शर्मनाकः बेटे की लाश थैले में रखकर पोस्टमॉर्टम कराने तीन किमी तक पैदल चला पिता


   मामले में अब पुलिस क्या कार्रवाई करती है शायद इससे लेरू यादव को कोई खास मतलब नहीं होगा क्योंकि उन्होंने अपने आसपास के समाज का सबसे स्याह चेहरा देख लिया था जिसके बाद उन्हें समाज से जुड़ा कुछ नया जानने की ज़रूरत शायद नहीं होगी। 


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लेरू यादव अपने बेटे की लाश थैले में ले जाते हुए (फोटो साभारः लोकमत)


नई दिल्ली। देश  जहां चुनावी और फिल्मी ख़बरों में उलझा हुआ है उसी दौरान बिहार के कटिहार में एक बाप अपने बेटे की मौत का गम मना रहा है। उसके इस गम को हमारे संवेदनहीन समाज और व्यवस्था ने और भी गहरा कर दिया है। थोड़े समय पहले ये पिता अपने तेरह साल के बच्चे की लाश थैले में भरकर उसे कई किलोमीटर तक पैदल लेकर चला है।

ख़बर करीब 48 घंटे पुरानी है। 26 फरवरी को भागलपुर के गोपालपुर थाना क्षेत्र के रहने वाले लेरू यादव 26 फरवरी को अपने 13 साल के बेटे हरिओम यादव नाव के साथ नाव से गंगा नदी पार कर रहे थे।  इस दौरान उनका बेटा हरिओम यादव नाव से नदी में गिर गया।

लेरू यादव ने अपने बेटे को काफी खोजा लेकिन वह नहीं मिला। कई दिनों तह वह बेटे को खोजते-खोजते थक गए। जिसके बाद पिता लेरू यादव ने इस बारे में गोपालपुर थाना में सूचना भी दी थी। इसके कुछ दिनों बाद कटिहार जिले के कुर्सेला थाना क्षेत्र में खोरिया घाट पर त्रिमुहानी नदी के किनार हरिओम का शव देखा गया।

इस पर  लेरु यादव  कुछ गांव वालों को साथ लेकर गोपालपुर थाना पुलिस को सूचित करते हुए कुर्सेला के खेरिया घाट पहुंचे थे। जब वे शव के पास पहुंचे तो उसकी हालत खराब हो चुकी थी। लगातार पानी में पड़े रहने से वह फूल गया था और उसे मछलियां भी खा गईं थी। इसके अलावा कुत्तों ने भी शव को खासा नुकसान पहुंचाया था। हालांकि पिता ने अपने बेटे के शव को कपड़े आदि के सहारे पहचान लिया।

इस घटनास्थल पर गोपालपुर व कुर्सेला दोनों थानों की पुलिस पहुंची। लेकिन पुलिस ने शव को अपने कब्जे में नहीं लिया। यहां अमानवीय व्यवहार करते हुए दोनों थाना की पुलिस बिना शव को अपने कब्जे में लिये  ही चली गई और लेरु यादव से कहा कि तुम लाश लेकर सदर अस्पताल पहुंचों वहां पोस्टमॉर्टम होगा।

इसके बाद इस लेरू यादव ने अपने बेटे की लाश किसी तरह उठाने का प्रयास किया लेकिन जब वे सफल नहीं हो सके तो उन्होंने अपने थैले में लाश को भर लिया और सदर थाने की ओर जाने लगे। रास्ते में उन्हें कुछ लोग मिले जिनसे उन्होंने अपना दुख साझा कर लिया।

यह जानना किसी के लिए भी हैरान करने वाला था।  बिहार की स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस पूरे मामले पर पुलिस कुछ भी बोलने से बच रही है। एसडीपीओ अमरकांत झा ने दूसरे थाने का मामला बता कर पल्ला झाड़ लिया है।

इस पूरी घटना के बारे में बहुत कम ख़बरें चल रहीं हैं। मामला एक बेहद मामूली इंसान का था तो व्यवस्था पर नेता या पत्रकार ने सवाल भी नहीं उठाया। हालांकि कुछेक लोगों ने ट्विटर पर इसका ज़िक्र किया। इनमें फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर भी थी। उन्होंने लिखा है…

बताया जाता है कि पुलिस ने मामले में जांच के निर्देश दिये हैं लेकिन इस मामले में अब क्या कार्रवाई होती है शायद इससे लेरू यादव को कोई खास मतलब नहीं होगा क्योंकि उन्होंने अपने आसपास के समाज का सबसे स्याह चेहरा देख लिया था। जिसके बाद उन्हें इससे जुड़ा कुछ नया जानने की ज़रूरत शायद महसूस नहीं होगी।

 


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