रविवार को केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच फिर बातचीत हुई। परिणामों के आधार पर कहा जाए तो यह बातचीत भी असफल रही है क्योंकि किसान नेताओं ने केंद्र सरकार का प्रस्ताव खारिज कर दिया है। सरकार के मंत्री जहां अपने प्रस्ताव को आउट ऑफ द बॉक्स यानी बिलकुल नया बता रहे थे तो वहीं किसानों के मुताबिक इस प्रस्ताव में कुछ भी खास नहीं है।
#WATCH | Shambhu Border | Farmer leaders reject the Government's proposal over MSP.
Farmer leader Jagjit Singh Dallewal says, "…After the discussion of both forums, it has been decided that if you analyse, there is nothing in the government's proposal…This is not on the… pic.twitter.com/W7FV6kIkIQ
— ANI (@ANI) February 19, 2024
केंद्रीय मंत्री पीषूय गोयल ने किसान नेताओं के साथ वार्ता समाप्त होने के बाद रविवार देर रात कहा कि सरकार ने सहकारी समितियों एनसीसीएफ (भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित) और नाफेड (भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ) को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर दालें खरीदने के लिए तैयार है लेकिन यह खरीदी केवल पांच सालों तक के लिए लागू होगी। इसके अलावा भारतीय कपास निगम (सीसीआई) द्वारा एमएसपी पर कपास की खरीदी के लिए यही प्रस्ताव दिया है। हालांकि इस बैठक में किसानों के ऋण माफ करने वाली मांग पर चर्चा नहीं हुई।
बैठक समाप्त होने के बाद कहा कि किसानों के साथ वार्ता सद्भावनापूर्ण माहौल में हुईं। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि किसान नेता सरकार के प्रस्तावों पर अपने निर्णय के बारे में कल तक सूचित करेंगे। गोयल ने कहा कि ‘हमने सहकारी समितियों एनसीसीएफ और नाफेड को एमएसपी पर दालें खरीदने के लिए किसानों के साथ पांच साल का समझौता करने का प्रस्ताव दिया है।’ गोयल ने कहा, ‘हमने प्रस्ताव दिया है कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) एमएसपी पर कपास की फसल खरीदने के लिए किसानों के साथ पांच साल का समझौता करेगा।’ केंद्रीय मंत्री ने इस प्रस्ताव को इनोवेटिव और आउट ऑफ द बॉक्स बताया है।
इस बैठक में किसान संगठनओं की ओर से 14 प्रतिनिधि शामिल रहे। बैठक से पहले किसान आंदोलन में मारे गए 79 वर्षीय किसान ज्ञान सिंह को श्रद्धांजलि दी गई।
केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय किसान नेताओं के साथ बैठक के लिए सेक्टर-26 स्थित महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान पहुंचे थे। इस दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी बैठक में शामिल हुए। यह बैठक रात करीब साढ़े आठ बजे शुरू हुई थी।
#WATCH चंडीगढ़: केंद्रीय मंत्रियों और किसानों के बीच चौथे दौर की बातचीत में शामिल होने के लिए केंद्रीय मंत्री होटल से रवाना हुए। pic.twitter.com/4pl3bP6vY4
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 18, 2024
केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच इससे पहले आठ, 12 और 15 फरवरी को मुलाकात हुई लेकिन बातचीत बेनतीजा रही थी। यह बैठक ऐसे वक्त हुई है, जब हजारों किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पंजाब और हरियाणा की सीमा पर शंभू और खनौरी में डटे हुए हैं तथा किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश से रोकने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं।
किसानों की मांगें…
केंद्र सरकार से किसानों की मांग है कि एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी बनाया जाए और किसान कृषकों के कल्याण के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू की जाएं। इनके अलावा किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन तथा कर्ज माफी, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं।
किसानों और मंत्रियों की बैठक से पहले, दिन में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने घोषणा की कि फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित किसानों की मांगों को स्वीकार करने का केंद्र पर दबाव बनाने के लिए मंगलवार से तीन दिन तक पंजाब में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के आवासों का घेराव किया जाएगा।
एसकेएम के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि वे मंगलवार से गुरुवार तक सांसदों, विधायकों और जिला इकाइयों के अध्यक्षों सहित भाजपा की पंजाब इकाई के नेताओं के आवासों के सामने विरोध प्रदर्शन करेंगे।
राजेवाल ने लुधियाना में एसकेएम नेताओं की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि यह भी निर्णय लिया गया है कि वे राज्य के सभी टोल अवरोधकों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे और उन्हें 20 से 22 फरवरी तक सभी यात्रियों के लिए नि:शुल्क बनाएंगे।
उन्होंने कहा कि एसकेएम स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में अनुशंसित एमएसपी के लिए ‘सी-2 प्लस 50 प्रतिशत फॉर्मूले’ से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेगा। इस बैठक में किसान नेता बलकरण सिंह बराड़ और बूटा सिंह सहित अन्य नेता शामिल हुए।
वहीं, बातचीत से पहले किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि केन्द्र सरकार को टाल-मटोल की नीति नहीं अपनानी चाहिए और आचार संहिता लागू होने से पहले किसानों की मांगें माननी चाहिए।
डल्लेवाल ने शंभू सीमा पर संवावदाताओं से कहा, ‘मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि वह टाल-मटोल की नीति न अपनाये।’ उन्होंने कहा कि अगर सरकार को लगता है कि वह आचार संहिता लागू होने तक बैठकें जारी रखेगी और फिर कहेगी कि आचार संहिता लागू हो गई है एवं हम कुछ नहीं कर सकते ….(फिर भी) ‘किसान वापस नहीं लौटेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘सरकार को आचार संहिता लागू होने से पहले हमारी मांगों का समाधान तलाशना चाहिए।’
उधर, हरियाणा के कुरुक्षेत्र में भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के प्रमुख गुरनाम सिंह चढ़ूनी और कुछ खापों ने पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक पंचायत में हिस्सा लिया।
बैठक के बाद चढ़ूनी ने संवाददाताओं से कहा कि आंदोलन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन करने के लिए सभी किसान संगठनों को एकजुट करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि तय वार्ता के चलते कई अन्य फैसले फिलहाल रोक दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि बातचीत का नतीजा सामने आने के बाद फैसलों की घोषणा की जाएगी।
खाप नेता ओ.पी. धनखड़ ने कहा कि हरियाणा की खापें आंदोलन के समर्थन में हैं और केंद्र सरकार को एमएसपी की कानूनी गारंटी देने में देरी नहीं करनी चाहिए। पंचायत में शामिल हुए एक अन्य खाप नेता ने कहा कि अगर वार्ता विफल रही तो किसान दिल्ली पहुंचेंगे और विरोध-प्रदर्शन करेंगे।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर पटियाला, संगरूर और फतेहगढ़ साहिब समेत पंजाब के कुछ जिलों के चुनिंदा इलाकों में इंटरनेट सेवाओं पर लागू प्रतिबंध 24 फरवरी तक बढ़ा दिया गया है।
इससे पहले किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च के मद्देनजर 12 फरवरी से 16 फरवरी तक पंजाब के इन जिलों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई थीं।
इनपुटः समाचार एजेंसी भाषा से लिया गया है.