खाद के लिए दर-दर भटक रहे हैं किसान, सरकार के बड़े-बड़े दावे बस कागजों पर


फसलों के लिए इस समय खाद की आवश्यकता बहुत बढ़ गई है। ऐसे में खाद की कमी से किसान परेशान हो रहे हैं। इसी के चलते प्रदर्शन भी बढ़ रहे हैं।


आशीष यादव आशीष यादव
उनकी बात Published On :
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धार। रबी का सीजन चल रहा है और रबी के फसल की तैयारी पूरी कर ली गई। किसान सुबह से उठकर शाम तक एक ही परेशानी में दिन गुजार रहे हैं कि गेंहू व अन्य फसलों के लिए खाद की व्यवस्था कैसे की जाए।

वहीं दूसरी ओर जिम्मेदार जिलेभर में खाद होने का दावा कर रहे हैं जबकि जमीन पर स्थिति कुछ और ही है। सरकार कागजों पर खाद वितरण के आंकड़े प्रस्तुत कर रही है तो दूसरी ओर जमीन पर भूखा-प्यासा धूप में परेशान होता किसान खाद के लिए दर-दर भटकता हुआ नजर आता है कि कहीं से खाद मिल जाए।

नगद खरीदने पर भी नहीं मिल रही खाद –

किसानों का गेहूं में पानी देने का काम चल रहा है। किसान रुपये लेकर खाद के लिए भटक रहे हैं,लेकिन खाद नहीं खरीद पा रहे हैं। पानी के लिए पिछड़ रही है फसलों पर असर देखने को मिलेगा।

अगर कहीं से खाद उपलब्ध होता है तो निर्धारित दर से ज्यादा पैसा देना पड़ रहा है। नगद में भी समितियों को खाद नहीं मिल रही है। सहकारी समिति से यूरिया पूर्ति के अनुसार खाद उपलब्ध नहीं कर पा रहे हैं।

बाजार में भी नगद से किसानों को खाद नहीं दिया जा रहा है। समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। यही हाल जिले के अन्य क्षेत्रों में भी बनता जा रहा है। जिलों में खाद की किल्लत से किसान परेशान हैं।

एक तरफ रबी की फसल की बुवाई शुरू होने के बाद किसान पानी छोड़ने तक खाद के लिए दौड़ लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें पर्याप्त खाद नहीं मिल पा रहा है, जिससे किसानों में गुस्से का माहौल भी बनता दिखाई दे रहा है।

जिले के अलग-अलग हिस्सों में लोग खाद के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगा रहे हैं तो कई जगह रोड जामकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

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जमाखोरी भी सबसे बड़ी वजह –

आपको बता दें कि यूरिया संकट की वजह केवल आयात में कमी नहीं है। देश में भी यूरिया का उत्पादन गिरा है। इस बार गेहूं का रकबा भी बढ़ा है व दूसरी ओर जमाखोरी भी मुख्य कारण है।

एक ओर जहां खाद की किल्लत से अन्नदाता परेशान हैं, वहीं खाद को लेकर सियासत भी गरमाई हुई है जबकि बेचारा अन्नदाता खाद के लिए परेशान हो रहा है। अगर जल्द ही खाद की आपूर्ति बहाल नहीं हुई तो आने वाले समय में किसान बिना खाद के खेतों में पानी छोड़ने पर मजबूर होगा।

किसानों ने भी बताई वजह –

खाद की किल्लत पर किसानों का कहना है कि जरूरत के मुताबिक खाद नहीं मिल रहा है। साथ ही एक किसान को 5 बोरी से अधिक खाद नहीं दिया जा रहा है जबकि 10 बीघा से अधिक के खातेदार किसानों को प्रति बीघा एक बोरी की आवश्यकता है।

बारिश के पहले जिन किसानों ने खाद लिया उनके पावती पर खाद चढ़ गया है, लेकिन एक पानी के बाद दूसरी बार पानी के लिए खाद की आवश्यकता है, लेकिन वह खाद के लिए चक्कर लगा रहे हैं।

