इसमें सुनील पाटीदार कहते हैं कि सर, ये लहसुन का रेट क्या है? इसपर कृषि मंत्री कहते हैं कि लहसुन का रेट मैं कहां से दूं। थोड़े दिन दो महीने रुको रेट चार गुना हो जाएंगे। किसान जवाब देता है कि कहां से हो जाएंगे, अब तो नई फसल आने वाली है एक महीने बाद। बातचीत के दौरान कृषि मंत्री कहते हैं कि मेरे पास कृषि विभाग है इसमें ये लहसुन-प्याज आता ही नहीं हैं। ये उद्यानिकी में आता है उद्यानिकी मंत्री से बात करो।
कृषि मंत्री आगे कहते हैं कि कभी-कभी तुमको रेट डबल-ट्रिपल भी मिलता है। इस पर सुनील पाटीदार जवाब देते हैं कि वो तो मिलते हैं, मगर अभी दो साल से किसान परेशान हो रहा है। कृषि मंत्री जवाब देते है कि ऐसी चीजें मत बोओ, जिसके रेट अच्छे मिलें वो उगाओ।
किसान फिर सवाल पूछता है कि हम कौन सी फसल बोएं? प्याज के भी रेट ऐसे मिल रहे। किसान की लागत नहीं निकल रही। किसान ने सोयाबीन की फसल खराब होने की भी शिकायत की और कहा कि धार जिले में सर्वे को भी नहीं आ रहा। कृषि मंत्री बात को टालते हुए कहते हैं कि मूंग की फसल उगाओ, उसमें बहुत कमाई हो रही है। किसान जवाब देता है कि धार जिले में मूंग की खेती होती ही नहीं है। हमारे जिले में बस सोयाबीन, मटर, गेहूं की खेती होती है। आखिर में मंत्री जी कहते हैं कि चलो ठीक है। तुम्हारे लिए कुछ करते हैं।