नीलगाय के आतंक से परेशान धार जिले के किसान, सरकार से नहीं मिल रहा कोई समाधान


नील गाय के चलते खेती तक छोड़ रहे किसान


आशीष यादव
उनकी बात Updated On :

जहां चार महीने अपनी फसल की देखभाल कर उसे बड़ा करने के बाद काटने की बारी आती है। इस बीच किसान को पता चलता है कि अब उसकी फसल को जानवर रौंद चुके हैं और कुछ भी नहीं बचा। धार जिले के किसान इस तरह की समस्याओं को हर साल झेलते हैं। यहां नील गाय का आतंक है। ये विशाल और मज़बूत जानवर झुंड में आकर खेतों में घुसते हैं और पूरी फसल को रौंद देते हैं। इस समस्या से हर साल बड़ा नुकसान होता है लेकिन फिर भी सरकारें किसानों की इस समस्या पर कोई ध्यान देती हैं।

एक साथ 40 से 50 नील गाय आते है खेतों में:

अगर आज किसान अगर सबसे अधिक कोई चोट पहुंचा रहा है तो वे नीलगाय है मगर इसपर पर किसानों का कोई नियंत्रण नहीं है। नीलगाय गेंहू मक्का लहसुन प्याज नर्सरी से लेकर सब्जी व अन्य की फसल को नुकसान पहुंचा रही है। किसानों के लिए फसल बचाना मुश्किल हो गया है।नीलगाय खेतो में एक साथ 40 से 50 नीलगाय खेतों में प्रवेश करते हैं।

नीलगाय के तांडव से मुक्ति के लिए किसानों ने जिला प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों को कई बार आवेदन भी दिया लेकिन किसानों को राहत पहुंचाने की दिशा में आज तक कोई पहल नही चलाई गई। जिससे आज किसानों में काफी आक्रोश व्याप्त है।नीलगायों से त्रस्त किसान देवीलाल यादव बताते है कि नीलगाय को भगाने देते है लेकिन अगले दिन वे पुन: लौट आते हैं। 24 घंटे खेत की रखवाली संभव नहीं है। सरकार और प्रशासन को किसान हित में ठोस कदम उठाना होगा।

अधिनियम का लगता डर नही मिला आज तक किसको मुआवजा:

नीलगाय जंगली जीव है, इसलिए इन्हें छूने एवं मारने पर वन्य प्राणी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है, जिसके कारण नीलगाय को ग्रामीण मारने से बेहद डरते है। क्योकि वही इसको को मारने को लेकर अभी तक विभाग की तरफ से कोई आदेश लागू नहीं हुआ है वही आए दिन किसान नीलगाय से बहुत परेशान होते जा रहे हैं किसान फसल बर्बाद होने की स्थिति में मुआवजे का प्रवधान है। किसान संबंधित अंचलाधिकारी के पास आवेदन देकर मुआवजे की मांग कर सकते है। आज तक किसी किसान को नीलगाय ने फसल बर्बाद की उसका मुआवजा तक नहीं मिला वहीं अनारद के किसान रतनलाल यादव बताते हैं कि पिछली बार मेरी लहसन को नीलगाय ने नुकसान पहुंचा दिया, जिसका मैंने आवेदन एसडीएम वन विभाग को दिया व 181 पर शिकायत की। उसके बाद आज तक मुझे आज दिनांक तक इसका मुआवजा नहीं मिला, व मेरी शिकायत भी बंद कर दी गई।

गांवों की ओर पलायन:

नीलगाय की वजह से हादसे भी हो रहे है। किसान बताते हैं कि पहले तो खेतो तक नीलगाय सीमित थी मगर आज सड़कों के आसपास आने जाने वाले राहगीरों को भी दुर्घटना ग्रस्त करती हुई दिख रही है आए दिन नीलगाय से गिरने के मामले सामने आ रहे हैं इसी प्रकार नीलगाय गाँव मे भी घुसने से नहीं डरती है।