अब उन्हें सरकारी सोसाइटी के साथ नगद व विपणन के नगद केंद्रों पर भी खाद नहीं मिल पा रहा है जिससे अन्नदाता परेशान हैं।

पिछले कई दिनों से खाद के लिए परेशान –

किसानों को खाद उपलब्ध नहीं होने से नाराजगी बढ़ती जा रही है। किसानों का कहना है कि बुवाई के बाद से ही खाद की तैयारी चल रही है। बारिश पर्याप्त होने से किसानों को सिंचाई में तो दिक्कत नही आ रही। बस खाद में परेशान होना पड़ रहा है।

कई किसानों ने तो एक दूसरे से मांगकर खेतों में पानी देने का काम शुरू किया। फसल बोने के समय भी किसानों को डीएपी खाद की आवश्यकता के अनुरूप खाद नहीं मिला था।

 

खाते की लिमिट पूर्ण हो गई – 

किसान गोपाल बिल्लोरे ने बताया कि वह पिछले 10 दिनों से खाद के लिए चक्कर लगा रहे हैं। जैसे-तैसे नगद खरीदी से खाद मिला फिर भी अभी खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा।

पूर्व में सोसाइटी से 25 बोरी खाद लिया था, लेकिन दोबारा जब सोसाइटी पर जाकर और खाद की मांग की तो कर्मचारियों ने कहा कि आपका खाते की लिमिट पूर्ण हो गई है जिसकी वजह से अब आप के खाते पर खाद नहीं मिलेगा।

किसान बिल्लोरे ने बताया कि उनकी 54 बीघा जमीन है । एक बार मैंने 40 बोरी डीएपी व 25 बोरी यूरिया लिया, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से यूरिया के लिए दर-दर भटकने पर मजबूर हो रहा हूं। आज यूरिया नहीं मिलने से मेरे खेतों में पानी की सिंचाई नहीं कर पा रहा हूं। मैं महंगे भाव में अब यूरिया खरीदकर खेतों में उड़ाने के बाद सिंचाई करूंगा। लापरवाह अधिकारियों के कारण मुझे ये नुकसान उठाना पड़ा है। इतना ही नहीं शाखा प्रबंधक के पास जाने के बाद भी उनके द्वारा मुझे सही जानकारी ना देते हुए वापस लौटा दिया गया।

पावती रखकर लगाया नंबर –

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आज की स्थिति में जिले के हर क्षेत्र में खाद की किल्लत देखी जा रही है। किसान खाद लेने के लिए पावती व आधार कार्ड को लाइन में रखकर अपना नंबर लगा रहा है।

घंटों खड़ा न रहना पड़े इसलिए किसान अपना नंबर पावती के रूप में लगा रहा है। अधिकांश किसानों द्वारा पत्थर रखकर अपनी बारी का इंतजार किया जा रहा है।

किसानों का कहना है कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की तो बात करती है, लेकिन समय पर फसलों को भोजन नहीं दिया जाएगा तो उत्पादन कैसे बढेगा। जिम्मेदार अधिकारी भी जमीन पर आकर देखें कि किसानों को खाद को लेकर क्या-क्या परेशानी झेलनी पड़ रही है।

मांग के अनुरूप नहीं मिल रहा खाद – 

पर्याप्त खाद न मिलने से किसानों का जिले भर में विरोध जारी है। बताया जा रहा है कि मांग की तुलना में जिले में यूरिया की पर्याप्त आपूर्ति नहीं की जा रही है।

फसलों के लिए इस समय खाद की आवश्यकता बहुत बढ़ गई है। ऐसे में खाद की कमी से किसान परेशान हो रहे हैं। इसी के चलते प्रदर्शन भी बढ़ रहे हैं। पिछले दिनों राजगढ़ में खाद को लेकर रोड पर चक्का जाम कर के विरोध प्रदर्शन किया गया था।



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