किसान आंदोलनः छतरपुर में सत्रह दिनों से खुले आसमान के नीचे बैठे हैं किसान, बिगड़ने लगी तबियत


तेज़ ठंड में लगातार बैठने के कारण अमित की तबियत बिगड़ी है। इसी तरह दिल्ली की बॉर्डर पर बैठे कई किसानों की तबियत भी ठंड के कारण बिगड़ी और उनमें से कुछ की मौत भी हो गई थी।


शिवेंद्र शुक्ला शिवेंद्र शुक्ला
उनकी बात Updated On :

छतरपुर। कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर मध्यप्रदेश में भी किसानों का एक महत्वपूर्ण प्रदर्शन चल रहा है। यहां छतरपुर में किसान बीते सत्रह दिनों से धरने पर हैं। यह अनिश्चितकालीन धरना  छत्रसाल चौक पर चल रहा है।  ग्रामीण अधिकार संगठन के प्रदेशाध्यक्ष अमित भटनागर के नेतृत्व में यह आंदोलन जारी है। इस दौरान किसानों को धरने के लिए टैंट लगाने की भी अनुमति प्रशासन ने नहीं दी। जिसके कारण किसानों को कड़ी ठंड में यहां बैठना पड़ा।

मौसम की मार और प्रशासन की बेरुख़ी झेलते-झेलते अब किसानों की सेहत पर भी असर पड़ रहा है। शुक्रवार को नेतृत्वकर्ता अमित भटनागर की तबियत बिगड़ गई।  जिसके बाद उन्हें तुरंत जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां कई और भी किसान स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं। जिन्हें अब मेडिकल जांच की ज़रूरत है। हालांकि किसानों ने साफ किया है कि इसका ये मतलब कतई नहीं है कि वे अपना धरना खत्म करने जा रहे हैं।

जानकारी में बताया गया है कि अमित भटनागर को सीने में तेज दर्द हो रहा था। 108 एंबुलेंस के लिए भी उन्हें तीन घंटे इंतजार करना पड़ा जबकि अस्पताल नज़दीक ही था। तेज़ ठंड में लगातार बैठने के कारण अमित की तबियत बिगड़ी है। इसी तरह दिल्ली की बॉर्डर पर बैठे कई किसानों की तबियत भी ठंड के कारण बिगड़ी और उनमें से कुछ की मौत भी हो गई थी।

छतरपुर में चल रहे धरने में और भी किसान बीमार हो रहे हैं। यह गुरुवार को ही गुड़पारा निवासी 68 वर्षीय दरबारी पटेल को भी ठंड लग गई थी। धरने में मुख्य रूप से प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. दिनेश मिश्रा, जागृति अहिरवार, गणेश सिंह, भगतराम तिवारी, कवि माणिकलाल, रुचिकान्त राय, राजेन्द्र गुप्ता, सोना आदिवासी, बालादीन पटेल, हिसाबी राजपूत, राकेश तिवारी आदि बैठे हुए हैं।



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