गांवों में भी कई बार आतंक मचा चुकी है व नीलगायों की वजह आजकल अकेले खेतों में जाना भी किसानों ने बंद कर दिया वही लकड़ी डंडे लेकर अब खेतों की और किसान जाने लगे हैं वही नीलगाय अकेला व्यक्ति देख हमला करने से भी नहीं चूक रही है

विभाग के रिकॉर्ड में 3 हजार नीलगाय:

उल्लेखनीय वन विभाग से मिले आंकड़े में जिले में नीलगाय का आंकड़ा 3 हजार से अधिक है। मगर जिले में कितनी है नीलगाय है इनका सही आंकड़ा आज तक कोई पता नहीं कर पाया है क्योंकि यह एक जगह नही रहती है तो इनकी गिनती नही की जा सकती है नीलगाय वन्य प्राणी है मगर इसकी विभाग द्वारा इनकी गणना में आंकड़ा कम है।

जिला मुख्यालय के आसपास गांवों के बाद सरदारपुर व बदनावर में बड़ी सख्या में इनका प्रवास है। यह खेतो में एक दो नही आती है झुंड में खेतों में अलग-अलग समूह में नजर आती है। ओर नुकसान करती है।

सरकार भी नहीं उठा रही कोई ठोस कदम:

किसानों को लेकर देश में हर रोज कहीं ना कहीं बयान बाजी होती है मगर किसानों के लिए आज नील गाय इतनी बड़ी परेशानी बन गई है इसके लिए किसान हर रोज नुकसान झेल रहा है। इसको लेकर जनप्रतिनिधि राज्यसभा, लोकसभा विधानसभा में इसको लेकर कोई कठोर नियम आज तक नहीं बनाया सके है अगर समय रहते इनका कुछ हल नहीं निकाला गया तो किसानों का खेती करना दुश्वार हो जाएगा, वहीं किसानों के पास आज खेती के अलावा अन्य कोई आय का स्त्रोत नहीं है और यह नीलगाय किसानों के लिए मुसीबत बन कर इनमें सामने आकर खड़ी है।

 

पहले तो हम किसान सोयाबीन व गेंहू लहुसन की फसलों में ही नीलगाय से परेशान हो रहे थे। मगर अब गर्मी की फसलों में भी नुकसान कर रही है। अभी हमने गर्मी के प्याज खरबूज तरबूज व अन्य फैसले लगाइए जिसमें नीलगाय नुकसान कर कर जा रहा है।क्या करे कुछ समझ नही आ रहा प्रशासन भी इसे पकड़ने के लिए कुछ नही कर रहे है। वहीं वन विभाग पीथमपुर से नीलगाय पकड़ रहे तो खेतों से भी पकड़कर अन्य जगह छोड़ना चाहिए।

आत्माराम चौधरी, किसान सकतली

 

राजस्व विभाग देता है नुकसानी…

नीलगाय से किसानों के खेतों में हुए नुकसान को लेकर राजस्व इसकी क्षतिपूर्ति करता है। अगर किसान आवेदन करता है तो उसे मुआवजा दिया जाएगा। वहीं शासन स्तर पर अभी इनको पकड़ने को लेकर कोई आदेश नहीं मिला है अगर को आदेश आता है तो कार्य करेंगे।

नरेंद्र सनोडिया, सीसीएफ इंदौर

 

जल्दी योजना बनाई जाएगी…

नीलगाय से किसानों को नुकसान हो रहा है। इसके लिए लोकसभा चुनाव बाद इसको लेकर सरकार द्वारा जल्द योजना बनाकर इनकी नसबंदी की जाएगी।इनको पकड़ नहीं सकते क्योंकि जिले में अभ्यारण नहीं है। मगर इनकी नसबंदी की योजना लोकसभा बाद बनाई जाएगी।

नागर सिंह चौहान, वनमंत्री, मध्यप्रदेश शासन


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