किसानों को कंपनी की ठगी से हुआ भारी नुकसान, खरपतवार को खत्‍म करने किसानों की डाली दवा हुई फेल


बगड़ी-नालछा सहित आसपास के किसानों ने खरीदी थी प्राइवेट कंपनी की दवा, खर-पतवार नहीं हुआ खत्‍म।


आशीष यादव
उनकी बात Published On :
pesticides for soyabean

धार। जिले में खरीफ फसल की बोवनी हो चुकी है। सोयाबीन खेतों में लहलहा रही है। इसके साथ ही खेतों में फसल के साथ खरपतवार भी उगने लगी है। इसे नष्‍ट करने के लिए कुछ किसान पारंपरिक तरीका अपना रहे हैं तो कुछ प्राइवेट कंपनी की दवाईयों पर निर्भर हैं, लेकिन यह दवाईयां खरपतवार को नुकसान पहुंचाने की बजाय किसानों को नुकसान दे रही हैं।

बगड़ी-नालछा में बड़े पैमाने पर किसानों ने खरपतवार को खत्‍म करने के लिए दवाई का इस्‍तेमाल किया, लेकिन दवाई पूरी तरह फेल हो गई। इसके बाद किसान अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

दरअसल, सोयाबीन के खेतों में फसल अंकुरण के साथ खरपतवार भी पैदा होती है, जो बड़े पैमाने पर होती है। इसे पारंपरिक तरीके से नष्‍ट करने के लिए किसान खेतों में हल यानी ढोरों का इस्‍तेमाल होता है जिससे खरपतवार को नष्‍ट किया जाता है, लेकिन अब किसान खरपतवार को नष्‍ट करने के लिए दवाईयों का भी इस्‍तेमाल कर रहे हैं, लेकिन यह दवाईयां किसानों को फायदा पहुंचाने के बजाय नुकसान दे रही हैं।

नालछा-बगड़ी में फेल हुई दवाई –

नालछा ब्‍लॉक के ग्राम गुलवा के रहने वाले राकेश जाट ने भी खेत में खरपतवार को नष्‍ट करने के लिए जापानीज कंपनी की दवाई का छिड़काव किया था।

इसके लिए किसान ने 3750 रुपये खर्च किए, लेकिन इसका परिणाम कुछ भी नहीं रहा। दवाई पूरी तरह फेल हो गई। किसान जाट का कहना है कि अब मजदूरों को लगाकर खरपतवार नष्‍ट करवाते हैं तो वह काफी खर्चीला होगा।

कृषि विभाग ने बनाया जांच दल –

इधर बड़े पैमाने पर शिकायत मिलने के बाद कृषि विभाग ने खरपतवार की जांच के लिए टीम गठित की है। साथ ही सैंपल लेकर जांच के लिए भिजवाने की बात कही जा रही है।

डीडीए धार जीएस मोहनिया ने बताया कि कुछ इलाकों में दवाई फेल होने की बात सामने आई है। इसके बाद हमने टीम बना दी है, जो सैंपल लेकर जांच करेगी। सैंपल फेल होते हैं तो डीलर और कंपनी दोनों पर कार्रवाई की जाएगी।


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