अमरूद की अच्छी पैदावार के बाद नहीं मिल रहे सही दाम, लागत न निकलने से परेशान हैं किसान


अमरूदों की मिठाई फीकी, मौसम नहीं अनुकूल बादल छाने से फसल हो रही प्रभावित


आशीष यादव
उनकी बात Updated On :

अमरूदों की बम्पर पैदावार ने जहां पहले ही भावों को अर्स से फर्श पर ला दिया था। वहीं गत पखवाड़े में बिगड़े मौसम से वातावरण में बढ़ी अतिरिक्त नमी ने बागवानों की मुश्किलों को और बढ़ा दिया है। ठण्ड व नमी के चलते गीला हुआ अमरुद जल्द पक गया। इससे फल मण्डी में व्यापारी पके अमरुद को लेने में हिचकिचा रहे है। इससे बागवानों को और कम दामों पर अपनी मेहनत को तोलना पड़ रहा है। फल मण्डी में बागवानों को औसत 15 से 20 रुपए किलो की दरों से अमरुद बेचना पड़ रहा है। धार जिले में करीब दो हजार किसान अमरूद की खेती करते हैं और इस फल का रकबा करीब 35 हजार हैक्टेयर मे है।

गत वर्ष मण्डी में औसतन 25 से 30 रुपए किलो के भाव से अमरूद बिका था। मगर अमरूद फल मण्डी में इन दिनों अमरूद के ढेर लगे हैं। मण्डी में प्रतिदिन करीब तीन हजार कैरेट अमरूद आ रहा है। इनकी मण्डी परिसर में बोली लगाई जा रही है, लेकिन किसानों को अमरूदों के दाम पिछले साल से भी कम मिल रहे हैं।

धार जिले में इस बार अमरूद की अच्छी पैदावार हुई है।

किसान जहां मौसम से पहले ही परेशान हैं वहीं दूसरी ओर अमरूद जैसे फलो के दाम नही मिलने से समस्या और बढ़ गई है। उन्हें बेचने के लिए सही बाजार नही मिल रहा है। वहीं बाहरी खरीदार भी नही आ रहे हैं। जिससे अमरूद की खेती में मुनाफा नही हो पा रहा है। वहीं जिले के अन्य इलाके में बहुतायत अमरूद की बागीचे लगाये गये हैं। किसानों के मेहनत का फल पककर तैयार है, लेकिन इसे बाजार भाव के साथ खरीदार नहीं मिल पा रहा है।

अमरूदों की मिठाई फीकी, मौसम नहीं अनुकूल:  तोरनोद, अनारद, तीसगांव व अन्य गांवो के किसानों में अमरूद की पैदावार के प्रति रुचि तो जगी और लेकिन किसानों को उचित दाम नहीं मिलने से वे उदास हैं। मौसम में उतार चढ़ाव के चलते अमरूद उत्पादक किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों ने बताया कि दीपावली के बाद हर साल सर्दी जोर पकड़ लेती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा। अमरूद की पैदावार के लिहाज से सर्दी नहीं पड़ रही है। जिससे फसल विकसित नहीं हो रही थी। अब कोहरे के साथ बारिश ने फसलों को खराब कर दिया व बाजार में बिक्री भी नही हो रही है।

इन शहरों तक आपूर्ति: मध्यप्रदेश राजस्थान सहित दिल्ली, पंजाब चण्डीगढ़, जयपुर, आदि बड़े शहरों में अमरूदों जाता है। जिले से प्रतिदिन करीब एक दर्जन से अधिक अमरूद आस-पास के गांवों से जयपुर, दिल्ली सहित अन्य राज्यों की मण्डियों में पहुंच रहा है। मगर दिल्ली जैसे अन्तराष्ट्रीय मंडियों से माल नही उठने के कारण भी भाव नही मिल रहा व दूसरी ओर खराब मौसम के चलते भी भाव नही मिल रहे है। जिससे किसानों को उद्यानिकी फसलो में नुकशान उठाना पड़ रहा है

साल दर साल बढ़ रहा कारोबार
वर्ष                 हेक्टियर                 उत्पादनमेट्रिक
2017-18         2287हेक्टियर             57175
2018-19         2657हेक्टियर             66425
2019-20         1300 हेक्टियर            28952
2020-21         1150 हेक्टियर            25800
2021-22         1200 हेक्टियर            35936
2022-23         1500 हेक्टियर            40000

 

“हमें 10-15 रुपए ही मिल रहे हैं…”

इस सीजन में भी अमरूदों व अन्य फलों के सही दाम नहीं मिल रहे है। इन दिनों अमरूद मण्डी में 10 से 15 रुपए किलो ही अमरूद मिल रहे है। पिछले साल इस सीजन में सही दाम नही मिले थे।मगर इस बार मावठे की बारिश के साथ कोहरे के मौसम के चलते इस बार हम किसानों को दाम नही मिल पाए है हमे काफी नुकशान उठाना पड़ा।वही इस बार अमरुद हमे युही फेकना पड़े।
मनोज बोरदिया, किसान, तोरनोद

 

“बगीचे के पैसे ही नही निकले”

इस बारे में जो अमरूद का बगीचा खरीदा उसके व अमरुद के दाम पिछले साल की तुलना में भी कम मिल रहे है। इससे हमे भी परेशानी हो रही है। जहाँ इसबार लगतार मौसम की मार से हमे नुकसान उठाना पड़ा है। वही वातावरण में नमी के कारण फल पकाव होने से दामों गिरावट आई है। इस कारोबार में नुकसान हुआ।
सादिक, बागवान व्यापारी

 

“मौसम के चलते नहीं मिल रहा दाम”

अमरूद को लेकर नई वेराटी में किसानों का रुझन जरूर है। इस कारण भी भाव मे कमी देखने को मिली है वहीं वातावरण में नमी के कारण फल में ज्यादा पकाव होने से दामों गिरावट आई है। लगातार मौसमों के कारण मूल्य में उतार चढ़ाव आ रहा है, इस साल उत्पाद बढ़ा है।

मोहन मुजाल्दा, उपसंचालक उद्यानिकी धार


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