सरकार को उसके वादे याद दिलाने के लिए अतिथि शिक्षकों का जोरदार प्रदर्शन


भोपाल में 10 सितंबर को अतिथि शिक्षकों ने नियमितीकरण और अन्य मांगों को लेकर महाआंदोलन किया। लगभग 8,000 अतिथि शिक्षक अंबेडकर पार्क में जुटे और तिरंगा यात्रा निकालने की योजना बनाई। उनकी मुख्य मांगों में अनुभव के आधार पर नियुक्ति, सालाना अनुबंध, और समय पर मानदेय शामिल हैं। बारिश के बावजूद प्रदर्शनकारी डटे रहे।


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उनकी बात Published On :

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 10 सितंबर को हजारों अतिथि शिक्षकों ने अपने नियमितीकरण और अन्य मांगों को लेकर एक विशाल प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन अंबेडकर पार्क से शुरू हुआ, जहाँ से अतिथि शिक्षकों ने तिरंगा यात्रा निकालने की योजना बनाई थी। पुलिस ने एहतियात के तौर पर पार्क के चारों ओर बैरिकेड्स लगा दिए थे, ताकि प्रदर्शनकारियों को सीएम हाउस तक पहुँचने से रोका जा सके। भारी बारिश के बावजूद शिक्षक अपनी मांगों पर अड़े रहे, जो उनकी गंभीर स्थिति को दर्शाता है।

 

इस आंदोलन में लगभग 8,000 अतिथि शिक्षक शामिल हुए, जो मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से भोपाल पहुंचे थे। प्रदर्शनकारियों ने नियमितीकरण, अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति, और स्थायी शिक्षकों के पदों के लिए पात्रता परीक्षा की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने शिक्षकों के लिए सालभर का अनुबंध और मानदेय समय पर देने की मांग की। ये शिक्षक लंबे समय से अस्थायी तौर पर स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, और अब वे स्थायी नौकरी की मांग कर रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति स्थिर हो सके।

 

प्रदर्शन की योजना पहले 5 सितंबर, शिक्षक दिवस को बनाई गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पिता के निधन के कारण इसे स्थगित कर 10 सितंबर को किया गया। इस दौरान कई अतिथि शिक्षकों ने अपनी आर्थिक तंगी और अनिश्चित भविष्य के बारे में बात की, जिससे उनका गला भर आया और आँखें नम हो गईं। वे कई सालों से इस व्यवस्था का हिस्सा रहे हैं और अब अपनी नौकरी खोने की चिंता में हैं, क्योंकि उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है।

 

अतिथि शिक्षक अपनी मांगों को लेकर पहले से ही सक्रिय थे। 9 सितंबर की रात को भी कुछ अतिथि शिक्षकों ने लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) का घेराव किया था, जहाँ उन्होंने ब्लैकलिस्ट किए गए शिक्षकों की बहाली और नई नियुक्तियों की मांग की। जिन अतिथि शिक्षकों का पिछले शैक्षणिक सत्र में प्रदर्शन खराब रहा था, उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था, जिससे उनकी स्थिति और भी कठिन हो गई है।

 

इस आंदोलन का एक प्रमुख उद्देश्य उन वादों को याद दिलाना है जो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि शिक्षकों से किए थे। एक साल पहले उन्होंने वादा किया था कि अतिथि शिक्षकों को स्थायी किया जाएगा और उन्हें गुरूजी के समान वेतनमान दिया जाएगा। लेकिन यह वादा अब तक पूरा नहीं हुआ, जिससे अतिथि शिक्षकों में असंतोष व्याप्त है। अतिथि शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो वे तिरंगा यात्रा निकालकर मुख्यमंत्री के निवास का घेराव करेंगे।

 

प्रदर्शनकारियों की यह भी मांग है कि जिन शिक्षकों ने बोर्ड कक्षाओं में 30% से कम परिणाम दिया, उन्हें दूसरा मौका दिया जाए, ताकि वे अपने करियर को सुधार सकें। इसके अलावा, उन्होंने शिक्षक भर्ती में 50% आरक्षण और बोनस अंक देने की भी मांग की है, जो उनके अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर हो।

नेता विपक्ष उमंग सिंगार ने भी अतिथि शिक्षकों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि वह अतिथि शिक्षकों के साथ हर स्तर पर उनकी लड़ाई लड़ रहे हैं और उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह अतिथि शिक्षकों से किए गए नियमितीकरण के वादे को भूल गई है और मुख्यमंत्री से इसे जल्द पूरा करने की मांग की।

अतिथि शिक्षकों का यह आंदोलन लगातार जारी है, और वे अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बना रहे हैं, ताकि उन्हें स्थायी नौकरी का अधिकार मिल सके और उनका भविष्य सुरक्षित हो।



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