मध्यप्रदेश में हालही में हुए विधानसभा चुनाव में कर्मचारी और पेंशनर्स संगठनों ने खूब माहौल बनाया। इस दौरान सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी को इन संगठनों ने खासा सरदर्द दिया। ऐसे में अब सरकार बनने के बाद निर्णय लिया गया है कि इन संगठनों के पंजीयन रद्द कर दिए गए हैं। ये संगठन प्रदेश के 7 लाख कर्मचारियों और 5 लाख पेंशनर्स का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में अब इनका प्रतिनिधित्व करविधानसभा कर्मचारी संघ, एमपी न्यूज, कर्मचारी संगठन, मप्र पेंशनर्श एसोसिएशन, पूर्व सीएम कमलनाथ, ने वाला इनकी आवाज़ उठाने वाला अब कोई नहीं है। अब ये कर्मचारी संगठन औपचारिक तौर पर अपनी कोई बात सरकार, मंत्री या मंत्रालय के अधिकारियों अथवा मीडिया से नहीं कह सकते हैं। इस मामले पर फिलहाल कर्मचारी चुप हैं लेकिन पूर्व सीएम कमलनाथ ने इसे तानाशाही बताया है। हालांकि अब बताया जा रहा है कि सीएम मोहन यादव इसे लेकर जल्द ही कोई कदम उठाने वाले हैं।
जानकारी के मुताबिक प्रदेश में मंत्रालय कर्मचारी संघ, विधानसभा कर्मचारी संघ, पेंशनर्स एसोसिएशन का पंजीयन रद्द हो गया है। इनके अलावा 3 लाख कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ का पंजीयन भी निरस्त हो चुका है, लेकिन इसका मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। उन्होंने ट्वीट कर इसे तानाशाही करार दिया है। कमलनाथ ने लिखा, ‘मध्य प्रदेश में 12 लाख कर्मचारी और पेन्शनर्स की आवाज उठाने वाले संगठनों का रजिस्ट्रेशन ख़त्म कर भाजपा सरकार ने अपना कर्मचारी विरोधी और तानाशाह चेहरा एक बार फिर उजागर कर दिया है। इनमें से कुछ संगठन 50 साल तो कुछ 30 साल से अधिक समय से पंजीकृत थे।’
कमलनाथ ने आगे लिखा, ‘संगठन का पंजीकरण रद्द करने का अर्थ है कि अब कर्मचारी और पेंशनर्स की ओर से ये संगठन सरकार से बात नहीं कर पाएँगे। यह सीधे-सीधे कर्मचारियों की आवाज़ को दबाना है। यह आलोकतांत्रिक और मानवाधिकारों का हनन है। स्पष्ट है कि सरकार कर्मचारियों का दमन करना चाहती है और यह भी चाहती है कि इस उत्पीड़न का कोई प्रतिरोध ना हो सके। यह एक गहरा षड्यंत्र है। मैं मुख्यमंत्री से माँग करता हूँ कि तत्काल इन संगठनों की मान्यता बहाल करें।’
कमलनाथ के इस बयान के बाद अब सीएम मोहन यादव ने इस मामले पर संज्ञान लिया है। जानकारी के मुताबिक उन्होंने फर्म्स और सोसायटी के अधिकारियों को तलब किया है। माना जा रहा है कि इस मामले में जल्दी ही सीएम इन संस्थाओं के पंजीयनों को जारी रखने की बात कह सकते हैं।