मध्य प्रदेश के जबलपुर और आसपास के इलाकों में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण स्थिति गंभीर हो गई है। बरगी बांध के आसपास के क्षेत्रों में जलभराव और बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। बुधवार को बांध के 11 गेट पहले ही खुले थे, और आज सुबह 6 और गेट खोलने पड़े, जिससे नर्मदा नदी में 4,300 क्यूमेक पानी छोड़ा जा रहा है। लगातार पानी छोड़े जाने से नदी के किनारे बसे गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है।
बरगी विस्थापितों की समस्या गंभीर बरगी बांध से विस्थापित पदमी नारायणगंज मंडला के ग्रामीणों की स्थिति सबसे अधिक चिंताजनक है। भारी बारिश और बांध से छोड़े जा रहे पानी के चलते इन गांवों के घरों में पानी घुस गया है। ग्रामीणों के घर और फसलें जलमग्न हो चुकी हैं, जिससे उनकी रोजी-रोटी पर संकट आ गया है। इस विकट स्थिति को देखते हुए प्रशासनिक अधिकारी एसडीएम घंसौर और तहसीलदार बीजासेन मौके पर पहुंचे हैं, लेकिन अभी भी राहत कार्यों में तेजी लाने की आवश्यकता है।
जलभराव की विकराल स्थिति प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी जलभराव से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। छतरपुर के बक्सवाहा, रायसेन के बेगमगंज, दमोह, टीकमगढ़ और शिवपुरी जैसे इलाकों में सड़कों और घरों में पानी भर चुका है। ग्रामीण इलाकों में कई कच्चे मकान ढहने की खबरें भी आई हैं, जिससे लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया है। दमोह, सिवनी, सागर और पथरिया जैसे क्षेत्रों में भीषण जलभराव की स्थिति है, जहां पिछले 24 घंटों में 8 से 11 इंच तक बारिश हो चुकी है।
प्रशासन अलर्ट पर, लेकिन चुनौतियां बरकरार मौसम विभाग ने आगामी 2-3 दिनों तक भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं। कलेक्टर ने सभी संबंधित अधिकारियों को सतर्क रहने और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित राहत कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। बावजूद इसके, बरगी बांध विस्थापितों और जलभराव से प्रभावित लोगों की समस्याएं अभी भी गंभीर बनी हुई हैं। सरकारी टीमें राहत कार्यों में जुटी हुई हैं, लेकिन जलभराव के कारण कई गांवों में पहुंचना मुश्किल हो रहा है, जिससे स्थिति और चुनौतीपूर्ण हो गई है।
प्रभावित क्षेत्रों में जल निकासी की व्यवस्था न होने और प्रशासनिक सुविधाओं की कमी के कारण लोग कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। बरगी विस्थापितों की समस्या को लेकर जल्द राहत नहीं मिली तो हालात और खराब हो सकते हैं।