किसान आंदोलन 2.0ः इस बार आसान नहीं दिल्ली का रास्ता, कई शहरों में किसान नेताओं पर कार्रवाई


मप्र के कई जिलों में किसानों को रोका गया है गिरफ्तारियां की गई हैं।


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उनकी बात Updated On :

देश में किसान एक बार फिर आंदोलित नजर आ रहे हैं। इस बार किसानों ने 13 फरवरी को दिल्ली में आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है। हालांकि इस बार उनका रास्ता पहले जैसा आसान नहीं है क्योंकि इस बार सरकार ने उन्हें रोकने की तैयारी पहले से कर ली है। संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा दिल्ली में पहुंचने के लिए तैयारी कर रहे हैं और हरियाणा में इन संगठनों का प्रदर्शन जारी है।

दिल्ली में जहां अन्य राज्यों से प्रदर्शन के लिए आने वाले किसानों को रोकने के लिए शहर की सरहद पर बैरिकेट्स लगाए जा रहे हैं कीलें गाड़ी जा रहीं हैं तो बाकी देश में उन्हें रास्तों में रोका जा रहा है। मध्यप्रदेश में सोमवार को कई जिलों में किसानों को रास्तों में रोका गया।  जबलपुर, भोपाल, नर्मदापुरम, जबलपुर और ग्वालियर में किसानों को इस आंदोलन में आगे जाने से रोका गया है और कई किसान नेताओं की गिरफ्तारियां हुई हैं।

भोपाल रेलवे स्टेशन पर भी ऐसा ही नजर आया जब कर्नाटक राज्य से दिल्ली की ओर जा रहे किसानों को स्टेशन पर उतार लिया गया। किसानों ने इसका जमकर विरोध किया उन्होंने कहा कि पुलिस यह किस हक से कर रही है क्या वे पाकिस्तानी या आतंकवादी हैं?

भोपाल के अलावा नर्मदापुरम में भी इसी तरह का नजारा देखने को मिला। यहां नर्मदापुरम जिले के पिपरिया से पुलिस ने राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के जिला अध्यक्ष शिवराज राजोरिया, ब्लॉक अध्यक्ष महेश उपाध्याय और संघ से जुड़े सचिन शर्मा को गिरफ्तार किया। उन्हें एसडीएम कोर्ट से जेल भेज दिया गया। इसके अलावा श्योपुर में भी पांच किसान नेताओं को गिरफ्तार किया गया जिस पर किसानों ने खासी नाराजगी जताई और कलेक्टोरेट का घेराव किया।

इसी तरह रीवा में स्थित ऋतुराज पार्क में कई किसान जुटे। पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने इन किसानों को जेल भेज दिया गया है और इन पर शांतिभंग करने का आरोप लगाया गया है। इसी तरह छतरपुर में भी कुछ किसानों को पकड़ा गया है।

 

किसानों की मांगें

  • इस प्रदर्शन की वजह किसानों की कुछ अहम मांगें हैं जो अब तक पूरी नहीं हो सकी हैं। इनमें सबसे बड़ी मांग है कि उन्हें सभी फसलों पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिया जाए। केंद्र सरकार का दावा है कि वह प्रमुख फसलों को उत्पादन मूल्य पर 50 फीसदी का लाभ देते हुए फसलों की खरीद कर रही है। लेकिन किसान भूमि का किराया शामिल करते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की बात कर रहे हैं।
  • किसानों की मांग कर्जमाफी की है। उनका कहना है कि उद्योगपतियों का लाखों करोड़ का कर्ज माफ हो जाता है लेकिन किसानों का नहीं, उनकी मांग पेंशन की भी है।
  • भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू करने की मांग की है।
  • पिछले किसान आंदोलन में मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा देने और सरकारी नौकरी देने की मांग की है।
  • विद्युत संशोधन बिल 2020 को लागू करने की मांग है।
  • मनरेगा में हर साल दो सौ दिन का काम और सात सौ रुपए की मजदूरी दी जाए।

 



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