भोपाल। प्रदेश में सत्ता और संवैधानिक का धार्मिकीकरण होता नजर आ रहा है। धार्मिक कथाएं करने वाले बाबाओं को राजनीति प्रोत्साहन देती रही है और अब संविधान के तहत चलने वाली व्यवस्था भी इसी काम में लगी हुई है। आदिवासी बाहुल्य जिले बालाघाट में हालही में चर्चित हुए बागेश्वर धाम के नौजवान कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा होने जा रही है। यह एक निजी कार्यक्रम है। जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन ने उठा ली है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि यह आयोजन स्थानीय विधायक और प्रदेश सरकार में आयुष विभाग के राज्य मंत्री राम किशोर नानो कांवरे के द्वारा करवाया जा रहा है। हालांकि इस आयोजन के कई दूसरे मायने भी हैं।
बीते साल डॉ. आंबेडकर की जन्मस्थली महू में बनी डॉ. आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विवि में आंबेडकर कथा का आयोजन किया गया था। इसका उद्देश्य आंबेडकर के जीवन में बड़ी जाति के लोगों के योगदान को बताना था। इस कथा को पेश करने वाले विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार थे। इसका आयोजन प्रदेश के संस्कृति मंत्रालय ने किया था।
इसके बाद कई इलाकों में इस तरह के छोटे-छोटे आयोजन होते रहे। हालांकि महू की तरह राज्य सरकार ने इसका खास प्रचार प्रसार नहीं किया। इसके बाद फोकस आदिवासियों पर किया जा रहा है। भाजपा से जुड़े एक आदिवासी नेता बताते हैं कि अब चुनावों तक आदिवासी मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए कई आयोजन होने हैं।
इसी तरह का आयोजन परसवाड़ा में हो रही राम कथा को भी माना जा रहा है। जो भादूकोटा में 23 और 24 मई को होने जा रही है। इस आयोजन को निजी बताया जा रहा है लेकिन इसकी व्यवस्था स्थानीय प्रशासन के द्वारा करवाई गई है। इस आयोजन में सभी काम अधिकारियों को बांटे गए हैं। स्थानीय कलेक्टर गिरीश कुमार मिश्रा ने इसके लिए तमाम डिप्टी कलेक्टर से लेकर एसडीएम और अन्य अधिकारियों को व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी दी है।
हालांकि कलेक्टर अपने इस लिखित आदेश को केवल कानून व्यवस्था के लिए उठाया गया कदम बता रहे हैं। हालांकि कलेक्टर ने कथा में आने वाले लोगों के भोजन स्थल, सुरक्षा, पार्किंग, पास जारी करने, वीआईपी व्यवस्थाओं से लेकर दातून और शौचालय तक की जिम्मेदारी सरकारी अधिकारियों को दी गई है। इसे लेकर हमने स्थानीय कलेक्टर से भी बात करने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने इसे लेकर कोई जवाब नहीं दिया। म
स्थानीय लोगों के मुताबिक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथाएं अक्सर विवादों में पड़ जाती हैं और इस इलाके में कथा का आयोजन विवाद से दूर रखा जाएगा ऐसा फिलहाल नहीं लगता। सोशल मीडिया पर इसे लेकर खासा विरोध दिखाई दे रहा है। जहां कहा जा रहा है कि इस तरह आदिवासी बाहुल्य इलाके में यह आयोजन बिना अनुमति के करना गलत है।
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पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पहले ही भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात करते हुए संविधान का खुलेआम उल्लंघन करते रहे हैं लेकिन उन पर इसे लेकर कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। शास्त्री अक्सर आदिवासी बाहुल्य इलाकों में जाकर घर वापसी यानी लोगों को हिन्दू धर्म में लौटने की बात भी करते हैं। बालाघाट एक आदिवासी जिला है यहां धर्म परिवर्तन को लेकर भी खबरें आती रहतीं हैं और धीरेंद्र शास्त्री अपने धार्मिक दौरों में अक्सर अपने धर्म परिवर्तन के लिए चर्चित रहते हैं।
बालाघाट सहित कई अन्य जिलों में आदिवासी युवाओं का एक संगठन चलाने वाले देव रावेन भलावी ने बताया कि इस तरह के आयोजन आदिवासी संस्कृति के खिलाफ हैं। वे कहते हैं कि आयोजन जिस स्थान पर हो रहा है वहां भी पेसा लागू है और यह इलाका संविधान की पांचवी अनुसूची में आता है ऐसे में इस स्थान पर आयोजन करना अनुचित है। हालांकि उनके इस दावे को हम पुष्ट नहीं करते।
धीरेंद्र शास्त्री के आयोजनों में उनके द्वारा धर्म परिवर्तन को लेकर कई बयान आते रहते है। वे ईसाई धर्म अपना चुके लोगों की घर वापसी के लिए आज कल खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। हालही में सागर जिले में हुए आयोजन में उन्होंने 97 लोगों की इस तरह घर वापसी कराई थी। ज़ाहिर है इसके बाद ऐसे इलाकों में धर्म परिवर्तन को लेकर एक बहस शुरु हो जाती है।