मध्यप्रदेश सरकार पर किसानों और प्रदेशवासियों के बीच सोयाबीन न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर झूठा प्रचार करने का आरोप लगाया जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने 12 सितंबर 2024 को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि राज्य सरकार द्वारा सोयाबीन MSP में 892 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि के दावे झूठे और भ्रामक हैं।
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और कांग्रेस के प्रतिशत अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी यही बात कही थी। दोनों नेताओं ने कहा था कि सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही है। वहीं किसान नेताओं का कहना है कि वे छह हजार रु प्रति क्विंटल के दाम पर ही सोयाबीन बेचना चाहते हैं और इससे कम कुछ भी नहीं।
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी रंजीत किसानवंशी ने कहा कि सरकार द्वारा फैलाए जा रहे इस भ्रम का ताजा उदाहरण यह है कि राज्य के जनसंपर्क विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय के सोशल मीडिया हैंडल्स पर दावा किया गया कि मध्यप्रदेश सरकार ने केंद्र से सोयाबीन MSP बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा था, जिसे केंद्र ने मंजूर कर लिया और MSP में वृद्धि कर दी गई।
हालांकि, वास्तविकता यह है कि सोयाबीन MSP की घोषणा केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाला विभाग जून 2024 में ही कर चुका था, जिसमें 292 रुपए की वृद्धि कर इसे 4892 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया था। जबकि, राज्य सरकार द्वारा 800 रुपए की वृद्धि का दावा किया जा रहा है, जो पूरी तरह झूठा है। इस फर्जी दावे के उजागर होने के बाद संबंधित ट्वीट्स को भी हटा लिया गया।
इस विज्ञप्ति में किसानवंशी ने आगे बताया कि राज्य सरकार ने केवल सोयाबीन की MSP पर खरीदारी की अनुमति के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा था, जबकि MSP बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया। केंद्र सरकार ने इससे पहले महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक को सोयाबीन की MSP पर खरीदारी की अनुमति दी थी। केंद्र से प्राप्त इस अनुमति को राज्य सरकार ने MSP में बढ़ोतरी और किसानों को 800 रुपए के फायदे के रूप में प्रचारित किया, जो कि पूरी तरह से गलत है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने स्पष्ट किया कि MSP की घोषणा पहले ही जून 2024 में की जा चुकी थी और सरकार द्वारा फैलाया जा रहा भ्रम किसानों के आंदोलन को कमजोर करने की एक साजिश है। प्रदेश कांग्रेस ने इस मामले को लेकर आगे भी आंदोलन करने की बात कही है।