बुधवार को धार जिले में बड़ी संख्या में किसानों ने सोयाबीन के कम दाम और अन्य कृषि समस्याओं के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए कलेक्टोरेट का घेराव किया।
भारतीय किसान संघ के बैनर तले किसान लालबाग से रैली निकालते हुए कलेक्टर कार्यालय तक पहुंचे, जहां उन्होंने अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। किसानों ने बताया कि इस बार सोयाबीन की फसल मौसम की मार झेल रही है, जिसके चलते उत्पादन में भारी गिरावट आने की आशंका है। इसके बावजूद, बाजार में सोयाबीन के दाम बेहद कम मिल रहे हैं, जिससे किसानों को अपनी लागत भी निकालने में कठिनाई हो रही है।
सोयाबीन की गिरती कीमतों से परेशान किसान
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सोयाबीन की खेती में लागत दोगुनी हो गई है, जबकि मंडी में मॉडल भाव 4,500 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक नहीं मिल रहा है। इस स्थिति में किसानों का मुनाफा तो दूर, लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। किसान संघ ने अपनी मांगों में सोयाबीन का समर्थन मूल्य 6,000 रुपए प्रति क्विंटल तय करने और 2,000 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने की अपील की। संघ ने चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो आगामी 16 सितंबर को बड़े आंदोलन की तैयारी की जाएगी।
कलेक्टर से मिलने की जिद पर अड़े किसान
प्रदर्शन के दौरान किसानों ने कलेक्टोरेट गेट पर पहुंचकर जमकर नारेबाजी की। हालांकि, एसडीएम रोशनी पाटीदार ने ज्ञापन स्वीकार किया, लेकिन किसान अपनी बात कलेक्टर तक पहुंचाने पर अड़े रहे। अंततः कलेक्टर प्रियंक मिश्रा को कार्यालय से बाहर आकर किसानों की बात सुननी पड़ी। लगभग दस मिनट चली इस चर्चा में किसानों ने अपनी समस्याएं खुलकर सामने रखीं, जिसके बाद वे वापस लौटे।
मांगें पूरी न होने पर आंदोलन की चेतावनी
किसानों ने बताया कि वे अपनी फसल को बच्चों की तरह पालते हैं, लेकिन उचित दाम न मिलने से वे निराश हैं। इस प्रदर्शन के बाद भी यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो वे प्रदेश और देशभर में बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। वर्तमान में विभिन्न तहसीलों में ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें रखी जा रही हैं।
प्रमुख मांगें:
1. सोयाबीन का समर्थन मूल्य: 6,000 रुपए प्रति क्विंटल और 2,000 रुपए का बोनस।
2. नर्मदा का जल: धार, तिरला, नालछा और पीथमपुर ब्लॉक के किसानों को सिंचाई के लिए उपलब्ध कराया जाए।
3. वर्ष 2018-19 की कर्ज माफी न होने से डिफॉल्टर हुए किसानों की ब्याज माफी और उनके कृषि ऋण खाते नियमित किए जाएं।
4. घोड़ारोज की समस्याका समाधान।
5. रबी सीजन के लिए डीएपी और यूरिया का पर्याप्त भंडारण।
6. जिला मुख्यालय पर सब्जी मंडी अधिनियम के तहत मंडी का संचालन।
7. किसान मित्र योजना के तहत 50% अनुदान पर बिजली के ट्रांसफार्मर की उपलब्धता।
8. रात 8 से 10 के बीच विद्युत वितरण कंपनी द्वारा की जा रही लोड शेडिंग को तुरंत बंद किया जाए।
किसानों ने साफ कहा कि यदि इन मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया, तो बड़े आंदोलन के आसार बढ़ सकते हैं।