा रहा है। इसको लेकर अधिकारियों से कई स्तर पर चर्चा कर चुके हैं।

इसके साथ ही नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों को भी वापस काम पर नहीं रखा जा रहा है। शासकीय कर्मचारियों से अधिक काम करने के बावजूद वेतन व सुविधाओं में भेदभाव किया जा रहा है।


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