लम्बी झड़प और संघर्ष के बाद केंद्र सरकार ने किसानों के जिद के आगे विवश होकर उन्हें दिल्ली घुसने की इजाजत तो दे दी, किंतु किसानों ने अब अपनी रणनीति बदलते हुए दिल्ली को बाहर से ही घेरने का मन बनाया है। इस आन्दोलन को आगे किस तरह से ले जायेंगे किसान संगठन और उनसे जुड़े लाखों किसान यह तो आगे पता चलेगा। खबर है कि सम्बन्ध में अभी किसान संगठनों की बैठक चल रही है और इस बैठक में ही आगे के लिए निर्णय लिए जायेंगे। फ़िलहाल किसान दिल्ली के बाहर बैठे हुए हैं।
दिल्लीः दिल्ली पुलिस के बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड में विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति देने के बावजूद प्रदर्शनकारी किसान अभी भी सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "हम सड़कों पर ही रहेंगे।" #FarmLaws pic.twitter.com/IJ8ZezWuB7
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 28, 2020
गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा लाये गये तीन नये कृषि विधेयकों से किसान नाराज हैं और इन कानूनों की मांग कर रहे हैं। पंजाब के किसान बीते करीब ढाई महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं, जहाँ उन्होंने रेलवे पटरियों पर तम्बू लगा लिया है जिस वहां रेल चालचल बाधित है। जब से सरकार ने इन विधेयकों को संसद में पारित कर कानूनी रूप दिया है तब से किसानों के हड़ताल के कारण पंजाब में के भी माल गाड़ी को घुसने नहीं दिया गया है।
इस मसले पर केंद्र के साथ दो दौर की बातचीत विफल रहने के बाद किसान संगठनों ने संविधान दिवस के दिन 26 नवम्बर को ‘दिल्ली चलो’ अभियान की घोषणा की थी।
मोदी सरकार और हरियाणा की खट्टर सरकार ने किसानों के इस दिल्ली मार्च को रोकने केलिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी किन्तु अंत में किसानों के मजबूत हौंसले के आगे सरकार को एक कदम पीछे जाकर किसानों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति देनी पड़ी। किन्तु किसानों ने अब इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है और दिल्ली को बाहर से घेर कर उसकी सप्लाई रोकने का मन बनाया है।
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर(दिल्ली-हरियाणा) पर विरोध प्रदर्शन करते किसान। #FarmersProtest pic.twitter.com/5I0MWDE6se
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 28, 2020
बता दें कि , पहले किसानों को गिरफ्तार कर कैद करने के लिए दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सरकार से दिल्ली के नौ स्टेडियमों को अस्थाई जेल बनाने की इज़ाजत मांगी थी, जिसे दिल्ली सरकार ने ख़ारिज कर दिया था।
इस बीच बीजेपी नेता दुष्यंत गौतम ने किसानों के इस विरोध प्रदर्शन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार घोषित कर दिया। गौतम ने कहा कि, केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें (प्रदर्शन कर रहे किसान) 3 दिसंबर को बुलाया है, पहले भी बुलाया था। परन्तु कांग्रेस राजनीति करना चाहती है, किसानों के कंधे पर आगे बढ़ना चाहती है, कांग्रेस की ये दोहरी नीति है, ये कभी भी चलने वाली नहीं है।
केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें (प्रदर्शन कर रहे किसान) 3 दिसंबर को बुलाया है, पहले भी बुलाया था। परन्तु कांग्रेस राजनीति करना चाहती है, किसानों के कंधे पर आगे बढ़ना चाहती है, कांग्रेस की ये दोहरी नीति है, ये कभी भी चलने वाली नहीं है : दुष्यंत गौतम, भाजपा #FarmersProtest pic.twitter.com/5Tij3sjZQ4
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 27, 2020
वहीं केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि , इससे पहले भी 2 चरण अपने स्तर पर, सचिव स्तर पर किसानों से वार्ता हो चुकी है। 3 दिसंबर को बातचीत के लिए किसान यूनियन को हमने आमंत्रण भेजा है। तोमर ने आगे कहा कि, भारत सरकार किसानों से चर्चा के लिए तैयार थी, तैयार है और तैयार रहेगी।
अब सवाल है कि जब केंद्र सरकार हमेशा से ही किसानों से किसी बात करने को तैयार हैं तो फिर शांतिपूर्ण तरीके से संविधान दिवस के दिन जब किसान दिल्ली आ रहे थे तो उनको रोकने के लिए इतने इन्तेजाम क्यों किये गये ? क्यों दर्जनों किसान नेताओं की गिरफ्तारी हुई ? सवाल बहुत हैं। इन कानूनों को लाने से पहले किसानों को भरोसे में क्यों नहीं लिया गया ?
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने किसानों का समर्थन करते हुए कहा कि, प्रदर्शन कर रहे किसान बातचीत करके समाधान निकाला जाए, उनकी मांग जायज़ हैं। हम उनका समर्थन करते हैं। जो तीन कानून बनाए गए हैं वो किसान के हित में नहीं हैं।
बता दें कि कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने किसानों के इस ऐतिहासिक आन्दोलन को समर्थन दिया है।
वहीं, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी अब किसानों से आन्दोलन वापस लेने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने नर्मदा बचाव आन्दोलन की नेत्री मेधा पाटकर सहित कई सामाजिक कार्यकर्ताओं को दिल्ली आते समय आगरा में गिरफ्तार कर लिया था।
UP Police stopped farmer contingents of South India led by Medha Patkar & Pratibha Shinde to reach Delhi. Dharna started 8pm, 25 Nov under open sky in cold. Today police compelled to let team to proceed to Delhi. Victory for resolve & peaceful but determined protest by farmers !! pic.twitter.com/hN1Rze8yVo
— All India Kisan Sangharsh Coordination Committee (@aikscc) November 27, 2020
अब मौर्या जी कह रहे कि किसान अपना आन्दोलन वापस लें !
कृप्या किसान इस आंदोलन को वापस लें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए काम किया है। कांग्रेस किसानों को भ्रमित कर रही है। कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए हमेशा किसानों का शोषण किया: किसान आंदोलन पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य pic.twitter.com/kVmWxFGrdC
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 28, 2020
शाहनवाज हुसैन भी पार्टी लाइन दोहराते हुए कह रहे हैं कि, हमारी सरकार किसान भाइयों से बहुत लगाव रखती है। गलतफहमियां बातचीत के ज़रिए ठीक की जा सकती हैं। कृषि मंत्री जी ने कहा है कि इस पर बातचीत के ज़रिए हल निकाला जाएगा। जिस तरह से इस पर कांग्रेस सियासत कर रही है वो बंद होनी चाहिए।
राजनीति इसे ही कहते हैं, अपना दोष दूसरे पर डाल दो।