भोपाल। भोपाल गैस कांड के प्रभावितों के चार संगठनों ने मंगलवार को संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉव केमिकल और उसके मालिक कंपनियों से अतिरिक्त मुआवजा देने की मांग रखी।
भोपाल गैस पीड़ितों के इन संगठनों का दावा है कि दो व तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात को भोपाल में रिसी मिथाइल आइसोसायनेट यानी MIC गैस से जो नागरिक प्रभावित हुए थे और पीढ़ी दर पीढ़ी अभी भी हो रहे हैं, उन पर कोरोना वायरस संक्रमण का ज्यादा असर है।
गैस पीड़ित कोरोना संक्रमित होने के बाद दम तोड़ रहे हैं। इस बात से यह साबित होता है कि गैस कांड की वजह से स्थायी क्षति हुई है और इसकी भरपाई गैस कांड के जिम्मेदारों को करनी चाहिए, जो कि अभी तक नहीं की गई है।
इन संगठनों ने आधिकारिक दस्तावेज होने का दावा किया है। साथ ही कहा है कि भोपाल की गैस पीड़ित आबादी में कोरोना की वजह से मृत्यु का दर जिले की अपीड़ित आबादी से 6.5 गुना ज्यादा है।
इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि तत्कालीन समय में सरकारी आंकड़ों में कहा गया था कि यूनियन कार्बाइड की जहरीली गैसों से 93% पीड़ितों को अस्थायी नुकसान पहुंचा है, जो कि गलत है।
Covid-19 death rate in gas victim population is 6.5times more than that of non gas exposed population. 56% of COVID-19 deaths of Bhopal district r of Bhopal gas victims, yet their population is only 17% of district's pop. pic.twitter.com/20UhhxGB7k
— Rachna Dhingra (@RachnaDhingra) November 24, 2020
भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खां और भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढिंगरा ने कहा कि यूनियन कार्बाइड के खुद के दस्तावेज यह बताते है कि मिथाइल आइसोसायनेट के असर से स्थायी क्षति पहुंचती है, इसके बावजूद 90 फीसदी पीड़ितों को अस्थायी रूप से क्षतिग्रस्त मानते हुए मात्र 25000 मुआवजा दिया गया था, जिसकी भरपाई होनी चाहिए।
Of 450 Covid-19 deaths in #Bhopal by Oct 18, 254 deceaseds are Gas-hit victims (56%), alleged Orgs working for Gas victims @RachnaDhingra. Though, they have alarmed the State & Union Govt in March that the Gas victims are more prone to virus & needed special care.@newsclickin pic.twitter.com/hBbT9xnqXH
— काश/if Kakvi (@KashifKakvi) November 24, 2020
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने बताया कि
भोपाल जिले में कोरोना महामारी की वजह से हुई 56 प्रतिशत मौतें गैस पीड़ित आबादी में हुई हैं जो भोपाल जिले की आबादी का मात्र 17% ही है, इसलिए सरकार को चाहिए कि यह तथ्य और साथ ही गैस राहत अस्पतालों के रिकार्ड सुप्रीम कोर्ट में लंबित सुधार याचिका में पेश करे और कंपनी से अतिरिक्त मुआवजा दिलवाए।