धार। खेतों में बीज डालने से लगाकर चार महीने तक अपना पसीना बहाकर फसल को पकाने का काम करते हैं किसान। कई महीनों की मेहनत के बाद खेतों में गेहूं की फसल लहलहाने लगती है।
कुछ ही दिनों में उसे काटकर बेचने के साथ ही खुद के भी सालभर खाने की व्यवस्था के लिए किसान किसानी करता है, लेकिन अचानक किसी कारण से लगी आग से सिर्फ किसानों के अरमानों पर पानी नहीं फिरता बल्कि उसके सामने ये चिंता भी खड़ी हो जाती है कि वह सालभर कैसे काम चलाएगा।
ऐसे में अपनी फसल को अपनी ही आंखों से जलता देखकर कई किसान बेसुध होकर गिर जाते हैं। आग इतनी भयानक होती है कि उसकी लपटें आसमान तक पहुंचती नजर आती हैं। कई क्षेत्र में आग के कारण गेहूं की फसल जलने की ये एक ही नहीं बल्कि कई घटनाई हुई हैं, लेकिन जिम्मेदार अब भी इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं हैं।
गर्मियां आते ही आग लगने की घटनाएं शुरू हो गई हैं। इन दिनों खेतों में गेहूं की फसल तैयार खड़ी रहती है। ऐसे में किसानों की चिंता बढ़ गई है। वहीं जिले में की बीते कुछ दिनों से खेतों में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं। घटना से दर्जनों किसानों के गेहूं की खड़ी फसल जल चुकी है।
फसलों में आग लगने की घटनाएं प्रतिदिन सामने आने लगी हैं। प्रशासनिक अमला इन घटनाओं में गंभीर नहीं दिख रहा है जिससे किसानों के अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
जिले में 10 दिन में अलग-अलग स्थान पर भीषण अगलगी की घटना हुई है। आग पर काबू पाने के लिए कई जतन किए गए। कहीं पर खेत में आग लगी तो कहीं पर किसी अन्य स्थान पर आग लगी। बड़ी बात यह है कि इस आग से खेत में खड़ी लाखों रुपये की उपज जलकर स्वाहा हो गई है।
मरोल में हुआ हादसा 5 किसानों के गेहूं जले –
इंदौर-अहमदाबाद सड़क मार्ग पर स्थित ग्राम भलगावड़ी मरोल में किसानों के गेहूं के खेत में रविवार साढ़े 12 बजे आग लग गई जिससे किसान की करीब 50 बीघा के खेत में खड़ी गेहूं की फसल जलकर राख हो गई।
पीड़ित किसान ने आग लगने का कारण विद्युत लाइन के आपस में टकराने से फॉल्ट होने के बाद निकली चिंगारी का गेहूं की खड़ी फसल में गिरना बताया है।
इसकी सूचना तत्काल नगर परिषद को दी गई तब फायर ब्रिगेड की गाड़ी एवं आसपास के लोगों की सहायता से आग बुझाने का प्रयास किया गया, लेकिन आग तेजी से फैलने के कारण 50 बीघा की गेहूं की फसल आग की चपेट में आ गई।
बता दें कि विद्युत लाइन के तारों में फॉल्ट होने से हर रोज कहीं न कहीं से फसलें जलने की जानकारी मिल रही है।
तलवाड़ा मगजपुरा में भी लग चुकी है आग –
जिला मुख्यालय से 10 किलो मीटर तलवाड़ा मगजपुरा गांव में आगे लगने से 5 से 6 किसानो की खड़ी फसल में आग लग गई। वहां भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका और 28 बीघा के गेहूं जलकर स्वाहा हो गए।
इसके पहले जिले में पांच अलग-अलग गांवों में आग लगने की घटना हुई। इससे किसानों के कई बीघा में पककर तैयार खड़ा गेहूं स्वाहा हो गया। अन्य खेतों में आग न पहुंचे इसके लिए किसानों ने सूझ-बूझ व तत्परता दिखाते हुए फायर लारी आने के पहले स्वयं के साधनों से आग पर काबू पाने के जतन किए ताकि आसपास के खेतों में आग न फैले।
जानकारी मिलने पर गांव के पटवारियों द्वारा पंचनामा बनाया जाता है और ज्यादातर में आग लगने का अधिकतर कारण फॉल्ट व शॉर्ट सर्किट ही होता है।
केसुर मे शॉर्ट सर्किट से टूटा विद्युत तार –
खेत पर लगे विद्युत पोल पर शॉर्ट सर्किट हुआ। इससे तार टूट कर खेत में खड़ी फसल पर गिर गए जिससे गेहूं की फसल में आग लग गई। इससे खेत में 27 बीघा में खड़ी संपूर्ण फसल जलकर नष्ट हो गई।
किसान के मुंह में आया निवाला छीन गया। गांव वालों ने आग बुझाने की कोशिश की किंतु आग पर काबू नहीं पा सके जिससे पूरी फसल नष्ट हो गई।
प्रत्यक्षदशी किसानों ने बताया कि खेत में आग लगने की खबर ग्रामीणों को दी। इसके साथ ही पानी के टैंकर एवं दवाई छिड़कने की टंकियों व खेत की जुताई कर आग को अन्य खेतों में फैलने से रोका।
अगर ऐसा नहीं होता तो कम से कम 400 बीघा की फसल चपेट में आ जाती और गांव तक आग फैल जाती।
पंचनामा बनाने के बाद मिलती है सहायता राशि –
किसान की फसल में आग लगती है तो पटवारी द्वारा पंचनामा बनाया जाता है। पटवारी द्वारा पंचनामा में आरबीसी धारा 6/4 के अंतर्गत पंचनामा बनाया जाता है। किसान नुकसानी 12 हजार रुपये से अधिक हेक्टेयर के हिसाब से दी जाती है जिसमें आवेदकों के दस्तावेज लिए जाते हैं। उसको लेकर एसडीएम को पस्तुत करते हैं। उसके बाद किसान के खाते में आगज़नी का पैसा आता है। हालांकि, सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि किसानों की आग लगने वाली फसलों से कम रहती है।
विद्युत विभाग की लापरवाही से होते हैं आग लगने वाले हादसे –
बता दें कि सबसे ज्यादा हादसे विद्युत मंडल के तारों में शॉर्ट सर्किट से होती है क्योंकि विद्युत मंडल की लापरवाही के कारण खेतों में झूलते पुराने व टूटे तारों के कारण आग की चिंगारी से गेहूं में आग लगती है।
इसका नुकसान किसान को अपनी फसलो के जलाने के रूप में देना पड़ता है। जैसे विभाग किसानों से बिल की वसूली करने का काम करता है अगर ऐसे ही जिम्मेदारी से खेतों में झूलते तारों को समय रहते मेंटनेंस करता तो आज किसानों को लाखों रुपये की फसलों में आग लगने की वजह से मुंह में आया निवाला नहीं गंवाना पड़ता।
विभाग के गैरजिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही से किसानों की साल भर की मेहनत आग की बलि चढ़ जाती है। वहीं विभाग के कर्मचारी मेंटनेंस के नाम पर हजारों रुपये की बर्बादी करते हैं, फिर भी खेतों के खंभे व तार विभाग सही नहीं कर पाता है व कागजों में कार्य पूर्ण हो जाता है।