मध्यप्रदेश में शिक्षा की गिरती गुणवत्ता के बीच अब अतिथि शिक्षकों के लिए भी हालात गंभीर हो गए हैं। मौजूदा शिक्षा सत्र के तीन महीने बीतने के बावजूद, प्रदेश के कई हजार स्कूलों में अभी तक अतिथि शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पाई है। बदलते नियमों और प्रक्रिया की जटिलताओं के कारण 30,000 से अधिक अतिथि शिक्षक रोजगार की दौड़ से बाहर हो चुके हैं।
प्रदेश के करीब 1 लाख 25 हजार स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षकों की कमी को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से पिछड़ रहे मध्यप्रदेश में, विषयवार शिक्षा की ज़िम्मेदारी अतिथि शिक्षकों के कंधों पर थी। लेकिन इस सत्र में भर्ती प्रक्रिया में देरी और नियमों में बदलाव के कारण, कई स्कूलों में शिक्षक नहीं पहुंच सके हैं। त्रैमासिक परीक्षा सितंबर में होनी है, लेकिन शिक्षक अभी भी नियुक्त नहीं हो पाए हैं।
शिक्षा विभाग की नई नीतियों के चलते, बोर्ड परीक्षा में 28% से कम परिणाम देने वाले स्कूलों में उन अतिथि शिक्षकों को नहीं रखा जा रहा है, जिनका विषय बोर्ड परीक्षा का हिस्सा नहीं था। अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह परिहार के अनुसार, इस नई नीति के कारण 15,000 से अधिक अतिथि शिक्षकों को सेवा से वंचित होना पड़ा है। प्रदेश के लगभग 70-75 हजार अतिथि शिक्षकों में से अब तक केवल 30-35 हजार की ही भर्ती हो पाई है।
छात्रों की घटती संख्या और शिक्षकों के स्थानांतरण की वजह से कई अतिथि शिक्षक बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के 7 लाख विद्यार्थी कम हो गए हैं, जबकि शाला त्यागी बच्चों की संख्या लगभग 4 लाख है। इससे गांव के स्कूलों में शिक्षकों की कमी और शहरों में अधिकता हो गई है, जिससे अतिथि शिक्षकों के लिए अवसर कम हो गए हैं।
नरसिंहपुर अतिथि शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष शिवकुमार सोनी ने बताया कि प्रदेश में अतिथि शिक्षकों की संख्या 2 लाख 33 हजार के करीब है, जबकि वास्तविक संख्या साढ़े तीन लाख से अधिक है। कई शिक्षक, जो 15 सालों तक सेवा देते रहे हैं, अब बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं। साथ ही, भर्ती प्रक्रिया में पैनल बनाने और स्कोरकार्ड जनरेट करने में भी मनमानी की शिकायतें आ रही हैं।
महासंघ के आह्वान पर, अतिथि शिक्षक 5 सितंबर को तिरंगा यात्रा निकालेंगे। 2 सितंबर को मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित अतिथि शिक्षक महापंचायत को एक साल पूरा हो जाएगा, लेकिन उसमें किए गए वादे अब भी अधूरे हैं। शिक्षक दिवस के दिन, अतिथि शिक्षक हाथ में तिरंगा और दूसरे हाथ में वादों को पूरा करने की मांग का आवेदन पत्र लेकर सड़कों पर उतरेंगे। इसको लेकर लगातार बैठकें हो रही हैं, और ब्लॉक एवं तहसील स्तर पर कार्यकारिणी गठित की जा रही हैं।