नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में गरीब मजदूरों के परिवार भी अब भूख हड़ताल कर रहे हैं। विकास योजनाओं को पूरा करने के लिए इनके घरों को तोड़ा जा रहा है। प्रदर्शन कर रहे इन मजदूरों का कहना है कि सरकार आज मानवीयता को भूलकर बुल्डोजर संस्कृति को अपना रही हैं। अपने आपको कल्याणकारी राज्य का दर्जा देकर सरकारें मजदूर परिवारों के घरों को बिना पुनर्वास के तोड़ दे रही हैं।
पिछले दो माह में तुगलकाबाद, यमुना खादर, बेला स्टेट मेहरौली, धोला कुआं, जावेद नगर, शाहीन बाग, सुभाष कैंप, सांसी कैंप से लगभग 2 लाख से ज्यादा लोग सरकार द्वारा घर से बेघर कर दिए गए जिन्हे आज तक पुनर्वास नही मिला। जबकि मलबे के ढेर पर रात गुजार रहे है। इस प्रकार की जबरन तोडफोड़ का आंकड़ा G20 के चलते 5 लाख से ऊपर जाने की आशंका है।
अब पुनर्वास केवल कागजों में दबकर रह गया है। दिल्ली जैसे राज्य में प्रगतिशील योजना एवं जीरो इरेक्शन पॉलिसी होने के बावजूद भी प्रतिदिन बुल्डोजर से सरकार के आदेश पर गरीब लोगों के घरों को तोड़ा जा रहा है यह बात बेला स्टेट यमुना खादर की रेखा कुमारी ने धरना प्रदर्शन के दौरान रखी।
मजदूर आवास संघर्ष समिति के कन्वेनर निर्मल गोराना अग्नि ने बताया की इस देश में आवास की गारंटी देने वाला कोई कानून नहीं है जिस कारण कोई भी सरकार अपनी मर्जी से जब चाहे मुंह उठाकर बुल्डोजर लेकर आ जाती है और पुलिस गरीब लोगो को पीट – पीटकर घर से धक्के देकर निकाल देती है। यहां तक घर से समान निकालने का वक्त तक नहीं देती है। उल्टे झूठे केस दर्ज कर देती है ताकि गरीब मजदूर सालो साल कोर्ट के चक्कर लगाते रहें और लोग घबरा कर संघर्ष का रास्ता छोड़ दे।
यहां के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि पुनर्वास की मांग को लेकर संघर्ष मजबूत होगा और सरकार को पुनर्वास देना होगा। पुनर्वास का एक संघर्ष शकरपुर स्लम यूनियन के नाम से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है जहा दिल्ली सरकार की पुनर्वास की पॉलिसी को ही चैलेंज किया गया है।
तुगलकाबाद की रीना देवी पिछले 8 दिन से पुनर्वास की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर है जिसकी सरकार ने सुध तक नहीं ली और किसी भी समय रीना को कुछ भी हो सकता है। उसका स्वस्थ्य खराब होता जा रहा है। अगर रीना के साथ कोई हादसा होता है तो जिम्मेदार सरकार होगी यह बात भूपेंद्र कुमार ने कही।
भाट कैंप के लाल चंद रॉय ने बताया की जिस प्रकार से सरकारें आती जाती रहती है उसी प्रकार से योजनाएं भी बनती और खत्म होती रहती हैं किंतु जो योजना आवास की बात करती है वह विस्थापित हुए इतने परिवारों को कितना घर दे पा रही है और कितने बेघर लोगों को आवास प्रदान करके उनको सम्मान के साथ जीने का अधिकार दिला पाई हैं जो एक महत्त्वपूर्ण सवाल है उसी को सरकार से पूछने के लिए हम सब जंतर मंतर आए है।
एक्टू मजदूर यूनियन की कॉमरेड श्वेता ने पुनर्वास के मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए तथा बताया की जिस एड्रेस के बल पर लोगो ने वोट दिया आज वो ही एड्रेस गैर कानूनी कैसे हो सकता है।
कॉमरेड नेहा ने धरने पर बैठे तमाम लोगो को संघर्ष और संगठन को मजबूत करने की बात की। वाल्मीकि सोसाइटी के माणिक कुमार ने एक ज्ञापन पत्र समस्त धरना प्रदर्शनकारियों एवं मजदूर आवास संघर्ष समिति की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को सोपा।
दिल्ली के तुगलकाबाद, जनता कैंप प्रगति मैदान, यमुना खादर, बेला स्टेट, मेहरौली, सोनिया गांधी कैंप, सुभाष कैंप, नजफगढ़, मानसरोवर पार्क, सांसी कैंप, कालका स्टोन, कालका जी, भूमिहीन कैंप सहित कई बस्तियों के मजदूर परिवारों एवं जन संगठन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
उक्त जानकारी दिल्ली में मजदूर आवास संघर्ष समिति की निर्मल गोराना अग्नि ने दी।