भोपाल। मध्य प्रदेश के गुना जिले में दबंगों ने ज़मीन के विवाद में एक आदिवासी महिला को जिंदा जला डाला। पीड़ित महिला सहरिया आदिवासी समुदाय से है। जिसे साढ़े छह बीघा जमीन के लिए डीजल डालकर जिंदा जलाने की कोशिश हुई। इस हमले में महिला करीब 80 प्रतिशत झुलस गई है। बताया जाता है कि इस दौरान आरोपी महिला का वीडियो बना रहे थे। पुलिस के मुताबिक महिला द्वारा बताए गए तीन आरोपियों में से दो को हिरासत में ले लिया गया है।
गुना के धनोरिया गांव में रामप्यारी बाई पति अर्जुन को गांव के ही दबंगों ने जिंदा जलाने की कोशिश उनकी साढ़े छह बीघा जमीन पर कब्जा करने के लिए की। यह जमीन पीड़ित महिला की बताई जाती है लेकिन जिस पर दबंगों का कब्डा था और इसी साल मई के महीने में ही तहसीलदार ने कब्जा छुड़वाकर महिला को जमीन वापस दिलवाई थी। हालांकि दबंगों ने फिर से कब्जा करने की कोशिश की। शनिवार को रामप्यारी बाई को पता चला कि उनकी जमीन पर जुताई की जा रही है जिसके बाद वह दोपहर करीब दो बजे खेत पर अपना विरोध दर्ज कराने गई और इसी दौरान उस पर यह हमला किया गया। घटना के बाद आरोपी भाग गए और महिला को गंभीर हालत में जिला अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों ने महिला की गंभीर स्थिति देखते हुए उसे भाेपाल रेफर कर दिया है। जहां महिला की हालत नाजुक बनी हुई है।
महिला के पति अर्जुन ने घटना के बाद उसे सबसे पहले देखा। उसके मुताबिक जब वह अपनी पत्नी को बुलाने खेत पर जा रहा था उसी समय वहां से आरोपी प्रताप, हनुमत, श्याम किरार, उन तीनों की पत्नियां और उनकी मां ट्रैक्टर से भाग रहे थे। जबकि उनकी पत्नी खेत में पेड़ के पास थी, उसके सारे कपड़े जल गए थे और वहां धुंआ निकल रहा था।
अर्जुन ने बताया कि आरोपी उन्हें लगातार प्रताड़ित कर रहे थे। इसके बारे में उन्होंने बीते 23 जून को उन्होंने एसपी को आवेदन देकर आरोपियों से अपनी जान का खतरा बताया था। इससे पहले उन्होंने बमोरी थाने में भी आवेदन दिया था लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। फरवरी में आरोपियों ने बमोरी तहसील कार्यालय के पास अर्जुन के साथ भी मारपीट की थी। इसकी एफआईआर भी की गई थी।
गुना एसपी पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि महिला के पति अर्जुन सहरिया की शिकायत पर आरोपियों केएफआईआर दर्ज कर ली गई है। फरियादी द्वारा बताए गए तीन आरोपियों प्रताप, श्याम और हनुमत में से दो को हिरासत में भी ले लिया गया है। आरोपियों ने फरियादी पक्ष की जमीन पर कब्जा कर रखा था, जिसे मई में ही मुक्त कराया गया था।’
इस पूरे मामले को लेकर एक बार फिर प्रदेश में दलित आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार की चर्चा शुरु हो गई है। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय में कई स्थानों पर आदिवासियों के साथ इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। जिन्हें लेकर आदिवासी संगठन, उनके नेता और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी सरकार पर सवाल उठाते रहे हैं।
लगता है नेमावर, नीमच, भीमपुर, खैर कुंडी, शाहगंज, खातेगांव आंदोलन से शिवराज/आरएसएस ने कोई सबक नही लिया, आखिर कब तक सहेंगे हम#सहरिया आदिवासियों पर जुल्म जारी है, दोनों बड़ी पार्टियों की कमान ठाकुरों के हाथ मे है
गुना जयस यूनिट आंदोलन की तारीख तय करे @DGP_MP @CMMadhyaPradesh pic.twitter.com/k0dd2S2HtK— Office Of Dr Anand Rai (@anandrai177) July 3, 2022
जितना रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने से दलितों पर अत्याचार कम हुआ, उतना ही द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के बाद आदिवासियों पर अत्याचार कम होगा। मप्र के गुना में आदिवासी महिला को ज़िंदा जलाने की घटना और बर्बरता बेहद ही दुखद है। आरोपियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग करते है। pic.twitter.com/i2FDDqbLBy
— Tribal Army (@TribalArmy) July 3, 2022