नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम मन की बात रविवार सुबह प्रसारित हुआ। प्रधानमंत्री देश के नागरिकों से अपने मन की बात इस कार्यक्रम में करते हैं। भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेताओं और मंत्रियों के सोशल मीडिया अकाउंट पर जहां उन्होंने मन की बात सुनते हुए अपनी तस्वीरें साझा की हैं तो वहीं आंदोलनकारी किसानों और उनके सर्मथकों ने मोदी के मन की बात का ख़ासा विरोध किया गया।
मन की बात का विरोध राजस्थान, हरियाणा, पंजाब में बड़े पैमाने पर देखने और सुनने को मिला। वहीं अन्य राज्यों में भी इसका असर नजर आया।
यहां किसानों ने प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करने के लिए वही तरीका अपनाया जिसे प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी में लॉकडाउन के दौरान जनता को उत्साहित करने के लिए अपनाया था। किसानों ने मन की बात का विरोध थाली और ताली बजाकर किया।
दिल्ली बॉर्डर पर जहां किसान आंदोलन चल रहा है वहां किसानों ने बड़ी संख्या में इसका विरोध किया और लगातार थाली और ताली बजाई। मन की बात का विरोध राजस्थान, हरियाणा, पंजाब में बड़े पैमाने पर देखने और सुननो को मिला वहीं अन्य राज्यों में भी इसका असर नजर आया। लोगों ने थालियां बजाते हुए अपने वीडियो खूब पोस्ट किये। _
@narendramodi this is Ground Reality of your vision.
Wake up before its too late.
RESIGN @narendramodi you are unable to run country that’s fact. #मन_की_बात#WorstPMModi https://t.co/fTGQyqbuFF— Bhavish Nareda (@nareda_bhavish) December 27, 2020
किसानों ने कहा कि प्रधानमंत्री अपने किसानों के मन की बात नहीं सुन रहे हैं और केवल अपनी ही कह रहे हैं ऐसे में विरोध तो करना बनता ही है। किसानों के हाथ में जो आ रहा था उसे ही बजाकर वे अपना विरोध जता रहे थे। यहां टिकरी बॉर्डर पर लगातार नारेबाजी भी होती रही। किसानों ने कहा कि उन्हें सरकार की नियत पर भरोसा नहीं है।
@narendramodi #किसानो की मन की बात कब सुनी जाएँ
कब तक भागोगे #किसान_की_बात से
आज किसान आन्दोलन हरियाणा बॉर्डर शहाजहांपुरमें संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आन्दोलन स्थल पर प्रधानमंत्री की
मन की बात का विरोध स्वरूप थाली-ताली डृम बजाकर रैली निकाली गई। pic.twitter.com/Ofw4KFzjXD
— jagmohan/Khohara (@Ex__sarpanch) December 27, 2020
इस दौरान सोशल मीडिया पर भी मन की बात कार्यक्रम को लेकर ट्रैंड चलने लगे। यह ट्रैंड काफी देर तक बना रहा। यहां लोगों ने किसान आंदोलन और उनकी मांगों को लेकर सरकार द्वारा कोई ठोस पहल न किए जाने पर नाराज़गी जताई। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूट्यूब चैनलों पर होने वाले उनके प्रसारणों में पिछले कुछ महीनों में दर्शकों की संख्या कम हुई है और उन्हें नकारात्मक प्रतिक्रियाएं भी मिल रहीं हैं।