अतिथि शिक्षकों को बड़ा झटका: शिवराज के वादे धरे रह गए, नियमितीकरण नहीं होगा


मध्य प्रदेश में अतिथि शिक्षकों को नियमित करने का फैसला नहीं हुआ। लोक शिक्षण संचालनालय ने स्पष्ट किया कि उन्हें सीधी भर्ती में केवल 25% आरक्षण दिया जाएगा। अतिथि शिक्षक अब इस फैसले से निराश हैं।


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उनकी बात Updated On :

मध्य प्रदेश के 70 हजार अतिथि शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है। हाल ही में लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) ने उच्च न्यायालय के निर्देश पर निर्णय लेते हुए कहा है कि अतिथि शिक्षकों को सीधे नियमित नहीं किया जाएगा। उन्हें सीधी भर्ती में 25% आरक्षण का प्रावधान दिया जाएगा। इस निर्णय ने सितंबर 2023 की अतिथि शिक्षक महापंचायत में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किए गए वादों पर सवाल खड़ा कर दिया है, जिसमें उन्होंने अतिथि शिक्षकों को कई बड़ी सौगातें देने का वादा किया था।

मध्य प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि अतिथि शिक्षकों को सीधे नियमित नहीं किया जाएगा, बल्कि 2018 और 2022 के भर्ती नियमों के तहत शिक्षक चयन परीक्षा के बाद सीधी भर्ती में 25% आरक्षण मिलेगा। पात्रता रखने वाले शिक्षक यदि न्यूनतम तीन शैक्षणिक सत्र और 200 दिनों का अनुभव रखते हैं, तभी उन्हें इस आरक्षण का लाभ मिलेगा। जानकारी के मुताबिक इस निराकरण से असंतुष्ट अतिथि शिक्षक अब 2 अक्टूबर को भोपाल में महाआंदोलन करेंगे, जिसमें समन्वय समिति ने भी समर्थन दिया है।

 

 

सितंबर 2023 में शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में अतिथि शिक्षकों की महापंचायत में उनके हित में कई बड़े फैसले लिए थे। उन्होंने वादा किया था कि अतिथि शिक्षकों का मानदेय दोगुना किया जाएगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके। इसके साथ ही, उन्होंने 50% आरक्षण देने और पूरे साल के लिए अनुबंध की बात कही थी, ताकि अतिथि शिक्षकों की अस्थिरता को समाप्त किया जा सके। चौहान ने यह भी कहा था कि आने वाली भर्तियों में अतिथि शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित किया जाएगा।

 

अब DPI के इस निर्णय के बाद अतिथि शिक्षक गहरी निराशा में हैं। कई शिक्षक इसे अपने भविष्य के साथ धोखा मानते हैं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री के वादों के बाद उन्होंने उम्मीद की थी कि उनके संघर्ष का अंत होगा, लेकिन अब यह निर्णय उनकी आकांक्षाओं को ध्वस्त कर रहा है।

 

DPI के इस निर्णय के बाद अतिथि शिक्षकों में आक्रोश देखा जा रहा है। कई अतिथि शिक्षक अब अपनी अगली रणनीति पर विचार कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, अतिथि शिक्षक इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रहे हैं। उनका मानना है कि राज्य सरकार को अपने वादों का पालन करना चाहिए और अतिथि शिक्षकों के जीवन में स्थिरता लानी चाहिए।

 

इस मामले ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। विपक्षी दल कांग्रेस ने इस निर्णय को लेकर सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि चुनावी साल में अतिथि शिक्षकों को झूठे वादे कर उनका समर्थन हासिल किया गया और अब उन्हें दरकिनार कर दिया गया है। दूसरी ओर, शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि सरकार की नीति स्पष्ट है और भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना उनकी प्राथमिकता है।

 

अतिथि शिक्षकों के लिए यह समय कठिनाइयों से भरा है। वे शिवराज सिंह चौहान के उन वादों की ओर देख रहे हैं, जिनमें उन्होंने स्थिरता और आर्थिक सुरक्षा का भरोसा दिलाया था। अब देखना होगा कि सरकार अतिथि शिक्षकों की उम्मीदों पर खरा उतरती है या नहीं।

 


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