अंकुरित फसल को देना है खाद, लेकिन यूरिया के लिए भटक रहे किसान 


इस बार समितियों में खाद नहीं दी गई है जिससे उन्हें दूरदराज क्षेत्रों के वेयर हाउस पहुंचना पड़ रहा है। वहां वितरण व्यवस्था भी इस तरह की परेशानी का सबब है कि उन्हें टोकन लेने पड़ते हैं।


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
उनकी बात Published On :

नरसिंहपुर। रबी सीजन में बोनी बखरनी के बाद अंकुरित हुई फसल को खाद देने का वक्त है, लेकिन किसान को यूरिया नहीं मिल पा रहा है।

एक-एक बोरी यूरिया के लिए किसानों को कई घंटे खड़ा रहना पड़ रहा है फिर भी उसके हाथ बोरी नहीं बल्कि मायूसी लग रही है।

पूरे मध्यप्रदेश में नरसिंहपुर जिला एक ऐसा जिला है जहां सर्वाधिक रबी सीजन का रकबा रहता है। जिले में अनाज, दलहन, तिलहन और गन्ने का रकबा 318 लाख हेक्टेयर क्षेत्र है।

गेहूं 110 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में, चना 88 हज़ार हेक्टेयर में, मटर 20 हज़ार हेक्टेयर में, मसूर 35 हज़ार हेक्टेयर में, राई और सरसों में करीब 3 हज़ार हेक्टेयर में है जबकि गन्ना 62000 हेक्टर क्षेत्र में है।

इन सभी फसलों को मौजूदा समय में सिंचाई और उर्वरक की जरूरत है ताकि फसल बेहतर हो सके, लेकिन किसान एक बोरी यूरिया डीएपी के लिए वेयरहाउस में लाइन पर लगा है।

 

इस बार समितियों में खाद नहीं दी गई है जिससे उन्हें दूरदराज क्षेत्रों के वेयर हाउस पहुंचना पड़ रहा है। वहां वितरण व्यवस्था भी इस तरह की परेशानी का सबब है कि उन्हें टोकन लेने पड़ते हैं। सबसे पहले सौ टोकन बांटे जाते हैं।

100 बोरी यूरिया बंटने के बाद ही दूसरे 100 किसानों का नंबर लग पाता है, लेकिन एक दिन में बमुश्किल 100 लोगों को ही यूरिया मिल जाए तो बहुत बड़ी बात है। अब स्थिति यह है कि यूरिया वेयरहाउस में नहीं है‌।

कहा जा रहा है कि अभी तक रैक नहीं आया है। जब खेप आएगी तब किसानों को यूरिया फिर से मिल सकेगा।



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